नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा (क्लैट)-2025 प्रश्नावली में कुछ त्रुटियों को लेकर विभिन्न उच्च न्यायालयों से स्थानांतरित की गई याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई शुरू की और कहा कि अभ्यर्थियों के लिए ‘‘संदेह और चिंता’’ ठीक नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि वह परिणाम घोषित करने के लिए याचिकाओं पर सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करना चाहती है।
पीठ ने कहा कि विधि स्नातक प्रवेश परीक्षाओं से संबंधित याचिकाओं पर शीघ्रता से विचार किया जाएगा तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम से संबंधित याचिकाओं पर अलग से विचार किया जाएगा।
अदालत ने कहा, ‘‘जहां तक स्नातक प्रवेश परीक्षा का सवाल है, तो यह बहुत जरूरी है। हम जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करना चाहते हैं, ताकि नतीजे घोषित किए जा सकें।’’
पीठ ने कहा, ‘‘बहुत ज्यादा भ्रम और चिंता बनी हुई है। हम इससे बचना चाहते हैं। यह छात्रों के लिए ठीक नहीं है। हम सुनवाई शुरू कर सकते हैं।’’
अदालत ने कुछ समय तक विधि विश्वविद्यालयों के संघ (सीएनएलयू) की ओर से उपस्थित वकील की बात सुनी और कहा कि वह आठ अप्रैल को मामले की सुनवाई जारी रखेगी।
क्लैट के परिणाम के आधार पर देश के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर विधि पाठ्यक्रमों में दाखिला मिलता है।
परीक्षा में कई प्रश्न गलत होने का आरोप लगाते हुए विभिन्न उच्च न्यायालयों में कई याचिकाएं दायर की गईं।
छह फरवरी को, उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर सभी याचिकाओं को ‘उपयुक्त निर्णय’ के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया।
शीर्ष अदालत ने सीएनएलयू की स्थानांतरण याचिकाओं पर निर्देश पारित किया।
कई छात्र चाहते थे कि मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्लैट-स्नातक 2025 परीक्षा के दो प्रश्नों में त्रुटियों को चिह्नित करके और सीएनएलयू को अपने परिणामों को संशोधित करने का निर्देश देकर कुछ याचिकाकर्ताओं के लिए अनुकूल आदेश पारित किया है।
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों (एनएलयू) में पांच वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए क्लैट, 2025 एक दिसंबर 2024 को आयोजित की गई। इसके परिणाम सात दिसंबर को घोषित किए गए थे।
भाषा आशीष माधव
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