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Wednesday, 24 April, 2024
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मोबाइल ऐप अपग्रेड से लेकर एक्सेसिबिलिटी पैनल तक, CJI चंद्रचूड़ ने SC में किए कई महत्वपूर्ण सुधार

सुप्रीम कोर्ट के हितधारकों का कहना है कि 9 नवंबर को पदभार ग्रहण करने के बाद, CJI 'आकर्षक' और 'सहयोगात्मक' कदम उठा रहे हैं. कई वकीलों का कहना है कि पहली बार इस तरह के कदम उठाए गए हैं.

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नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सर्वोच्च न्यायालय के कामकाज में सुधार लाने और संस्थान को हर तरह से सभी की पहुंच के अंदर बनाने के लिए कुछ ‘आकर्षक’ और ‘सहयोगात्मक’ कदम उठाए हैं.

भारत की शीर्ष न्यायपालिका की बागडोर संभालने के एक महीने के अंदर CJI चंद्रचूड़ ने दो समितियों बनाई हैं. इनमें से एक मौजूदा प्रक्रिया में फाइलिंग से लेकर न्यायिक मामलों की लिस्टिंग करेगी. दूसरी समिति SC की पहुंच में सुधार के लिए बहुत जरूरी बदलावों के बारे में सुझाव देगी.

न्यायिक प्रक्रिया के साथ तकनीक को एक प्रभावी साधन के रूप में देखने वाले CJI ने रजिस्ट्री को कागज रहित बनाने के लिए भी ठोस कदम उठाए हैं. साथ ही शीर्ष अदालत में अपने मामलों पर बहस करने वाले वकीलों के लिए ‘ऑनलाईन एपियरेंस’ के लिए एक पोर्टल बनाने पर काम चल रहा है.

मौजूदा समय में वकील कागज के एक टुकड़े पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं और इसे अदालत के कर्मचारियों को सौंप देते हैं. इसके बाद वकील का नाम एक मामले की ऑर्डर शीट में नजर आता है. लेकिन पोर्टल बनने का बाद ऐसा नहीं होगा.

इसके अलावा CJI ने सुप्रीम कोर्ट के मोबाइल एप्लिकेशन को भी अपडेट करवाया है, ताकि सरकारी कानून अधिकारी और मंत्रालय अपने मामले से जुड़ी जानकारी को आसानी से देख या प्राप्त कर सके. मोबाइल ऐप में दी गई नई सुविधा सरकारी अधिकारियों के लिए मामलों को सीधे ट्रैक करना आसान बना देती है. जाहिर तौर पर उन्हें संबंधित मामलों की जानकारी के लिए अब वकीलों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है.

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सीजीआई के इन सभी प्रयासों का बार ने स्वागत किया है. अनुभवी और युवा वकीलों ने कहा कि यह पहली बार हुआ है जब CJI के आदेशों पर इस तरह के आकर्षक कदम उठाए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीओआरए) के अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि जब से जस्टिस चंद्रचूड़ ने सीजेआई का पदभार संभाला है, वह बार निकायों के साथ लगातार बातचीत करते रहे हैं ताकि संस्था के कामकाज में सुधार लाने के बारे में हर संभव जानकारी उन तक पहुंचती रहे.

मिश्रा ने कहा, ‘वह विचारों और सुझावों का हमेशा दिल से स्वागत करते हैं और बार पर कुछ भी थोपने के बजाय चर्चा के जरिए बदलाव लाने में विश्वास करते हैं.’

9 नवंबर को CJI के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, जस्टिस चंद्रचूड़ ने मामलों की सूची के फॉर्मेट पर अपने साथी न्यायाधीशों के साथ विचार-विमर्श किया था. इसके तुरंत बाद उन्होंने SC रजिस्ट्री को निर्देश जारी किया कि सभी 13 पीठ, वैवाहिक विवादों से संबंधित 19 स्थानांतरण याचिकाओं और लंबित मामलों को कम करने के लिए इतनी ही संख्या में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेंगी. इसके नतीजा यह रहा कि शीर्ष अदालत ने पिछले दो हफ्तों में 209 प्रतिशत निपटान दर हासिल कर ली.

उन्होंने महसूस किया कि अदालत से जुड़े और भी ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके विचारों पर कामकाज को और अधिक कुशल बनाने के लिए काम किया जा सकता है. अपनी इस सोच पर काम करते हुए CJI चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में पहली बार हैकाथॉन आयोजित करने के लिए जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया. कौल CJI के बाद सबसे सीनियर जज हैं.  

सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि हैकथॉन आयोजित करने का मकसद शीर्ष अदालत के काम करने के तरीके में सुधार करने और अधिक दक्षता लाने के लिए नए विचारों और व्यावहारिक प्रस्तावों को लेकर आना है.

हैकथॉन सिर्फ वकीलों तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि इसमें एससी रजिस्ट्री में काम करने वाले अधिकारी और न्यायाधीशों के आवासीय कार्यालयों में प्रतिनियुक्त कानून क्लर्क भी शामिल होंगे. सभी प्रतिभागियों को 24 से 30 दिसंबर के बीच अपने सुझाव ऑनलाइन जमा करने होंगे.

सूत्र ने कहा कि अठारह बेहतरीन नए विचारों को चुना जाएगा. इन विचारों को रखने वाले प्रतिभागियों से अपने विजन प्रदर्शित करने के लिए प्रेजेंटेशन देने का एक अवसर भी दिया जाएगा.


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भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए शीर्ष अदालत ने हैकथॉन के पहले और दूसरे नंबर पर आने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित करने की भी योजना बनाई है.

सुप्रीम कोर्ट परिसर का व्यापक एक्सेसिबिलिटी ऑडिट करने के लिए अलग से एक ‘एक्सेसिबिलिटी कमेटी’ का गठन किया गया है. न्यायमूर्ति रवींद्र भट की अध्यक्षता में इस पैनल का ऑडिट शीर्ष अदालत की भौतिक और तकनीकी पहुंच दोनों तरह से किया जाएगा.

CJI के आदेश के अनुसार, इस ऑडिट के लिए सर्वे में सिर्फ वकील शामिल नहीं होंगे, बल्कि उन वादियों की राय भी ली जाएगी जो शीर्ष अदालत तक पहुंच बनाने की समस्याओं का सामना करते हैं. समिति में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु के एक प्रोफेसर, एक विकलांग एससी कर्मचारी और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की तरफ से सुझाए गए एक विकलांग वकील भी शामिल होंगे. ऑडिट के बाद पैनल विकलांगों से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के प्रस्तावों की सिफारिश करेगा.

एससीबीए सचिव युगंधरा पवार झा ने कहा कि इससे पता चलता है कि सीजेआई देश की शीर्ष अदालत तक पहुंच बनाने में कानूनी समुदाय के साथ-साथ जनता के सामने आने वाली कठिनाइयों से अनजान नहीं हैं.

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ SC की ई-समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से शीर्ष अदालत के कामकाज को कागज रहित बनाने के लिए प्रयास करते रहे हैं. अब बतौर CJI , उन्होंने एक नया पोर्टल बनाने का निर्देश दिया है, जिससे अधिवक्ताओं को अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा मिल सकेगी. पर्यावरण के अनुकूल इस कदम से हर साल लगभग दो लाख कागजों की बचत होगी .

इस नई प्रक्रिया पर बोलते हुए मिश्रा ने खुलासा किया कि CJI ने SCORA के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद एडवोकेट एपियरेंस पोर्टल तैयार करने का फैसला किया है. SCORA अध्यक्ष ने बताया, ‘कागज के टुकड़ों पर एपियरेंस मार्क करने की मौजूदा प्रणाली बोझिल तो है ही, साथ ही इसके दुरुपयोग की संभावना भी बनी रहती है. कई मामलों में वकील अदालत में उपस्थित न होने के बावजूद सिर्फ अपने मुवक्किल को बिल देने के लिए एपियरेंस लिस्ट में अपना नाम शामिल कर देते हैं.’

SCBA के अध्यक्ष विकास सिंह ने भी इस नई पहल की सराहना की. सीनियर एडवोकेट ने दिप्रिंट को बताया, ‘हालांकि ये प्रयास अभी भी प्रायोगिक स्तर पर हैं, लेकिन निश्चित रूप से एक अच्छा कदम हैं.’

सुप्रीम कोर्ट के मोबाइल ऐप के नए वर्जन पर कानून अधिकारियों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के नोडल अधिकारी भी अपने मामलों की स्थिति, आदेश और अन्य प्रासंगिक जानकारी देख पाएंगे. एप का यह नया संस्करण अंतिम निर्णयों पर रियल टाइम इंफॉर्मेशन तो देगा ही, इसके साथ-साथ इंटरलॉक्यूटरी या मिसलेनियस एप्लीकेशन पर दिए गए आदेश भी यहां मिल जाएंगे. इसके अलावा, दूसरे पक्ष की तरफ से ई-फाइल किए गए आवेदनों और दस्तावेजों की प्रतियां भी ऐप पर उपलब्ध होंगी.

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या | संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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