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Saturday, 21 December, 2024
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राज्यसभा से विदाई के वक्त भावुक हुए आजाद, कहा- पाकिस्तान कभी नहीं गया, हिन्दुस्तानी मुसलमान होने पर गर्व

राज्यसभा में मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष की विदाई के अवसर पर गुलाम नबी आजाद ने देश से आतंकवाद के खात्मे और कश्मीरी पंडितों के आशियानों को फिर से आबाद किए जाने की कामना की.

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नई दिल्ली: राज्यसभा से आज गुलाम नबी आजाद की विदाई का पल काफी भावुक रहा. उनका कार्यकाल पूरा होने पर पीएम मोदी समेत कई सांसदों ने भाषण दिया. पीएम आजाद को लेकर काफी भावुक हुए. इसके बाद गुलाम नबी ने भी  काफी भावुक होकर अपनी बात रखी.

राज्यसभा में अपनी विदाई पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह उन भाग्यशाली लोगों में से हैं जो कभी पाकिस्तान नहीं गया. जब मैं पाकिस्तान के हालात के बारे में पढ़ता हूं तो हिन्दुस्तानी मुसलमान होने पर गर्व होता है.

आजाद ने एक वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि वह जम्मू कश्मीर के सबसे बड़े एसपी कालेज में पढ़ते थे. वहां 14 अगस्त (पाकिस्तान की आजादी का दिवस) और 15 अगस्त दोनों मनाया जाता था लेकिन मैं और मेरे दोस्त 15 अगस्त मनाते थे. इसके बाद 10 दिन स्कूल जाने से बचते थे क्योंकि पिटाई होती थी. मैं उस हालत से निकलकर आया हूं.

आतंकवाद के खात्मे की कामना की, हुए भावुक

राज्यसभा में मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष की विदाई के अवसर पर गुलाम नबी आजाद ने देश से आतंकवाद के खात्मे और कश्मीरी पंडितों के आशियानों को फिर से आबाद किए जाने की कामना की.

उच्च सदन में अपने विदाई भाषण के दौरान आजाद ने उस घटना का विवरण दिया जिसकी चर्चा करते हुए इससे पहले प्रधानमंत्री का गला रूंध गया.

आजाद ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिनों के भीतर कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे. इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे.

उन्होंने कहा कि वह जब हवाईअड्डे पहुंचे तब पीड़ित परिवारों के बच्चे उन्हें पकड़कर रोने लगे.

आजाद ने कहा कि वह दृश्य देखकर उनके मुंह से चीख निकल गई, ‘खुदा तूने ये क्या किया…मैं क्या जवाब दूं इन बच्चों को…इन बच्चों में से किसी ने अपने पिता को गंवाया तो किसी ने अपनी मां को…ये यहां सैर करने आए थे और मैं उनकी लाशें हवाले कर रहा हूं….’

इसी कड़ी में आजाद ने कहा, ‘अल्लाह से… भगवान से… यही दुआ करते हैं कि इस देश से आतंकवाद खत्म हो जाए.’

जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में शहीद हुए केंद्रीय बलों और पुलिस के जवानों के साथ आम नागरिकों के मारे जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने कश्मीर के हालात ठीक होने की कामना की.

अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कश्मीरी पंडितों का भी जिक्र किया और कहा कि वह जब छात्र राजनीति में थे उन्हें सबसे अधिक मत कश्मीरी पंडितों का ही मिलता था.

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कश्मीरी पंडितों के उजड़े आशियानों को बसाने की दिशा में प्रयास करने का आग्रह करते हुए एक शे‘र सुनाया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहा, ‘गुजर गया वह जो छोटा सा एक फसाना था, फूल थे, चमन था, आशियाना था, न पूछ उजड़े नशेमन की दास्तां, न पूछ थे चार तिनके, मगर आशियाना था.’

मुस्लिम देशों की स्थिति बयान करते हुए उन्होंने पाकिस्तान का उल्लेख किया और कहा कि वहां जो सामाजिक बुराइयां हैं, वह भारत में नहीं है.

उन्होंने कामना करते हुए कहा, ‘हमारे मुसलमानों में ये सामाजिक बुराइयां कभी ना आए.’

इससे पूर्व प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद से जुड़ी एक घटना के बाद आजाद द्वारा पीड़ितों की मदद के लिए किए गये कार्यों को याद करते हुए भावुक हो गये. उस समय मोदी गुजरात के तथा आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. मोदी ने आजाद से उस आतंकी घटना से प्रभावित लोगों की मदद के लिए कहा था.

गौरतलब है कि आजाद के साथ ही भाजपा के शमशेर सिंह मन्हास, और पीडीपी के मीर मोहम्मद फ़ैयाज तथा नजीर अहमद लवाय का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है.

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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