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Friday, 15 November, 2024
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हरियाणा में पुलिस और माइनिंग गार्ड की नौकरियों में अग्निवीरों के लिए CM ने की 10% आरक्षण की घोषणा

हरियाणा, राजस्थान और यूपी में अग्निपथ योजना एक बड़ा चुनावी मुद्दा था. कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, ‘लोग योजना को वापस लेना चाहते हैं, नौकरियों में आरक्षण नहीं.’

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गुरुग्राम: हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बुधवार को पुलिस, जेल और माइनिंग गार्ड की नौकरियों में अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की. यह कदम अक्टूबर में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उठाया गया है.

चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ग्रुप सी के सरकारी पदों में अग्निवीरों के लिए 5 प्रतिशत और ग्रुप बी की नौकरियों में 1 प्रतिशत आरक्षण की भी घोषणा की. इसके अलावा, ग्रुप सी और ग्रुप डी दोनों पदों के लिए तीन साल की आयु सीमा में छूट दी जाएगी. अग्निवीरों के पहले बैच के लिए यह आयु सीमा पांच साल होगी.

इसके अलावा, जो लोग अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, उन्हें 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त कर्ज़ दिया जाएगा.

एक्स पर एक पोस्ट में सीएम सैनी ने कहा, “हरियाणा सरकार ने अग्निवीरों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. सरकारी भर्ती से लेकर निजी उद्योगों तक, उनके हितों का अच्छी तरह से ध्यान रखा जाएगा. कांस्टेबल, माइनिंग गार्ड, फॉरेस्ट गार्ड, जेल वार्डन और एसपीओ जैसे पदों की भर्ती में अग्निवीरों को 10% आरक्षण मिलेगा.”

अग्निवीरों को ग्रुप सी सिविल पदों में 5 प्रतिशत और ग्रुप बी पदों में 1 प्रतिशत आरक्षण भी मिलेगा. अग्निवीरों को 30,000 रुपये प्रति माह से अधिक वेतन देने वाली औद्योगिक इकाइयों को सरकार से 60,000 रुपये की वार्षिक सब्सिडी मिलेगी.

एक्स पर एक अन्य पोस्ट में सैनी ने लिखा कि हरियाणा सरकार “अग्निवीरों के कल्याण में अग्रणी है”.

पोस्ट में आगे कहा गया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों के अनुरूप, हम किसानों और सैनिकों के हितों को प्राथमिकता देते हैं. अग्निवीरों को छोटे बिजनेस शुरू करने के लिए 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त कर्ज़ मिलेगा. उन्हें शस्त्र लाइसेंस के लिए भी प्राथमिकता दी जाएगी. सरकारी विभागों, बोर्डों या निगमों में तैनाती चाहने वालों को उनके मैट्रिक्स स्कोर के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी.”

अग्निपथ योजना 2022 में केंद्र द्वारा शुरू की गई थी. इसके तहत, साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के लोगों को चार साल की अवधि के लिए तीनों सशस्त्र बलों में सैनिक (अग्निवीर) के रूप में भर्ती किया जाता है. उन्हें कोई पेंशन पात्रता नहीं है, और केवल 25 प्रतिशत को चार साल के बाद सेवाओं में रखा जाएगा.

इसके लागू होने के बाद से योजना विवादों से घिरी रही है और देश भर में इसका विरोध हुआ, जिसमें आलोचकों ने चार साल की सेवा के बाद बचने वालों के अनिश्चित भविष्य को उजागर किया.

लोकसभा चुनावों के दौरान, विपक्ष ने इस योजना को लेकर भाजपा पर अपना हमला तेज़ कर दिया था और यह हरियाणा और पड़ोसी राजस्थान में एक बड़ा विवाद बन गया था.

हरियाणा में कांग्रेस और इनेलो ने इस योजना का विरोध किया और संसदीय चुनावों के नतीजों से पता चला कि हरियाणा ही नहीं बल्कि राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी उच्च रक्षा भर्ती वाले क्षेत्रों में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा.

संसद के हालिया सत्र में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अग्निवीरों को मुआवजा देने पर बहस हुई, जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि शहीद अग्निवीर के परिवार को मुआवजा नहीं मिला. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तब उनके दावों का खंडन किया था और कहा था कि शहीद अग्निवीरों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये दिए गए थे.

हालांकि, दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि लोग अग्निपथ योजना को पूरी तरह से वापस लेना चाहते हैं.

उन्होंने कहा, “जब केंद्र ने केंद्रीय बलों में अग्निवीरों के लिए कोटा की घोषणा की, तो मैंने कहा कि इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण पहले से ही है. अब, हरियाणा सरकार ने इसे दोहराया है, लेकिन हरियाणा के लोगों की मांग है कि अग्निपथ योजना को वापस लिया जाना चाहिए और सशस्त्र बलों में भर्ती युवाओं को 2022 से पहले की तरह अपना कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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