scorecardresearch
Wednesday, 29 May, 2024
होमदेशजलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जलवायु न्याय को मार्गदर्शक होना चाहिए: उपराष्ट्रपति धनखड़

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जलवायु न्याय को मार्गदर्शक होना चाहिए: उपराष्ट्रपति धनखड़

Text Size:

नयी दिल्ली, सात फरवरी (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में जलवायु न्याय की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सबसे कमजोर समुदायों पर जलवायु परिवर्तन के असंगत प्रभाव को देखते हुए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रयासों में जलवायु न्याय की अहम भूमिका होनी चाहिए।

स्वतंत्र ‘थिंक टैंक’ टेरी द्वारा आयोजित विश्व सतत विकास सम्मेलन को संबोधित करते हुए धनखड़ ने वैश्विक पर्यावरण संरक्षण और जलवायु न्याय पहल में भारत की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक नेतृत्व को सभी स्तर पर पर्यावरण संरक्षण और जलवायु न्याय को मुख्यधारा में लाना चाहिए, इन सिद्धांतों को हमारे समाज के ढांचे में शामिल करना चाहिए।’’

धनखड़ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन असमान रूप से सबसे कमजोर लोगों को प्रभावित करता है ‘‘इसलिए, जलवायु न्याय को इसका मार्गदर्शक बनने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने लगातार सतत विकास और पर्यावरण प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई है और सुझाव दिया है कि देश की टिकाऊ प्रथाओं की परंपरा पर्यावरण-अनुकूल और समावेशी विकास मॉडल को अपनाने में दुनिया के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम कर सकती है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अपने महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों और आर्थिक विकास तथा पारिस्थितिक संरक्षण में सामंजस्य स्थापित करने वाली पहल के साथ, भारत विश्व स्तर पर देशों के लिए ‘‘प्रेरणास्रोत’’ के रूप में खड़ा है। उन्होंने कहा कि सतत विकास की कुंजी स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बदलाव है।

पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने और जलवायु न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु न्याय को कायम रखने वाले एक राष्ट्र के रूप में, हमारा मानना है कि ऊर्जा तक पहुंच सभी नागरिकों का अधिकार है और इसलिए, ऊर्जा सस्ती और स्वच्छ होनी चाहिए।’’

यादव ने कहा कि 2017 और 2023 के बीच, भारत ने लगभग 100 गीगावॉट स्थापित बिजली क्षमता जोड़ी, जिसमें से 80 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन संसाधनों से आया।

उन्होंने इस पर जोर दिया कि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने और अनुकूलन में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और वित्त से संबंधित चुनौतियों का ‘‘अभी भी समाधान किया जाना बाकी है।’’

भाषा आशीष देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments