नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर आतंकवादी अभियानों में शामिल ‘ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) का नेटवर्क तोड़ने’ के लिए एक ऑपरेशन शुरू किया है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.
सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ये रणनीति पिछले दो हफ्तों में कश्मीर में कई नागरिकों की हत्याओं के बाद बनाई गई है. सूत्रों ने कहा कि इस कवायद से उन्हें केंद्र शासित राज्य में 1,000 से अधिक ओजीडब्ल्यू और नए भर्ती आतंकियों की पहचान करने में मदद मिली—जो हमले को अंजाम देते हैं फिर स्थानीय निवासियों के बीच गुम हो जाते हैं.
जानकारी के मुताबिक, ऐसे 800 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि नौ संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है.
एक सूत्र ने बताया कि अक्टूबर के पहले हफ्ते में सात नागरिकों की हत्याओं के बाद ‘इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई और निर्णय लिया गया कि ओजीडब्ल्यू नेटवर्क को तहस-नहस किया जाना चाहिए.’
सूत्र ने कहा, ‘ये लोग—जो कट्टरपंथी बनाए जा चुके हैं और विभिन्न आतंकवादी समूहों में शामिल हैं—वो हैं जो छिपने के लिए जगह, पैसे और अन्य रसद मुहैया कराकर आतंकियों के लिए जमीनी स्तर पर मदद का ढांचा तैयार करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘ये आतंकवाद पनपने का आधार हैं और इससे निपटने की जरूरत है. सभी एजेंसियों ने मिलकर इस पर रणनीति बनाई कि इनका नेटवर्क कैसे तोड़ा जाए.’
हत्याओं की हालिया घटनाओं ने कश्मीर में 1989 और 1990 में आतंकवाद चरम पर होने के दिनों की याद दिला दी है, जब हजारों कश्मीरी पंडितों को घाटी से पलायन पर मजबूर होना पड़ा था. जहां सात लोगों की हत्या अक्टूबर के पहले हफ्ते में की गई, वहीं दो अन्य—दोनों प्रवासी—की हत्या शनिवार को हुई. इनमें चार हिंदू, एक सिख और चार मुस्लिम शामिल हैं.
सूत्र ने बताया कि बैठक के बाद एनआईए ने अज्ञात लोगों के खिलाफ ‘साजिश’ का एक साझा मामला दर्ज किया और तलाशी शुरू कर दी. सूत्र के मुताबिक, ‘उपलब्ध इनपुट की मदद से ओजीडब्ल्यू की एक सूची बनाई गई और 1,000 लोगों की पहचान की गई. उनमें से 800 से अधिक को हिरासत में लिया गया है.’
हिरासत में लिए गए 800 लोगों में से आतंकवादी गतिविधि में ‘गहरी संलिप्तता’ वालों को गिरफ्तार किया जाएगा और एनआईए इस बारे में पूरी जांच करेगी. जबकि जिनकी ‘संलिप्तता कम पाई जाएगी’ उनके मामलों में जांच का जिम्मा जम्मू-कश्मीर पुलिस संभालेगी. कम संलिप्तता वालों पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगाया जाएगा. सूत्र ने कहा कि जिनकी कोई संलिप्तता नहीं पाई जाएगी लेकिन ट्रैक रिकॉर्ड संदिग्ध होगा, उन्हें छोड़ दिया जाएगा लेकिन उन पर ‘नजर’ रखी जाएगी.
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‘ओजीडब्ल्यू का है हाथ’
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सूत्र के मुताबिक, आतंकियों ने इस साल अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक कुल 28 नागरिकों की हत्या की है. इन 28 में से पांच लोग स्थानीय हिंदू/सिख समुदाय के थे.
सूत्र ने कहा, इन हत्याओं को ‘हताशा का नतीजा’ कहा जा सकता है क्योंकि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के निरंतर और प्रभावी प्रयासों के बीच बड़ी संख्या में विभिन्न संगठनों के आतंकवादी मारे गए हैं. यही नहीं उनके गुट का नेतृत्व करने वालों और समर्थन मुहैया कराने वाले ढांचे को भी नष्ट कर दिया गया है.
सूत्र ने कहा, ‘सीमा पार बैठे हैंडलर इस सबसे हताश हैं और उन्होंने अपनी रणनीति बदलकर निहत्थे पुलिसकर्मियों, निर्दोष नागरिकों, राजनेताओं के अलावा महिलाओं समेत अल्पसंख्यक समुदाय के निर्दोष नागरिकों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है.’
सूत्र ने आगे कहा, ‘ऐसे सभी मामलों में आतंकवादियों ने पिस्तौलों का इस्तेमाल किया है. इन घटनाओं को अंजाम देने के लिए आतंकी संगठनों में नए-नए शामिल सदस्यों या फिर भर्ती के लिए तैयार युवाओं का इस्तेमाल किया गया. कुछ मामलों में ओजीडब्ल्यू को सीधे तौर पर शामिल पाया गया है.’
केस और छापेमारी
दिप्रिंट द्वारा हासिल की गई एफआईआर की प्रति के मुताबिक, एनआईए को ‘विश्वसनीय स्रोतों’ से जानकारी मिली है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन, अल-बद्र और इसके जैसे ही अन्य प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके सहयोगी गुटों जैसे रेजिस्टेंस फ्रंट, पीपुल अगेंस्ट फासिस्ट फोर्सेज, मुजाहिदीन गवातुल हिंद आदि जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं और इन्हें पाकिस्तान से संचालित किया जा रहा है.
एफआईआर में कहा गया है, ‘वे फिजिकल और साइबर स्पेस दोनों में साजिश कर रहे हैं, और जम्मू-कश्मीर, नई दिल्ली सहित भारत के तमाम प्रमुख शहरों में हिंसक आतंकी कृत्यों को अंजाम देने की योजना बनाने में जुटे हैं.’
एफआईआर में आगे लिखा है, ‘वे ओजीडब्ल्यू नेटवर्क के अलावा अपने पाकिस्तानी आकाओं और कमांडरों के साथ मिलकर हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग देने और आतंकी संगठनों में भर्ती करने के लिए स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर धकेलने की कोशिश में भी लगे हैं.’
केस दर्ज होने के बाद एनआईए ने मंगलवार को इसके सिलसिले में घाटी में 16 जगहों पर छापेमारी की है. एनआईए ने बुधवार को फिर कई स्थानों पर तलाशी ली और कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया—इसमें वसीम अहमद सोफी, तारिक अहमद डार, बिलाल अहमद मीर और तारिक अहमद बफंडा, हनीफ चिरालू, हफीज, ओवैस डार, मतीन भट और आरिफ फारूक भट शामिल हैं.
कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, ‘जिहादी दस्तावेज’ और संदिग्ध वित्तीय लेन-देन संबंधी रिकॉर्ड भी जब्त किए गए हैं.
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