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Monday, 18 November, 2024
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प्रधान न्यायाधीश ने प्रवासी भारतीय संगठनों को कानूनी सहायता केंद्र बनाने पर विचार का सुझाव दिया

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नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण ने बृहस्पतिवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में प्रवासी भारतीय संगठनों को जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए भारत में एक कानूनी सहायता केंद्र बनाने के बारे में विचार करने का सुझाव दिया।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि भारत में राष्ट्रीय और राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण जरूरतमंद व्यक्तियों की कानूनी समस्याओं से निपटने में हर संभव मदद करेगा। इन प्राधिकरणों के जरिए 70 प्रतिशत जरूरतमंद आबादी को निशुल्क कानूनी सहायता मुहैया कराई जाती है।

भारत सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र, अबू धाबी में यूएई के भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ते मजबूत संबंध आने वाले समय में और प्रगाढ़ तथा दोस्ती का मजबूत बंधन नयी ऊंचाइयों को छुएगा।

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का एक प्रमुख कारण यह है कि भारतीय यूएई में सबसे बड़े जातीय समूहों में से एक हैं और उन्होंने वर्षों से यूएई के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘भारत के प्रधान न्यायाधीश के रूप में मैं आपसे कोई वादा नहीं कर सकता लेकिन भारत सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र जैसे संगठनों को सुझाव दे सकता हूं कि भारत में कानूनी सहायता की जरूरत वाले लोगों के लिए कानूनी सहायता केंद्र बनाने के बारे में सोचें।’’

प्रधान न्यायाधीश के अलावा, शीर्ष अदालत की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी अबू धाबी में सम्मान समारोह में मौजूद थीं। इस कार्यक्रम को यूट्यूब पर वेबकास्ट किया गया।

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि भारतीय आबादी पूरी तरह से यूएई में समाज के ताने-बाने में रच बस गई है और संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय प्रवासियों के बारे में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक भारत में इसका योगदान है।

उन्होंने कहा, ‘‘आप सभी ने भारत के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’’ साथ ही उन्होंने कहा कि जब भी यूएई में भारतीयों के लिए कदम उठाने की आवश्यकता हुई है, उन्होंने हमेशा सहयोग दिया है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘भारत आप सभी में बसता है और मुझे उम्मीद है कि आप जहां भी काम के लिए रहेंगे, आप हमेशा भारत के बारे में सोचेंगे और उसका झंडा ऊंचा रखेंगे।’’

न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि उन्होंने यूएई के कानून मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि न्यायिक पक्ष में, भारत और यूएई ने कुछ द्विपक्षीय समझौते किए हैं जो दोनों देशों की मदद करेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएंगे। ये समझौते प्रत्यर्पण, राजनयिक पहुंच से जुड़े मामलों के निष्पादन और आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता के बारे में है।

भाषा आशीष अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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