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सोमवार, 5 मई, 2025
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जलवायु परिवर्तन वैश्विक खतरा, वन देश के फेफड़े : उपराष्ट्रपति धनखड़

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(तस्वीर सहित)

सिरसी (कर्नाटक), पांच मई (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को चेतावनी दी कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक खतरा और गंभीर संकट है, जिसके परिणाम अनिश्चित हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के ‘फेफड़े’ कहलाने वाले वनों का अच्छी स्थिति में होना लोगों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।

धनखड़ ने इस बात को रेखांकित किया कि जब किसी देश के वन अच्छी स्थिति में होते हैं, तो वहां के लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, क्योंकि वन देश के फेफड़े हैं।

उन्होंने कहा, “कृषि हमारी जीवन रेखा है, लेकिन वन भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं-वे जलवायु को नियंत्रित करते हैं, आपदाओं को रोकते हैं और विशेष रूप से गरीबों एवं हाशिये पर पड़े लोगों की आजीविका का जरिया बनते हैं।”

‘राष्ट्र निर्माण में वानिकी की भूमिका’ पर एक विशेष कार्यक्रम के दौरान वानिकी महाविद्यालय के संकाय सदस्यों और छात्रों से बातचीत में धनखड़ ने सभी से वनों की रक्षा करने और हर संभव तरीके से योगदान देने का संकल्प लेने का आग्रह किया।

उन्होंने आगाह किया, “जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है। स्थिति चिंताजनक रूप से खतरनाक है और हमारे पास धरती माता के अलावा (रहने योग्य) कोई अन्य ग्रह नहीं है।”

भारत के सभ्यतागत मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “यह भूमि आध्यात्मिकता और स्थिरता का संगम है। स्थिरता केवल अर्थव्यवस्था के लिए ही आवश्यक नहीं है, यह स्वस्थ जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है। हमारी वैदिक संस्कृति ने हजारों वर्षों से इसे बढ़ावा दिया है और आज सतत विकास के अलावा कोई विकल्प नहीं है।”

उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के खिलाफ चेतावनी दी और सोच-समझकर उपभोग करने का आह्वान किया।

धनखड़ ने कहा, “हमें खुद को केवल उन्हीं चीजों तक सीमित रखना चाहिए, जो वास्तव में आवश्यक हैं और अपने कदमों के प्रभाव के बारे में जागरूक रहना चाहिए।”

गहन पारिस्थितिक चेतना का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “हमें आत्म-बोध की भावना विकसित करनी चाहिए कि हम पृथ्वी, वनों, पारिस्थितिकी तंत्र, वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के संरक्षक हैं, न कि केवल उपभोक्ता। इन चीजों की उपलब्धता भावी पीढ़ियों के लिए छोड़ना हमारा कर्तव्य है।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरण का क्षरण केवल मानवता को ही नहीं, बल्कि समस्त जीवन को प्रभावित करता है।

धनखड़ ने कहा, “आज, हम अपने पर्यावरण की रक्षा एवं संरक्षण करने और इस बढ़ते संकट का समाधान ढूंढने की अग्निपरीक्षा का सामना कर रहे हैं।”

टिकाऊ भविष्य के निर्माण में शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “कोई भी संस्थान अलग-थलग होकर काम नहीं कर सकता। इससे पहले, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, पर्यावरण और वन शिक्षा को अलग-अलग पढ़ाया जाता था। आज सीखने के लिए हमें अंतःविषयक और समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।”

भाषा पारुल अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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