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Saturday, 21 December, 2024
होमदेश‘जलवायु परिवर्तन, कृषि संकट, विस्थापन’: दुनिया का सबसे गर्म महीना होने वाला है जुलाई 2023

‘जलवायु परिवर्तन, कृषि संकट, विस्थापन’: दुनिया का सबसे गर्म महीना होने वाला है जुलाई 2023

जर्मनी की लीपज़िंग यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक डॉ. कार्स्टन हॉस्टीन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, कोयला, तेल, गैस जलाने और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा.

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नई दिल्ली: जुलाई 2023 विश्व इतिहास में अब तक का सबसे गर्म महीना होने वाला है जिसका औसत तापमान जुलाई 2019 की तुलना में काफी अधिक है. हाल ही में जर्मनी की लीपज़िंग यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक डॉ. कार्स्टन हॉस्टीन द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में यह पता चला है.

रिपोर्ट के मुताबिक, कोयला, तेल, गैस जलाने और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा. विश्लेषण के अनुसार, जुलाई 2023 के पहले 23 दिन के दौरान वैश्विक औसत तापमान 16.95 डिग्री सेल्सियस था जो जुलाई 2019 के पूरे महीने के लिए दर्ज 16.63 डिग्री से काफी अधिक है.

संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) और यूरोपीय संघ की कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा ने एक संयुक्त बयान में कहा, “अधिक संभावना” है कि जुलाई 2023 पिछले सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ देगा.

डब्ल्यूएमओ ने कहा कि 6 जुलाई को दैनिक औसत तापमान अगस्त 2016 के उच्चतम स्तर को पार कर गया जिससे यह रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दिन बन गया. पांच जुलाई और सात जुलाई उससे कुछ ही पीछे थे.

मेन यूनिवर्सिटी के क्लाइमेट चेंज इंस्टीट्यूट की ओर से जारी आंकड़ों में भी कहा गया है कि जुलाई के पहले 20 दिनों में तापमान 1979 से 2021 के औसत तापमान से ज्यादा दर्ज किया गया.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गुरुवार को न्यूयॉर्क में कहा, “सटीक जानकारी के लिए हमें महीने के अंत तक इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है. कुछ दिनों में जुलाई 2023 सभी पुराने रिकॉर्ड को तोड़ देगा.”

उन्होंने कहा, “यह भयावह है और केवल शुरुआत है. ग्लोबल वार्मिंग का युग आ गया है.’’

तापमान में वृद्धि उत्तरी अमेरिका, एशिया और यूरोप के बड़े हिस्सों में भीषण गर्मी के कारण हुई है. इससे कनाडा और यूनान सहित कई देशों में लोगों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्थाओं पर भी खासा प्रभाव पड़ा है. भारत, पाकिस्तान के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में आ गए, जिससे भयानक मंज़र सामने आया और हज़ारों लोगों को घरों से विस्थापित होना पड़ा.

डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेटेरी तालास ने एक बयान में कहा कि जुलाई में जिस प्रतिकूल मौसम ने लाखों लोगों को प्रभावित किया है, वो दुर्भाग्य से जलवायु परिवर्तन की कठोर वास्तविकता और भविष्य के लिए एक संकेत है.


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‘174 साल में सबसे अधिक तापमान’

जुलाई में हुई गर्मी का असर दुनिया भर में देखा गया है. हज़ारों पर्यटक रिहायशी इलाकों को छोड़कर चले गए और कई अन्य को अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा. उत्तर पश्चिमी चीन के एक क्षेत्र में तापमान 52.2 डिग्री तक बढ़ गया, जिसने राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ दिया.

कार्स्टन हॉस्टीन ने कहा, “जुलाई 2023 और 2019 के बीच का अंतर इतना अधिक है कि हम पहले से ही पूर्ण निश्चितता के साथ कह सकते हैं कि यह सबसे गर्म जुलाई होने वाली है.”

आमतौर पर जुलाई के लिए वैश्विक औसत तापमान 16 डिग्री के आसपास होता है, जिसमें दक्षिणी गोलार्ध की सर्दी भी शामिल है, लेकिन इस जुलाई में यह बढ़कर 17 डिग्री यानी के आसपास पहुंच गया है.

हॉस्टीन ने कहा, इसके अलावा, “सुव्यवस्थित जलवायु रिकॉर्ड जैसे बर्फ, और पेड़ों के छल्लों जैसी चीज़ें सुझाव देते हैं कि पृथ्वी 120,000 वर्षों में इतनी गर्म नहीं हुई है.”

