कोलकाता, 13 जून (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा में शुक्रवार को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
इस दौरान पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक आयोग (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा हुई। इस विधेयक को मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने पेश किया।
बहस के दौरान, देबरा विधायक हुमायूं कबीर ने अल्पसंख्यक आयोग के माध्यम से ‘अल्पसंख्यकों के पक्ष में विकास उपायों’ के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार की प्रशंसा की।
पूर्व आईपीएस अधिकारी कबीर ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर ‘अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों के साथ भेदभाव’ करने का आरोप लगाया।
उन्होंने वक्फ (संशोधन) अधिनियम जैसे कानूनों का हवाला दिया और भाजपा शासित राज्यों में ‘खाद्य, पोशाक और धार्मिक प्रथाओं पर निगरानी’ का आरोप लगाया।
उनकी टिप्पणियों, खासकर ‘मोदी अनुयायियों’ के संदर्भों ने भाजपा सदस्यों के कड़े विरोध को आमंत्रित किया।
मुख्य सचेतक शंकर घोष ने मांग की कि कबीर की टिप्पणियों को हटाया जाए। उनका दावा था कि ये टिप्पणियां अपमानजनक और असंसदीय थीं।
हालांकि, कबीर ने आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा, ‘मैंने किसी के लिए कोई अपमानजनक संदर्भ नहीं दिया।’
बहस के समापन के दौरान वित्त, भूमि और भूमि सुधार राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, ‘भाजपा नेताओं द्वारा सार्वजनिक रूप से कई अपमानजनक और अभद्र टिप्पणियां की जाती हैं।’
एक वायरल वीडियो का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘बृहस्पतिवार को भाजपा के एक वरिष्ठ नेता को एक पगड़ीधारी पुलिस अधिकारी पर चप्पल फेंकते देखा गया। भाजपा को आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के बारे में दूसरों को उपदेश नहीं देना चाहिए।’
विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी से जब उनके विधानसभा कक्ष में पत्रकारों ने संपर्क किया तो उन्होंने कहा, ‘भाजपा की टिप्पणियों को हटाने की मांग पर प्रतिक्रिया देने से पहले मैं कबीर द्वारा की गई टिप्पणियों की जांच करूंगा।’
भट्टाचार्य द्वारा संदर्भित वीडियो के बारे में उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘वीडियो सच निकला। मैंने इसकी सत्यता की जांच की।’
बहस के दौरान भाजपा के शंकर घोष ने संशोधित अधिनियम के तहत प्रस्तावित नए उपाध्यक्ष पद पर भी टिप्पणी की।
भाषा सुरेश माधव
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