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Saturday, 28 December, 2024
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समिति को बंगाल के मेडिकल कॉलेजों के छात्रों से ‘धमकी संस्कृति’ की शिकायतें मिलीं

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कोलकाता, तीन अक्टूबर (भाषा) पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विभाग को आरजी कर घटना के बाद विभिन्न सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में व्याप्त “धमकी संस्कृति और परीक्षा प्रणाली में अनियमितताओं” के बारे में छात्रों से कई शिकायतें मिली हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

सभी शिकायतें राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति को भेज दी गयीं, जिसका गठन राज्य सरकार ने जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन के बाद मंगलवार शाम को किया था। जूनियर डॉक्टर फिलहाल “पूर्ण काम बंद” हड़ताल पर हैं।

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “पिछले कुछ दिनों से हमें मेडिकल कॉलेजों में कथित धमकी संस्कृति, डराने-धमकाने की संस्कृति और परीक्षा प्रणाली में विसंगतियों के बारे में कई शिकायतें मिली हैं। हमारे पास सटीक संकलित आंकड़े नहीं हैं, लेकिन हमने सभी शिकायतों को राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति को भेज दिया है।”

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि राज्य द्वारा संचालित 25 मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में से छह से शिकायतें आई हैं।

अधिकारी ने कहा, “पिछले महीने के आखिर से ही जूनियर डॉक्टरों के आंशिक रूप से काम पर लौटने के बाद से शिकायतें आनी शुरू हो गयी हैं। कुछ शिकायतें सीधे राज्य के स्वास्थ्य सचिव को भेजी गईं और कुछ राज्य स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय को। कई अन्य शिकायतें स्वास्थ्य सेवा निदेशक को भी भेजी गईं।”

उन्होंने कहा, “हमने कुछ शिकायतों का समाधान किया है और आवश्यक कार्रवाई की गई है। हमने अब सभी शिकायतों की सूची तैयार कर ली है और उसे निवारण समिति को भेज दिया है।”

अधिकारियों के अनुसार, नादिया जिले के कॉलेज ऑफ मेडिसिन और जेएनएम अस्पताल में साथी छात्रों को धमकाने के आरोपों के बाद 40 चिकित्सकों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया तथा उन्हें केवल परीक्षा के लिए परिसर में आने की अनुमति दी गई।

जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बाद, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के पांच छात्र डॉक्टरों को कथित मनमानी और कदाचार में संलिप्तता के कारण छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया।

पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर नौ अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई बलात्कार और हत्या की घटना के विरोध में 42 दिनों के विरोध प्रदर्शन के बाद 21 सितंबर को आंशिक रूप से काम पर लौट आए थे।

हालांकि, सरकार पर वादे पूरे न करने का आरोप लगाते हुए डॉक्टरों ने मंगलवार को फिर काम बंद कर दिया।

एक प्रदर्शनकारी चिकित्सक अनिकेत महतो ने कहा, “हम शुरू से ही आरोप लगाते रहे हैं कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल कॉलेजों में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं। इस भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जाना चाहिए। हमारे आंदोलन ने जूनियर डॉक्टरों और रेजिडेंट डॉक्टरों को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की उम्मीद दी है।”

भाषा प्रशांत मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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