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Monday, 23 December, 2024
होमदेश'2020 के बाद से 99% पासपोर्ट सत्यापन', J&K पुलिस ने महबूबा मुफ्ती की बेटी के आरोप का खंडन किया

‘2020 के बाद से 99% पासपोर्ट सत्यापन’, J&K पुलिस ने महबूबा मुफ्ती की बेटी के आरोप का खंडन किया

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के सीआईडी विभाग द्वारा 'प्रतिकूल रिपोर्ट' के बाद उन्हें पासपोर्ट से वंचित कर दिया गया था.

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नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर (J & K) पुलिस ने इन दावों का खंडन किया है कि अधिकांश कश्मीरियों के पासपोर्ट आवेदन को ‘गलत सूचनाओं’ के आधार पर खारिज कर दिया जा रहा है.

शुक्रवार को जारी एक बयान में यह कहा गया है कि 2020 के बाद से पासपोर्ट कार्यालय द्वारा 99 प्रतिशत से अधिक आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है. दिप्रिंट के पास बयान की एक प्रति है.

जम्मू-कश्मीर पुलिस का यह बयान जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती द्वारा लगाए गए आरोप के बाद आया है. महबूबा मुफ्ती की बेटी ने दावा किया गया था कि उन्हें जम्मू-कश्मीर पुलिस के सीआईडी विभाग द्वारा ‘प्रतिकूल रिपोर्ट’ के बाद पासपोर्ट से वंचित कर दिया गया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 35 वर्षीय इल्तिजा मुफ्ती ने पिछले साल 8 जून को नए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, क्योंकि उनका मौजूदा पासपोर्ट इस साल 2 जनवरी को समाप्त होने वाला था. पासपोर्ट के लिए उसके आवेदन को मंजूरी नहीं मिलने के बाद उन्होंने फरवरी में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का रुख किया था.

29 मार्च को, CID ने उच्च न्यायालय को यह कहते हुए उसकी रिट याचिका को खारिज करने की मांग की कि उसकी अंतिम सत्यापन रिपोर्ट संबंधित विभाग को फरवरी में भेज दी गई थी. इसकी जानकारी मीडिया रिपोर्टों से मिली.

हालांकि, अदालत ने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय (आरपीओ) को मामले को देखने का निर्देश दिया था. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इसके बाद, आरपीओ द्वारा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि मुफ्ती, जो उच्च अध्ययन के लिए विदेश जाना चाहती हैं, को एक पासपोर्ट जारी किया गया था जो 5 अप्रैल 2023 से 4 अप्रैल 2025 तक वैध है.

हालांकि, शुक्रवार को श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन में मुफ्ती ने आरोप लगाया कि सीआईडी पासपोर्ट के मुद्दे पर उच्च न्यायालय में मुकदमा चलाने से बचने के लिए उन पर दबाव बना रही थी.

उन्होंने कहा था कि ये लोग झूठ से भर हुए हैं.

मुफ्ती ने आरोप लगाया, ‘मेरा पासपोर्ट जारी नहीं किया जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए ‘प्रतिकूल रिपोर्ट’ दाखिल कर वे मेरे अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इसमें जोड़ने के लिए, प्रतिकूल रिपोर्ट को शीर्ष रहस्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इसके टॉप सीक्रेट होने का एकमात्र कारण यह है कि सीआईडी के पास मेरे खिलाफ कुछ भी ठोस नहीं है.’

मार्च 2021 में, महबूबा और उनकी 80 वर्षीय मां गुलशन नज़ीर को कथित तौर पर उनके खिलाफ ‘प्रतिकूल रिपोर्ट’ का हवाला देते हुए पासपोर्ट देने से मना कर दिया गया था.

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शुक्रवार को अपने बयान में मुफ्ती के उन आरोपों का भी खंडन किया कि उन पर उच्च न्यायालय में मुकदमा चलाने से रोकने के लिए दबाव बनाया जा रहा था.

बयान में कहा गया है, ‘जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी ने किसी भी तरह से याचिकाकर्ता पर उसकी पासपोर्ट संबंधी शिकायतों (एसआईसी) के संबंध में उच्च न्यायालय में मुकदमा चलाने से परहेज करने का दबाव नहीं डाला है.’

इसमें कहा गया है कि अधिक जानकारी के लिए पीड़ित व्यक्ति से बात करने के लिए अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जा रही है ताकि जांच के बाद अपराधी के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिल सके.

आंकड़ों को साझा करते हुए, पुलिस ने दावा किया कि 2020 में, सत्यापन के लिए मिले हुए पासपोर्ट में से 99.95 प्रतिशत को मंजूरी दे दी गई थी. यह आंकड़ा 2021 में 99.68 प्रतिशत और 2022 में 99.61 प्रतिशत था.

‘उच्च मूल्य सार्वजनिक सेवा’

पुलिस ने यह भी कहा कि पासपोर्ट जारी करने से पहले सुरक्षा सत्यापन एक ‘उच्च मूल्य वाली सार्वजनिक सेवा’ है. इसमें कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पता लगाया है कि 2017-18 के दौरान 54 लड़कों को उचित सत्यापन के बिना पासपोर्ट जारी किए गए थे. पुलिस ने अपने बयान में दावा किया कि ये लड़के पाकिस्तान गए, उन्हें आतंकवादी शिविरों में ले जाया गया और हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों का प्रशिक्षण दिया गया और उनमें से कई को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में वापस भेज दिया गया.

बयान में कहा गया है कि उनमें से 26 की मौत या तो क्रॉसिंग के दौरान या भीतरी इलाकों में मुठभेड़ों के दौरान हुई.

इनमें से 12 युवा लड़कों की पाकिस्तान से वापसी के बाद CID द्वारा हिरासत में लेकर उनकी जान बचाई गई ताकि आतंकवादी-अलगाववादी सिंडिकेट उन पर आतंकी रैंकों में शामिल होने का दबाव बनाने में सफल न हों. आखिरकार, सभी 12 लोगों को उनके परिवारों को सौंप दिया गया है.

इसमें कहा गया है, ‘आज, वे जीवित हैं और खुशी से अपनी माता, बहनों, भाइयों, पिता और दोस्तों के बीच रहते हैं. दुर्भाग्य से, उनमें से 16 अभी भी सीमा के उस पार हैं और शत्रुतापूर्ण एजेंसियों के नियंत्रण में शिविरों में फंसे हुए हैं.’

पुलिस ने आगे दावा किया है कि जांच से पुष्टि हुई है कि प्रत्येक मामले में, हुर्रियत के एक घटक दल के एक या दूसरे नेता के इशारे पर पाकिस्तान के वीजा की व्यवस्था की गई थी.

इसमें कहा गया है, ‘सीआईडी कमजोर युवा लड़कों को मौत के जाल में फंसने से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है. जम्मू-कश्मीर पुलिस 99% से अधिक (लोगों) के लिए त्वरित और परेशानी मुक्त निकासी के लिए प्रतिबद्ध है.’

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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