खेड़ा, गुजरात: दिप्रिंट से बात करते हुए पटेल ने कहा कि वह पहली बार गांव चौक पर गरबा कार्यक्रम आयोजित करने के अपने फैसले पर कायम हैं और इसके बाद की घटनाओं के लिए वह मुस्लिम पुरुषों को जिम्मेदार मानते हैं. इंद्रवदन पटेल गुजरात के खेड़ा जिले के उंधेला गांव के सरपंच हैं, जहां 3 अक्टूबर को एक गरबा कार्यक्रम में पत्थरबाजी करने के आरोप में कुछ मुस्लिम पुरुषों की स्थानीय पुलिसकर्मियों ने सार्वजनिक रूप से पिटाई की थी. इसके बाद से इस इलाके में असहज अशांति है.
एक मुखर भाजपा समर्थक (‘हां, मैं भाजपा का समर्थन करता हूं और भाजपा मेरा समर्थन करती है’) पटेल कहते हैं कि जिस चौक पर पथराव हुआ, वहां एक तुलजा भवानी मंदिर है. उन्होंने गरबा कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आवश्यक अनुमति प्राप्त की थी. वह कहते हैं, ‘मैंने मन्नत मांगी थी कि नवरात्रि के शुभ आठवें दिन मैं उस चौक में गरबा का आयोजन करूंगा. इसमें गलत क्या है? मेरे पास अनुमति भी थी.’
दिप्रिंट ने ग्राम पंचायत के सरपंच की ओर से मामलतदार कार्यालय को भेजे गए अनुमति के अनुरोध पत्र को देखा था, जिसमें पुलिस से मामले को आगे बढ़ाने को कहा गया था. हालांकि पुलिस ने दिप्रिंट को इस बात की पुष्टि नहीं की कि उन्होंने अनुमति दी थी या नहीं.
मामले की जांच इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर (आईओ) वीएन सोलंकी, उप निरीक्षक कपडवंज द्वारा की जा रही है. संपर्क करने पर उन्होंने कहा, ‘मुझे घटना की रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है. मैं अपना काम कर रहा हूं और मुझे इसे मीडिया में लीक करने की जरूरत नहीं है. मैं इसे सिर्फ संबंधित व्यक्ति को दूंगा. विभाग में किसी और को भी यह रिपोर्ट नहीं सौंपी जाएगी.’
गांव चौक पर पीटे गए मुस्लिम पुरुषों के परिवारों ने दिप्रिंट को बताया था कि वे पूरी घटना के लिए सरपंच पटेल को दोषी मानते हैं. मुस्लिम ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने गरबा आयोजकों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि उनके कार्यक्रम से चौक के पास एक मस्जिद में ईद की तैयारी में बाधा न आए.
मुस्लिम ग्रामीणों ने बताया कि जब उन्होंने पाठ करते समय गरबा संगीत बंद करने का अनुरोध किया, तो कार्यक्रम के आयोजकों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. और फिर बहस छिड़ गई.
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‘उन्होंने हमें डीजे बंद करने के लिए कहा और पत्थर फेंके’
सरपंच पटेल की शिकायत पर 3 अक्टूबर को उंधेला के हुसैनी चौक पर गरबा समारोह के दौरान पथराव की एक घटना में कम से कम 13 लोगों – सभी मुस्लिम पुरुषों – को गिरफ्तार किया गया था.
अगले दिन उसी चौक पर, गिरफ्तार किए गए लोगों में से कुछ को भीड़ के रूप में सार्वजनिक रूप से पीटा गया. ऐसा करते देख काफी लोगों ने- जिसमें ज्यादातर हिंदू ग्रामीण शामिल थे – ने खुशी मनाई. इस घटना के वायरल हुए एक वीडियो में यह साफ तौर पर देखा जा सकता है.
पटेल पिछले दिसंबर में सरपंच चुने गए थे. उन्होंने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘भाजपा मेरा समर्थन करती है.’ उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक विचार भी ‘एक कारण’ हैं जिस वजह से गांव के मुसलमान उन पर आरोप लगा रहे हैं.
पटेल के अनुसार, एक डीजे पर गरबा संगीत बजा रहा था और रात करीब 11 बजे इसे लेकर दोनों पक्षों के बीच बहस शुरू हो गई.
सरपंच ने कहा, ‘उनके (मुस्लिम) लड़के वहां बैठे थे. उन्होंने हमें डीजे और गरबा संगीत नहीं बजाने के लिए कहा और चले गए. लेकिन फिर अचानक उन्होंने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया.’
उधर उंधेला के मुस्लिम निवासियों ने कहा कि ईद-ए-मिलाद (8-9 अक्टूबर) से लगभग 10 दिन पहले, वे आमतौर पर मस्जिद में एक पाठ करते हैं.
महजबीन बानो, जिनके पति और पिता गिरफ्तार किए गए लोगों में से हैं, ने कहा, ‘लगभग उसी समय चौक पर माइक्रोफोन पर एक पाठ किया जा रहा था और डीजे भी बज रहा था. हमने उन्हें तब तक गरबा नहीं खेलने के लिए कहा जब तक कि हम वह पाठ नहीं कर लेते. हम आम तौर पर 11.30 बजे तक तक यह पूरा हो जाता है. लेकिन बहस तेज हो गई और पथराव शुरू हो गया.’
‘वे हमें नहीं बुलाएंगे, हम उन्हें नहीं बुलाएंगे’
उंधेला के हुसैनी चौक पर एक मंदिर पहले से है. जबकि मस्जिद के सामने दूसरे बन रहे मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है.
उंधेला में हिंदू -सरपंच पटेल के अनुमान के मुताबिक, 8,000 लोगों की आबादी में से करीब 6,000 – चौक के एक तरफ रहते हैं, जबकि मुसलमान दूसरी तरफ रहते हैं. पथराव और पिटाई करने की घटना के बाद से समुदायों के बीच तनाव गहरा गया है.
दोनों समुदायों के ग्रामीणों ने दिप्रिंट से बात की और कहा कि कई दशकों से हिंदू और मुसलमान उंधेला में शांति से एक साथ रहे थे.
निवासी जितेन पटेल ने बताया, ‘हमारे गांव में पहले कोई बड़ा तनाव नहीं था. लेकिन अब हम उस तरफ नहीं जाते हैं. वे हमें नहीं बुलाएंगे, हम उन्हें नहीं बुलाएंगे.’
गांव के मुस्लिम इलाके में रहने वाले 20 साल के तौसिफ मिया को लगता है कि पटेल के सरपंच बनने के बाद चीजें बदल गईं. उन्होंने कहा, ‘2002 को छोड़ दें तो हमारे गांव में आमतौर पर काफी शांति रही है. लेकिन अब जब से पटेल सरपंच बने हैं, सब कुछ बदल गया है.’
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