मुंबई, तीन नवंबर (भाषा) कांग्रेस की मुंबई इकाई की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड ने उत्तरी मुंबई के मलाड में परियोजना प्रभावित व्यक्तियों (पीएपी) के लिए एक आवासीय परियोजना में 5,000 करोड़ रुपये का घोटाला होने का आरोप सोमवार को लगाया।
गायकवाड ने दावा किया कि यह “मुंबई के इतिहास का सबसे बड़ा पीएपी घोटाला” है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत महायुति सरकार ने पर्यावरण और नियोजन मानदंडों को ताक पर रखकर बिल्डर को फायदा पहुंचाया।
गायकवाड ने मलाड पीएपी परियोजना को तत्काल रद्द करने, इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “राज्य सरकार और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने अनियमित पुनर्वर्गीकरण और अनुमोदन के जरिये बिल्डर को अनुचित लाभ पहुंचाया। सरकार ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटे ‘नो डेवलपमेंट जोन’ (एनडीजेड) की जमीन को आवासीय क्षेत्र में बदल दिया और उसे पुलिस आवास के लिए आरक्षित कर दिया। पुलिस क्वार्टर बनाने के बजाय इस जमीन का इस्तेमाल एक विशाल पीएपी परियोजना के निर्माण के लिए किया गया।”
गायकवाड ने कहा कि मलाड ईस्ट में 8.71 लाख वर्ग फुट भूमि को 2018 में स्वीकृत विकास नियंत्रण और संवर्धन विनियम (डीसीपीआर-2034) में मूल रूप से एनडीजेड के रूप में चिह्नित किया गया था।
उन्होंने कहा कि यह पहाड़ी इलाका है, जहां सड़क संपर्क और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है तथा यह पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में भी आता है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि राज्य सरकार ने 12 मई 2023 को एक आदेश जारी कर एनडीजेड को आवासीय क्षेत्र के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया और इसे पुलिस आवास के लिए आरक्षित कर दिया।
उन्होंने कहा, “हालांकि, किसी पुलिस क्वार्टर का निर्माण नहीं किया गया। इसके बजाय, बिल्डर ने 20 जून 2023 को बीएमसी निविदा में हिस्सा लिया, जिसके तहत आवास आरक्षण नीति के तहत 13,347 पीएपी इकाइयों का निर्माण किया जाना था और उसके बदले में भूमि टीडीआर, निर्माण टीडीआर और क्रेडिट नोट खुले बाजार में लाभ के लिए बेचे जाने थे।”
गायकवाड ने दावा किया कि पुलिस आवास के लिए केवल 3.48 लाख वर्ग फुट भूमि निर्धारित की गई, जबकि पीएपी इकाइयों के लिए 5.23 लाख वर्ग फुट भूमि का आवंटन किया गया।
उन्होंने कहा, “नियमों के अनुसार, पीएपी परियोजना शुरू होने से पहले आरक्षित हिस्से का निर्माण करके उसे बीएमसी को सौंप दिया जाना चाहिए। लेकिन बिल्डर के फायदे के लिए इस नियम को भी बदल दिया गया। 17 अगस्त 2023 को शहरी विकास विभाग ने दोनों के एक साथ विकास को मंजूरी दे दी।”
गायकवाड ने प्राधिकारों पर भूमि की कीमतें बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बीएमसी की तकनीकी समिति ने प्रत्येक पीएपी इकाई की लागत 32.21 लाख रुपये (जीएसटी को छोड़कर) आंकी थी, जबकि कंपनी ने 58.18 लाख रुपये (जीएसटी सहित) की मांग की और व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण के रूप में प्रति इकाई अतिरिक्त 44 लाख देने को भी कहा।
उन्होंने आरोप लगाया, “जानबूझकर की गई देरी के कारण भूमि की कीमतों में 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे डेवलपर का प्रीमियम 4,299.45 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,741.20 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि, एक भी ईंट नहीं रखी गई है, फिर भी बीएमसी ने पहले ही 948.24 करोड़ रुपये के ‘क्रेडिट नोट’ जारी कर दिए और 10.44 लाख वर्ग फुट जमीन सौंप दी।”
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि इस परियोजना ने पारिस्थितिकी के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों पर उच्चतम न्यायालय के आदेशों और राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के निर्देशों का उल्लंघन किया है।
उन्होंने कहा, “इस परियोजना को ‘महत्वपूर्ण परियोजना’ का दर्जा देकर बीएमसी ने लगभग सभी विकास शुल्क और प्रीमियम माफ कर दिए, जिससे नगर निकाय को 100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, जबकि बिल्डर ने बिना कोई काम पूरा किए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ कमाया।”
गायकवाड ने राज्य सरकार को मलाड पीएपी परियोजना को रद्द करना चाहिए, जारी किए गए सभी ‘क्रेडिट नोट’ और भूमि टीडीआर को वापस लेना चाहिए तथा समयबद्ध, उच्च स्तरीय जांच का आदेश देना चाहिए, जिसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए।
भाषा पारुल संतोष
संतोष
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
