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Saturday, 18 May, 2024
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निर्भया के दोषी मुकेश की याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए न्यायालय तैयार, बोबडे बोले- इससे जरूरी कुछ नहीं

उच्चतम न्यायालय ने निर्भया मामले के दोषी मुकेश की याचिका पर सोमवार को कहा है, अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इस सुनवाई से अधिक जरूरी कुछ नहीं हो सकता.

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने निर्भया मामले के दोषी मुकेश की याचिका पर सोमवार को कहा है, अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इससे (सुनवाई से) अधिक जरूरी कुछ नहीं हो सकता. भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने इस मामले की सुनवाई के लिए हां कर दी है.

निर्भया मामले में दोषी मुकेश ने उच्चतम न्यायालय से राष्ट्रपति के दया याचिका ठुकराए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की थी. उच्चतम न्यायालय ने दोषी मुकेश के वकील से कहा कि वह शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी के समक्ष सोमवार को ही याचिका का उल्लेख करें.

गौरतलब है कि 2012 में पैरामेडिकल की छात्रा का बर्बर सामूहिक बलात्कार हुआ था और उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया था. घटना के कुछ दिन बाद छात्रा की मौत हो गई थी.

मुकेश (32) की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी.

प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की पीठ ने कहा, ‘अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इससे अधिक आवश्यक कुछ और हो ही नहीं सकता.’ साथ ही उन्होंने कुमार के वकील को शीर्ष अदालत के सक्षम अधिकारी से संपर्क करने को कहा.

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पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी थे.

उच्चतम न्यायालय द्वारा मुकेश की दोषसिद्धी और मौत की सजा के खिलाफ दायर सुधारात्मक याचिका खारिज करने के बाद सिंह ने दया याचिका दायर की थी.

बता दें कि निर्भया के दोषियों को एक फरवरी को सुबह फांसी दी जानी है जिसे लेकर दोषी बार-बार नए नए दांव चल रहे हैं. जबकि दिल्ली की एक अदालत में 25 जनवरी को निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के दोषियों के वकील की याचिका का निपटारा करते हुए शनिवार को कहा कि आगे किसी दिशा- निर्देश की आवश्यकता नहीं है.

वकील ने याचिका में आरोप लगाया था कि जेल के अधिकारी वे दस्तावेज मुहैया नहीं करा रहे हैं जो दया तथा सुधारात्मक याचिकाएं दायर करने के लिए जरूरी हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय कुमार जैन ने कहा कि दोषियों के वकील तिहाड़ जेल के अधिकारियों से संबंधित दस्तावेज, पेंटिंग और डायरी की तस्वीरें ले सकते हैं.

अदालत ने टिप्पणी की कि जेल प्रशासन के पास जो भी दस्तावेज थे, उसने उन्हें सौंपकर दोषियों के अनुरोध को पहले ही मान लिया है. अधिकारी अदालत कक्ष में अपने साथ अनेक दस्तावेज, दोषी विनय शर्मा द्वारा बनाए गए कम से कम 10 चित्र और रेखाचित्र तथा 19 पेजों वाली उसकी नोटबुक साथ लाए थे। इस नोटबुक का शीर्षक ‘दरिंदा’ है.

न्यायाधीश ने कहा, ‘इसे देखते हुए कोई दस्तावेज मुहैया कराने के निर्देश देने की जरूरत नहीं है। हालांकि जेल प्रशासन को चित्रों और ‘दरिंदा’ शीर्षक वाली नोटबुक की प्रति आज ही अदालत में दोषियों के वकील को पावती लेकर सौंपने के निर्देश दिए जाते हैं.’

न्यायाधीश ने कहा,‘तदनुसार याचिका निपटाई जाती है.’

तिहाड़ जेल की ओर पेश हुए लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि जेल के अधिकारियों ने 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाए दोषियों के वकील द्वारा मांगे गए सभी संबंधित दस्तावेज मुहैया करा दिए हैं।

उन्होंने दावा किया कि दोषी केवल ‘विलंब करने की तरकीब’ अपना रहे हैं.

लोक अभियोजक ने कहा, ‘पूरी प्रक्रिया कानून को परास्त करने की है। हमने पहले ही सारे दस्तावेज मुहैया करा दिए हैं. वे जहां भी गए, हमने उन सभी जेलों से सभी दस्तावेज प्राप्त कर लिए थे.’

इसके बाद उन्होंने दोषी विनय कुमार शर्मा की ‘दरिंदा’ नाम की डायरी अदालत के समक्ष पेश की. इसके अलावा उसकी कई पेंटिंग तथा अन्य दस्तावेज भी पेश किए.

वकील ने कहा, ‘हमारे पास बस यही है. अगर अदालत निर्देश दे तो हम दोषियों को तत्काल ये सौंप सकते हैं.’

दोषियों के वकील ए. पी. सिंह ने आरोप लगाया कि विनय को धीमा जहर दिया गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसकी चिकित्सकीय जांच के कागज उन्हें नहीं दिए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि शुक्रवार की रात जेल अधिकारियों से कुछ दस्तावेज उन्हें मिले, लेकिन विनय की डायरी और मेडिकल कागजात नहीं मिले हैं.

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