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Tuesday, 25 June, 2024
होमदेशमोहाली के ‘VIP’ डॉक्टरों को देते हैं आर्डर- ‘RT-PCR टेस्ट के सैंपल लेने के लिए कोई टीम हमारे फार्महाउस भेजें’

मोहाली के ‘VIP’ डॉक्टरों को देते हैं आर्डर- ‘RT-PCR टेस्ट के सैंपल लेने के लिए कोई टीम हमारे फार्महाउस भेजें’

डॉक्टरों ने बताया कि पूर्व सिविल सेवकों, सैन्य अधिकारियों, न्यायाधीशों और राजनेताओं सहित तमाम वीआईपी की तरफ से आने वाले ये फोन कॉल, खासकर बंगलों और फार्महाउस में टीम भेजने की मांग करने वाले, उनके और अस्पताल के अन्य कर्मचारियों के लिए लगातार ‘परेशानी’ की वजह बने रहे, जो कि कोविड मामलों में आई तेजी के बीच सीमित संसाधनों के साथ दिन-रात काम करने में जुटे थे.

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मोहाली: ‘आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए सैंपल लेने के लिए कोई टीम हमारे फार्महाउस भेजें’, ‘ऑक्सीजन सिलेंडर की नॉब ठीक करने के लिए किसी को भेजें’, ‘परिवार के एक सदस्य को एक निजी अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए एक एम्बुलेंस हमारे यहां भेजें.’

ये पंजाब के ‘अभिजात वर्ग’ के तरफ से किए गए कुछ ऐसे अनुरोध हैं, जिसका बोझ मोहाली स्थित सिविल अस्पताल को पिछले माह के शुरू में कोविड की बेहद घातक दूसरी लहर के दौरान लगातार झेलना पड़ा है. अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी है.

डॉक्टरों ने बताया कि पूर्व सिविल सेवकों, सैन्य अधिकारियों, न्यायाधीशों और राजनेताओं सहित तमाम वीआईपी की तरफ से आने वाले ये फोन कॉल, खासकर बंगलों और फार्महाउस में टीम भेजने की मांग करने वाले, उनके और अस्पताल के अन्य कर्मचारियों के लिए लगातार ‘परेशानी’ की वजह बने रहे, जो कि कोविड मामलों में आई तेजी के बीच सीमित संसाधनों के साथ दिन-रात काम करने में जुटे थे.

अस्पताल के एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘हमें अक्सर लोगों के घरों से आरटी-पीसीआर नमूने एकत्र करने के लिए टीमें भेजनी पड़ती हैं. एक बार यहां से करीब 60-70 किलोमीटर दूर स्थित एक फार्महाउस में एक टीम भेजने को कहा गया, ताकि आरटी-पीसीआर टेस्ट का सैंपल लिया जा सके. फिर एक अन्य कॉल आई कि कर्मचारियों को उनके ऑक्सीजन सिलेंडर के नॉब ठीक करने के लिए भेजा जाए.’

डॉक्टर ने कहा, ‘एक व्यक्ति हर दूसरे दिन सैंपल घर से लेने के लिए फोन करता है. कभी कहता है कि उसका गला दर्द कर रहा है, कभी कहता है कि उसे कई बार छींकें आई हैं, कभी वह कहता है कि एक कोविड पॉजिटिव व्यक्ति उसके घर के बगल में है, और इसलिए एक बार टेस्ट कराना चाहता है. ऐसे टेस्ट उन लोगों के लिए मुफ्त होते हैं जो टेस्ट कराने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन हमें ऐसे सक्षम लोगों की सेवा करनी पड़ती है.’

डॉक्टर ने आगे कहा कि कुछ वीआईपी निजी अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए भी एम्बुलेंस मांगते हैं. डॉक्टर ने कहा, ‘वे फोन करके कोई एम्बुलेंस भेजने को कहते हैं, ताकि इलाज के लिए किसी निजी अस्पताल जा सकें. ऐसा क्यों नहीं करते कि निजी अस्पताल से एम्बुलेंस की सुविधा लेकर उसके लिए भुगतान करें और इसे उन गरीबों के लिए छोड़ दें जो भुगतान नहीं कर सकते? कभी-कभी तो एम्बुलेंस पूरे दिन इनकी सेवा में ही लगी रहती है.’

अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि इस तरह अनुरोधों के बावजूद वे ‘स्थिति को अच्छी तरह से संभालते हैं’ और यह सुनिश्चित करते हैं कि इसके कारण आम लोगों को कोई परेशानी न हो.

एक दूसरे डॉक्टर ने कहा, ‘ये वीआईपी संस्कृति हर जगह मौजूद है. ये लोग सोचते हैं कि इन सेवाओं के हकदार हैं. लेकिन हम व्यवस्था करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि संतुलन बना रहे. हम आम लोगों को परेशानी नहीं होने देते. हालांकि यह काफी मुश्किल हैं, खासकर जब हम यहां कम संख्या में कर्मचारियों और सीमित संसाधनों के साथ काम कर रहे हैं.’

बहरहाल, ‘वीआईपी’ मामलों को देखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी वजह से महत्वपूर्ण कामकाज में किसी तरह की बाधा न हो, मोहाली सिविल अस्पताल प्रशासन ने अनौपचारिक तौर पर एक वीआईपी टेस्टिंग रूम और एक अलग वैक्सीनेशन यूनिट भी बना दी है.

‘ऐसे अनुरोधों को अनसुना करने को कहा’

मोहाली के जिला आयुक्त गिरीश दयालन ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान कहा कि हालांकि डॉक्टरों को ऐसे अनुरोधों का सामना करना पड़ता होगा लेकिन उन्हें ‘इस पर ध्यान न देने’ को कहा गया है.

दयालन ने कहा, ‘हो सकता है कि 20 अनुरोधों में से एक पर अमल किया गया हो, जब किसी टीम को टेस्ट के लिए वीआईपी आवास भेजा गया हो. हां, अस्पताल के पास ऐसे अनुरोध आते रहते हैं लेकिन हमने उन्हें इन पर गौर न करने को कह रखा है.’


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दयालन ने बताया कि हालांकि सरकार की तरफ से ‘घर-घर जाकर सैंपल जुटाने’ जैसा कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन बाजारों, ग्रामीण क्षेत्रों और कंटेनमेंट जोन में लोगों के टेस्ट के लिए मोबाइल वैन और कैंप लगाए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘बहुत कम लोग टेस्टिंग के लिए अस्पताल आते हैं लेकिन हम यह सुनिश्चित करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा टेस्ट सुनिश्चित करने के लिए हर जगह कैंप लगाए जाएं. इस प्रक्रिया के दौरान कोई टीम विशेष अनुरोध पर किसी के घर गई होगी, लेकिन हम आमतौर पर कैंप में लोगों का टेस्ट करते हैं. यही नहीं अगर हमें किसी वीआईपी से ऐसा कोई अनुरोध मिलता है, तो हम इसे किसी निजी लैब को आउटसोर्स करते हैं, जो घर जाकर सैंपल जुटाने का काम करती है.’

मई में मोहाली से 900 से अधिक मौतें हुई है, जिनमें से 86 मोहाली सिविल अस्पताल में हुई हैं.

वीआईपी टेस्टिंग और वैक्सीनेशन के लिए अलग बूथ

मोहाली सिविल अस्पताल में कमरा नंबर 46 वीआईपी के सैंपल एकत्र करने के लिए रिजर्व कर दिया गया है, जिसमें दो सदस्यों की टीम है—एक नर्सिंग स्टाफ और एक डाटा एंट्री ऑपरेटर. मोहाली मेडिकल कॉलेज में एक वीआईपी वैक्सीनेशन सेंटर भी स्थापित किया गया है ताकि अस्पताल बिना किसी बाधा आम लोगों को सुविधा दे सके.

नतीजतन, वीआईपी को अपने सैंपल देने या टीका लगवाने के लिए लंबी कतारों में इंतजार नहीं करना पड़ता है.

प्रभारी डॉक्टर, जो अपना नाम उजागर नहीं करना चाहते ने दिप्रिंट से कहा, ‘यदि कोई वीआईपी या उनके परिवार के सदस्य या उनकी सिफारिश लेकर कोई व्यक्ति टेस्टिंग के लिए आता है, तो हम इसी कमरे में सैंपल लेते हैं. हमारे यहां दो लोग ड्यूटी पर हैं जो सैंपल लेते हैं.’

