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Friday, 3 May, 2024
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जीवनसाथी के नियोक्ता से उसकी शिकायत क्रूरता के समान : दिल्ली उच्च न्यायालय

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नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि जीवनसाथी की पेशेवर प्रतिष्ठा और वित्तीय संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने की मंशा से उसके नियोक्ता से की गयी अपमानजनक शिकायत क्रूरता के समान है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की पीठ ने जोड़े को विवाह को समाप्त करने की अनुमति देते हुए कहा कि इस तरह की शिकायतें आपसी सम्मान और सद्भाव की कमी को प्रदर्शित करती है जो स्वस्थ वैवाहिक संबंध के लिए अहम होता है।

अपीलकर्ता पति ने उसे तलाक देने से इनकार करने के कुटुंब अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उसने रिश्ते में गंभीर मानसिक यातना और पीड़ा सहन की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पत्नी ने सहकर्मियों के सामने उन्हें शर्मिंदगी और अपमानित करने के इरादे से उनके नियोक्ता को शिकायतें भेजीं।

पीठ ने इस महीने के शुरुआत में फैसला देते हुए टिप्पणी की, ‘‘चाहे शिकायतें झूठी हों या सच्ची, इस तथ्य से परे पेशेवर प्रतिष्ठा और वित्तीय संभावना को नुकसान पहुंचाने के इरादे से पति या पत्नी के नियोक्ता को अपमानजनक शिकायतें करना क्रूरता के अलावा कुछ नहीं है।’’इस पीठ में न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा भी शामिल थीं।

अदालत ने कहा, ‘‘ऐसी शिकायतें करना आपसी सम्मान और सद्भावना की कमी को दर्शाता है, जो एक स्वस्थ विवाह के लिए महत्वपूर्ण है। केवल यह कहने से कि ऐसी शिकायतें पक्षकारों के अलग होने के बाद की गई थीं, किसी भी तरह से पति-पत्नी को क्रूरता करने के अपराध से मुक्त नहीं किया जा सकता है।’’

दंपति का जनवरी 2011 में हिंदू रीति-रिवाजों से विवाह हुआ था और दोनों सितंबर 2011 से अलग-अलग रह रहे थे।

अदालत ने आदेश में पति के इस आरोप को भी संज्ञान में लिया कि पत्नी ने अपने ससुर के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हुए संदेश भेजा और कहा कि यह रिश्ते के भीतर सम्मान और लिहाज की कमी को दर्शाता है।

पीठ ने फैसले में कहा कि पत्नी के आचरण से अपरिहार्य निष्कर्ष निकलता है कि उसके व्यवहार ने पति को चिंतित किया और उसकी मानसिक शांति भंग हुई जिसकी वजह से दोनों पक्षों के लिए अपने वैवाहिक संबंध को बनाए रखना मुश्किल हो गया।

अदालत ने कहा, ‘‘अपीलकर्ता (पति) के पिता के प्रति अपमानजनक भाषा वाला संदेश भेजने और उसके नियोक्ता से शिकायत करने की प्रतिवादी की स्वीकारोक्ति को क्रूरता माना जा सकता है। ऐसी घटनाएं वैवाहिक संबंधों में तनाव और अस्थिरता का माहौल पैदा करती हैं, जिससे दोनों पक्षों को भावनात्मक नुकसान होता है।’’

भाषा धीरज माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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