हॉस्टीन का विश्लेषण प्रारंभिक तापमान डेटा और मौसम मॉडल पर आधारित है, जिसमें इस महीने के अंत तक पूर्वानुमानित तापमान भी शामिल है.


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कृषि क्षेत्र पर भी पड़ा प्रभाव

इस गर्म तापमान ने धरती के कईं हिस्सों को प्रभावित किया है, जबकि रेगिस्तान में रात का समय आमतौर पर ठंडा होता है. अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया में स्थित डेथ वैली में इस महीने विश्व स्तर पर अब तक की सबसे गर्म रात दर्ज की गई.

कनाडा के जंगल की आग अभूतपूर्व गति से जल रही है और फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और पोलैंड भीषण गर्मी की चपेट में हैं, इटली के सिसिली द्वीप पर पारा 40 के दशक के मध्य तक पहुंच गया है, जिसका एक हिस्सा आग की लपटों से घिरा हुआ है.

फ्लोरिडा से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक समुद्र तट पर गर्म लहरें चल रही हैं, जिससे मूंगा चट्टानों के खत्म होने की चिंता बढ़ गई है.

जुलाई ने गर्मी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए और इस दौरान फ्रांस, जर्मनी, चेकिया, ब्राजील, मॉरीशस, जापान के कुछ हिस्सों गिरावट दर्ज की गई. फिलीपींस, पेरू जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ईरान के पहाड़ी हिस्सों, मोरक्को, के कुछ हिस्सों में रात के समय मौसम गर्म रहा.

जुलाई में दुनिया के अन्य हिस्से अभूतपूर्व बाढ़ से प्रभावित रहे. भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भूटान में भी बड़े पैमाने पर आई बाढ़ से लोगों की मौतें हुई.

अमेरिका में वर्मोंट, उत्तरी न्यूयॉर्क और दक्षिण-पश्चिमी केंटुकी में बाढ़ के कारण कईं घर जलमग्न हो गए और पाकिस्तान के लाहौर में रिकॉर्ड तोड़ 291 मिमी बारिश हुई, जिसमें कम से कम 50 लोग मारे गए— जिनमें से 8 बच्चे थे.

भारत के कुछ हिस्सों में रिकॉर्ड बारिश हुई, जिससे सड़कें, पुल और घर ढह गए और हज़ारों लोग विस्थापित हुए कम से कम 100 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

12-14 जुलाई तक यमुना नदी में लगातार वृद्धि के कारण दिल्ली के पूर्वी और उत्तरी जिलों में बाढ़ आई. नदी का स्तर अब तक के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया.

जलवायु आपदाओं से सीधे तौर पर प्रभावित नहीं होने वाले देशों को इसका प्रभाव बाद में 2023 में महसूस हो सकता है, क्योंकि जलवायु-असुरक्षित देशों और फसल उत्पादक क्षेत्रों की फसलें अत्यधिक गर्मी, सूखे और बाढ़ से प्रभावित होती हैं, जिसका वैश्विक ब्रेडबास्केट पर प्रभाव पड़ता है.

वैज्ञानिकों ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में सोयाबीन और चावल जैसी बड़ी फसल के नुकसान के कारण हीटवेव खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल रही है, जिससे वैश्विक कीमतें और खाद्य उपलब्धता प्रभावित हो रही है.

लंदन में ग्रांथम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज के वैज्ञानिक फ्रेडरिक ओटो ने कहा, ‘‘वैश्विक औसत तापमान (स्वयं) किसी की जान नहीं लेता है, लेकिन ‘अब तक की सबसे गर्म जुलाई’ दुनिया भर में चरम मौसम की घटनाओं में प्रकट होती है.’’

अल- नीनो आमतौर पर दुनिया भर में गर्म तापमान प्रदान करता है, जो मानव-जनित जलवायु परिवर्तन से प्रेरित वार्मिंग को दोगुना कर देता है. हॉस्टीन ने कहा, हालांकि अल नीनो का प्रभाव इस साल के अंत में और 2024 में चरम पर पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन इसने ‘‘तापमान को बढ़ाने में मदद करना शुरू कर दिया है’’.

जुलाई परंपरागत रूप से वर्ष का सबसे गर्म महीना है और यूरोपीय संघ ने कहा कि उसे उम्मीद नहीं है कि अगस्त इस महीने के रिकॉर्ड को पार कर जाएगा.

हालांकि, वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 2016 को पीछे छोड़ते हुए 2023 या 2024 रिकॉर्ड बुक में सबसे गर्म साल के रूप में समाप्त होगा.


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