‘पहले रोजाना 50-60 वीआईपी सैंपल देने आते थे, लेकिन अब केस कम होने के कारण हर दिन 9-10 लोग ही आ रहे हैं.

एक अलग वैक्सीनेशन यूनिट के लिए पंजाब सिविल सेवा के एक अधिकारी को प्रभारी बनाया गया है.

एक तीसरे डॉक्टर ने कहा, ‘यह सेंटर उच्च पदस्थ अधिकारियों, सैन्य कर्मियों, सेवानिवृत्त अधिकारियों और यहां तक कि पत्रकारों के लिए भी है. हमारे पास ऊपर से कोई अनुरोध आता है, तो हम उन्हें इस सेंटर में जाने के लिए कहते हैं.’

डीसी दयालन, जिन्होंने यह सेंटर स्थापित करने के निर्देश दिए थे, ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसा ये सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि सभी लोगों को टीका लग सके.

उन्होंने कहा, ‘हमारा लक्ष्य सभी का टीकाकरण करना है और किसी को लौटाना नहीं है. कभी-कभी लोग बिना अपॉइंटमेंट के ही सिविल अस्पताल में टीका लगवाने पहुंच जाते हैं, इसलिए हम उन्हें इस फैसिलिटी में भेज देते हैं. हां, कई बार उच्च अधिकारियों की तरफ से भी हमारे पास अनुरोध आते हैं, जिन्हें इसी फैसिलिटी में भेजा जाता है.’

वीआईपी वैक्सीनेशन सेंटर में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कहा कि यह यूनिट ‘स्टाफ और दिव्यांग लोगों’ के लिए थी.

ड्यूटी पर मौजूद डॉ. अनुराधा ने कहा, ‘मैं इसे वीआईपी यूनिट नहीं कहूंगी. यह यूनिट यहां के स्टाफ और ऐसे लोगों को टीका लगना सुनिश्चित करने के लिए है जो दिव्यांग हैं. हम एक दिन में औसतन 300 से अधिक लोगों का टीकाकरण कर रहे हैं.’

उन्होंने बताया, ‘दिव्यांगों के लिए हम जाकर टीकाकरण भी करते हैं, इसलिए उन्हें बाहर निकलने की जरूरत नहीं है.’

पहली बार नहीं

यह पहली बार नहीं है कि ‘प्रभावशाली’ लोगों के ऐसे अनुरोधों के कारण सिस्टम पर बोझ पड़ा है.

पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान वीआईपी की तरफ से कथित तौर पर चंडीगढ़ प्रशासन और काउंसलर से लगातार ‘निक बेकर्स से ताजा बेक्ड ब्रेड, फिगारो ऑलिव ऑयल, बास्किन रॉबिंस की आइसक्रीम, ताजा स्ट्रॉबेरी और स्किम्ड मिल्क’ जैसी चीजें उपलब्ध कराने को कहा जा रहा था.

अधिकारियों के अनुसार ऐसा इसलिए था क्योंकि वे ‘अपने निर्धारित आहार में ब्रेक’ नहीं दे चाहते थे.

चंडीगढ़ में सेक्टर 27 और 28 के कांग्रेस पार्षद दविंदर बाबला ने कहा, ‘सभी वीआईपी एक जैसे ही होते हैं. हर कोई अपने घरों में आराम से टेस्ट कराना चाहता है और इसलिए इस तरह के अनुरोध करता है. वे अपने बच्चों तक का टीकाकरण करने को कहते हैं और कई यह सुनिश्चित करते हैं कि उन्हें टीका लग जाए, लेकिन पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री टीकाकरण पर ऐसे अनुरोधों को लेकर बहुत सख्त हैं, क्योंकि पहले से ही इनकी कमी है.’

उन्होंने कहा, ‘पिछले साल लॉकडाउन के दौरान जब बड़ी संख्या में लोगों को भोजन मिलना तक मुश्किल हो रहा था, ये वीआईपी ताजी ब्रेड, स्ट्रॉबेरी मंगाने में व्यस्त थे.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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