नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने जघन्य अपराधों से संबंधित मामलों में लंबी सुनवाई पर नाराजगी जताते हुए दो कथित माओवादी समर्थकों को राहत दी, जिनके खिलाफ कठोर आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था। न्यायालय ने कहा कि अनिश्चितकालीन कारावास संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के व्यापक अर्थ का उल्लंघन है।
शीर्ष अदालत की दो अलग-अलग पीठों ने देरी से सुनवाई को देखते हुए आरोपियों को राहत दी। एक मामले में सुनवाई में तेजी लाई गई जबकि दूसरे में शीर्ष अदालत ने जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि केंद्र को माओवादियों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए, ताकि सुनवाई में तेजी लाई जा सके।
पीठ इस तथ्य से नाराज थी कि प्रतिबंधित संगठन तृतीय प्रस्तुति कमेटी(टीपीसी) के लिए मणिपुर से बिहार में गोला-बारूद और एके-47 स्वचालित राइफलों के पुर्जे कथित तौर पर ले जाने के आरोपी निंग खाम शंगतम की गिरफ्तारी के छह साल बाद भी, 98 में से केवल 59 गवाहों से पूछताछ की गई।
एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि बिहार में जिस अदालत में मुकदमे की सुनवाई हो रही है, वह एक नियमित अदालत है और वह दूसरे मामलों की भी सुनवाई करती है।
पीठ ने बृहस्पतिवार को अपलोड किए गए 13 फरवरी के अपने आदेश में कहा, ‘यह सच है कि याचिकाकर्ता ने लगभग छह साल हिरासत में बिताए हैं और अनिश्चितकालीन कारावास निस्संदेह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के विस्तारित अर्थ का उल्लंघन होगा।”
पीठ ने मामले की सुनवाई में तेजी लाने के लिए कुछ निर्देश जारी किए।
इसी तरह, न्यायमूर्ति जेपी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों के लिए जूते, बिजली के तार, एलईडी लेंस, वॉकी-टॉकी और अन्य सामान कथित तौर पर ले जाने के आरोपी तापस कुमार पालित को जमानत दे दी।
पीठ ने कहा कि पालित को 24 मार्च, 2020 को गिरफ्तार किया गया था और अब तक 100 से अधिक गवाहों में से केवल 42 गवाहों से पूछताछ की गई है।
पीठ ने कहा, ‘अगर किसी आरोपी को विचाराधीन कैदी के रूप में छह से सात साल जेल में रहने के बाद अंतिम फैसला आने का इंतजार है, तो निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के उसके अधिकार का उल्लंघन हुआ है।’
भाषा जोहेब देवेंद्र
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