नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि बदरपुर में केंद्रीय विद्यालय एनटीपीसी को इस आधार पर बंद करना समाज के लिए नुकसानदेह होगा कि अब बिजली संयंत्र बंद हो गया है। अदालत ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि संस्थान चलता रहे।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जब तक दिल्ली के उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक समिति कोई समाधान नहीं निकालती, तब तक एनटीपीसी स्कूल का वित्तपोषण जारी रखेगी। राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) का स्वामित्व और नियंत्रण सरकार के पास है। स्कूल में स्थानीय बच्चे पढ़ते हैं।
पीठ ने कहा, “ अदालत को उम्मीद है कि समिति इस मुद्दे का समाधान करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 1981 से संचालित हो रहा स्कूल बंद न हो। कहने की जरूरत नहीं है कि समाधान निकलने तक एनटीपीसी संबंधित स्कूल का वित्तपोषण करता रहेगा।” पीठ में न्यायमूर्ति संजीव नरूला भी शामिल हैं।
अदालत ने कहा कि उपराज्यपाल और मुख्य सचिव (नोडल अधिकारी के तौर पर) के अलावा समिति में केंद्रीय विद्यालय संगठन आयुक्त, संबंधित मंत्रालय का एक अधिकारी और अभिभावकों तथा शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों के साथ-साथ एनटीपीसी शामिल होगी।
अदालत का आदेश गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सोशल जूरिस्ट’ की याचिका पर आया है जिसने केंद्रीय विद्यालय एनटीपीसी बदरपुर को कथित रूप से बंद करने के खिलाफ याचिका दायर की थी।
इससे पहले अदालत ने स्कूल को बंद नहीं करने का आदेश दिया था।
सुनवाई के दौरान अदालत को यह भी बताया गया कि पांच साल पहले बिजली संयंत्र के बंद होने के बाद वहां कार्यरत अधिकारियों के बच्चे अब स्कूल में नहीं पढ़ रहे हैं और जमीन भी केंद्र को सौंप दी गई है।
अदालत ने टिप्पणी की कि स्कूल को बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि आसपास के इलाकों के बच्चे विद्यालय में पढ़ते हैं और एनटीपीसी स्कूल बंद करने की मांग नहीं कर सकता।
मामले की अगली सुनवाई आठ नवंबर को होगी।
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