कोयंबटूर (तमिलनाडु), 17 दिसंबर (भाषा) कोयंबटूर में 1998 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मुख्य साजिशकर्ता एस ए बाशा की यहां एक निजी अस्पताल में मौत हो गई। वह उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहा था। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि 84 वर्षीय बाशा की मौत 16 दिसंबर की शाम को हुई।
एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार शाम को प्रस्तावित बाशा की अंतिम यात्रा के मद्देनजर शहर में पुलिस बल तैनात किया गया है।
‘इंडियन नेशनल लीग’ पार्टी के नेता जे रहीम ने कहा, ‘‘वह पैरोल पर बाहर आया हुआ था और पिछले कुछ समय से उसकी तबीयत खराब थी। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां सोमवार शाम उसकी मौत हो गई।’’
बाशा 35 साल जेल में रहा।
बाशा और अल-उम्मा के 16 अन्य सदस्य बम धमाकों के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय ने उसे पैरोल दी थी।
पुलिस ने बताया कि बाशा के परिवार के सदस्य साउथ उकदम से फूल बाजार स्थित हैदर अली टीपू सुल्तान सुन्नत जमात मस्जिद तक अंतिम यात्रा निकालने की तैयारी कर रहे हैं। उसने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना की आशंका को देखते हुए पर्याप्त पुलिस बल तैनात कर दिया है।
बाशा प्रतिबंधित संगठन अल-उम्मा का संस्थापक-अध्यक्ष था और उसने 14 फरवरी 1998 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों की साजिश रची थी जिसमें 58 लोगों की जान चली गई थी। पुलिस ने बताया कि धमाकों में 231 लोग घायल हुए थे।
अपराध शाखा की विशेष जांच टीम ने मई 1999 में बाशा के खिलाफ एक आरोपपत्र दायर किया, जिसमें उस पर आत्मघाती दल का इस्तेमाल करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता लालकृष्ण आडवाणी की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।
इस बीच, भाजपा की तमिलनाडु इकाई के उपाध्यक्ष नारायणन तिरुपति ने पुलिस से अंतिम यात्रा के लिए अनुमति न देने का आग्रह किया है, क्योंकि अगर किसी अपराधी, आतंकवादी, हत्यारे का अंतिम संस्कार इस तरह से किया जाता है तो इससे समाज में एक गलत संदेश जाएगा।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘इसमें कोई संदेश नहीं है कि किसी भी व्यक्ति को चाहे वह कितना भी बड़ा हत्यारा क्यों न हो, उसके अंतिम संस्कार की अनुमति दी जानी चाहिए लेकिन यह शांतिपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए न कि ऐसे किसी बड़े सम्मान के साथ जिसका वह हकदार ही नहीं है।’’
भाषा
खारी नरेश
नरेश
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