नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) शास्त्रीय नृत्यांगना पाली चंद्रा ने 12वीं सदी के संस्कृत काव्य ‘गीत गोविंद’ को पांच साल के शोध के बाद कथक के जरिए जीवंत किया है। ‘गीत गोविंद’ में यमुना नदी के तट पर भगवान कृष्ण और राधा के प्रणय को दर्शाया गया है।
चंद्रा और उनकी टीम द्वारा कथक के जरिए जयदेव के काव्य के सभी 24 गीतों के प्रदर्शन का केरल स्थित ‘नाट्यसूत्र-इनविस’ टीम ने डिजिटल संस्करण तैयार किया है। संगठन ने बुधवार को यह घोषणा की।
कार्यक्रम ‘नाट्य शास्त्र’ और ‘अभिनय दर्पण’ पर आधारित है, इसलिए सभी नृत्य विधाओं के छात्र अपनी-अपनी विधा में इस सामग्री का इस्तेमाल कर सकते हैं।
चंद्रा स्विट्जरलैंड में रहती हैं और ‘‘सब्सक्रिप्शन’’ आधारित डिजिटल सामग्री के जरिए वह छात्रों को मंच पर तथा नए मीडिया के लिए प्रस्तुति में मार्गदर्शन करती हैं।
इस दौरान वह संगीत रचनाओं और नृत्य शब्दावली का विवरण देने के साथ इनके अर्थ और कोरियोग्राफी की बारीकी भी समझाती हैं।
इस शास्त्रीय पाठ के बारे में चंद्रा (56) ने कहा कि जयदेव के समय से आठ सदी बाद दुनिया काफी बदल चुकी है लेकिन तड़प, पीड़ा और पूर्णता की उनकी कहानी आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक है।
उन्होंने कहा, ‘‘भगवान कृष्ण और राधा की कहानी प्राचीन भारत के प्रेम, विश्वास और जीवन के प्रति गहन आत्म-जागरूक दृष्टिकोण का प्रतीक है। उपमहाद्वीप के नृत्य और संगीत से परे कलाओं पर गीत गोविंद के असर को दर्शाने का तरीका भावी पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य संदर्भ सामग्री बनाता है।’’
भाषा सुरभि अविनाश
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