श्रीनगर : साप्ताहिक प्रार्थना के दिन यानी की शुक्रवार को श्रीनगर और घाटी का पूरा इलाका बंद पड़ा है. पिछले कई सालों से शुक्रवार को पत्थरबाजी की घटना सामने आती रही है. लेकिन इस शुक्रवार का दिन कुछ अलग है. शुक्रवार शाम को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का यूएन जनरल असेंबली में भाषण होना है.
जैसे ही घाटी में दिन ढल रहा है वैसे ही दुकानें बंद हो रही हैं. दुकानदारी के लिए लोगों द्वारा सुबह 6 से 9 बजे तक समय निर्धारित किया हुआ है.
श्रीनगर क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है. कनसरटीना वायर और बैरिकेड्स लगाए गए हैं. घाटी का डाउनटाउन इलाका जहां कश्मीर की प्रसिद्ध जामा-मस्जिद स्थित है वहां सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है.
घाटी के सोनवर इलाके में स्थित यूएन मिलिट्री ऑफिसर ग्रुप ऑफिस के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं.
डल गेट के बाहर खड़े सीआरपीएफ के जवान ने कहा कि उन्हें अलर्ट पर रहने को कहा गया है. हम 24 घंटे सातों दिन अलर्ट पर हैं. स्थिति न बिगड़े इसके पूरे इंतजाम किए गए हैं.
‘हमारा भविष्य तय होगा’
जैसे ही यूएन में संबोधन का समय नजदीक आ रहा है कश्मीर के निवासियों में कुछ उम्मीद है की कश्मीर पर कुछ हल निकले.
घाटी में स्थिति के बारे में पूछे जाने पर पिछले दो दिनों में निवासियों से यह सुनने को मिला कि हम सभी 27 सितंबर का इंतज़ार कर रहे हैं. हमारा भविष्य शुक्रवार शाम को तय होगा.
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यह पूछे जाने पर कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे कूटनीतिक फोरम में क्या हो सकता है तो लाल चौक के सबसे पुराने अखबार की दुकानों में से एक अब्दुल्ला न्यूज एजेंसी के मालिक हिलाल अहमद ने कहा, ‘हमारे लिए कुछ संदेश हो सकता है. हम यही उम्मीद कर रहे हैं कि कुछ अच्छा होगा.’
हालांकि, घाटी में स्थिति पर नियंत्रण जारी है, लेकिन अगस्त के पहले सप्ताह में अनुच्छेद 370 के ख़त्म होने के बाद संचार पर लगाए गए प्रतिबंध को दो महीने पूरे हो गए हैं. सार्वजनिक परिवहन बहुत ही कम चलते हैं और निजी वाहन ज्यादातर कार्यालय के समय चलते हैं. दिन में ज्यादातर समय में दुकानें बंद रहती हैं.
प्रशासन द्वारा स्कूलों को खोलने के आदेश जारी करने के बावजूद वहां उपस्थिति न के बराबर है.
मोबाइल फोन पर प्रतिबंध के कारण माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अनिच्छुक हैं, प्रशासन के साथ-साथ शिक्षण संस्थान पढ़ाई के प्रभावित न होने के तरीके ढूढ़ रहे हैं.
श्रीनगर के बेमिना की रहने वाली रूही नबी ने कहा, ‘मेरी भतीजी के स्कूल में शिक्षकों ने हमें एक टाइप्ड प्रश्न पत्र दिया और हमें घर पर परीक्षा देने के लिए कहा है. कुछ अन्य स्कूलों ने असाइनमेंट के साथ सीडी वितरित की है. संचार पर जारी प्रतिबंधों को लेकर लोगों में बहुत गुस्सा है.
पंपोर के एक दुकानदार मुख्तार अहमद लोन ने कहा, ‘आज के दौर में, क्या आप दिल्ली या मुंबई में दो महीने के लिए मोबाइल और कनेक्टिविटी बंद कर सकते हैं? क्या यह सामान्य है? अगर उन्हें लगता है कि व्हाट्सएप, फेसबुक या कुछ प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म परेशानी पैदा कर सकते हैं, तो वे इसे रोक सकते हैं. सिर्फ इसलिए कि यह कश्मीर है, प्रशासन को लगता है कि वह हम पर कुछ भी कर सकता है.’
कश्मीर में अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्रों में से एक पर्यटन है जो कि सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. होटल बंद हैं, टैक्सी स्टैंड सूनसान हैं और शिकारा मालिक बेकार बैठे हैं.’
शिकारा के एक मालिक ने कहा, ‘मैं उधार के पैसे पर जी रहा हूं लेकिन मैं इस तरह से कब तक जीयूंगा? मैंने पिछले दो महीनों से एक पैसा नहीं कमाया है.’
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