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शुक्रवार, 2 मई, 2025
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कांग्रेस ने सरकार से जाति जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल अपनाने को कहा

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नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार वाकई जातिगत सर्वेक्षण कराने को लेकर ईमानदार है, तो उसे तेलंगाना मॉडल अपनाना चाहिए।

कांग्रेस ने कहा कि यह मुद्दा ”56 इंच की नकली छाती बनाम सामाजिक न्याय के 56 सवाल” के बारे में है, जो मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार ने पूछे थे।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में कहा कि जाति जनगणना की कवायद पहला कदम है और उन्होंने यह मांग दोहराई कि सरकार को आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना चाहिए तथा संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करना चाहिए, जो निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण से संबंधित है।

रमेश ने कहा, ‘‘राहुल जी ने कहा अगर आप ईमानदारी से जनगणना करेंगे, तो आपको तेलंगाना मॉडल अपनाना पड़ेगा।’’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद रमेश ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमारी आलोचना की गई, हमें निशाना बनाया गया और अचानक, जब पूरा देश पहलगाम की घटना पर शोक मना रहा था, तब यह निर्णय लिया गया। यह निर्णय क्यों लिया गया, यह सवाल उठता है। ’’

रमेश ने कहा कि आज मुद्दा ”56 इंच की नकली छाती बनाम सामाजिक न्याय के 56 सवाल” का है, जो तेलंगाना में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पूछे गए थे।

कांग्रेस अक्सर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधने के लिए ’56 इंच का सीना’ वाक्यांश का इस्तेमाल करती है, जो उन्होंने कई साल पहले एक भाषण में कहा था।

रमेश ने कहा, ‘‘जाति जनगणना का विवरण क्या है? जाति जनगणना प्रश्नावली कहां है? इसके लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है।’’

कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार से जातिवार गणना के प्रत्येक चरण के लिए एक ‘‘स्पष्ट समय सीमा’’ की घोषणा करने और अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की ‘‘मनमानी सीमा’’ हटाने की अपनी मांग दोहराई।

विपक्षी पार्टी ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा पारित प्रस्ताव में इस मांग पर जोर दिया। सीडब्ल्यूसी बैठक की अध्यक्षता पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने की और इसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी तथा महासचिव जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी वाद्रा सहित अन्य शरीक हुए।

सीडब्ल्यूसी द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार, ‘‘लगातार 11 वर्षों तक विरोध और इनकार के बाद, (नरेन्द्र) मोदी सरकार ने कांग्रेस की वह मांग स्वीकार कर ली है, जिसमें आगामी जनगणना में जाति के आधार पर जनसंख्या के आंकड़े जुटाने की बात कही गई थी। इन 11 वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री ने बार-बार कांग्रेस नेतृत्व पर इस मांग को उठाने को लेकर हमले किए।’’

प्रस्ताव में कहा गया है कि हालांकि, अब तक सरकार ने यह नहीं बताया है कि वह इस विषय में क्या कदम उठाएगी और न ही इसके लिए कोई वित्तीय प्रावधान किया गया है।

इसमें उल्लेख किया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 16 अप्रैल 2023 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एक व्यापक और अद्यतन जातिवार गणना की मांग की थी। इसके साथ ही उन्होंने एससी, एसटी और ओबीसी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मनमानी सीमा हटाने की भी मांग की थी।

प्रस्ताव में कहा गया है कि राहुल गांधी देशव्यापी जातिवार गणना की ‘‘पुरजोर और निरंतर’’ मांग करते रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि उन्होंने 2022 में उदयपुर में आयोजित नव संकल्प शिविर में इस बात पर जोर दिया था कि अगर सरकारी नीतियों को हाशिये पर मौजूद समूहों की वास्तविक जिंदगी को प्रतिबिंबित करना है, तो जातिगत आंकड़े जुटाना अत्यावश्यक है।

पार्टी ने कहा कि राहुल का यह कहना रहा है कि आरक्षण, कल्याण और समावेशन की नीतियां पुराने अनुमानों या मनमानी सीमाओं पर नहीं, बल्कि ठोस तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।

भाषा रवि कांत रवि कांत पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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