बेंगलुरु: चिक्कबल्लापुर में गुरुवार को एक ईसाई धर्मस्थल में कथित तौर पर तोड़फोड़ की गई. यह घटना ऐसे समय हुई जब कर्नाटक विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की तरफ से पेश धर्मांतरण विरोधी विधेयक पर चर्चा की जा रही है. इस मसले पर राज्य सरकार को इस समय राज्य में विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
सुसाई पाल्या गांव में स्थित एक धर्मस्थल, जिसमें सेंट एंटनी की प्रतिमा लगी है, पर गुरुवार तड़के कथित तौर पर पथराव किया गया. चिक्कबल्लापुर पुलिस ने एक स्थानीय निवासी की शिकायत के आधार पर ‘अज्ञात’ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है.
‘तोड़फोड़’ का शिकार बना धार्मिक स्थल एक चट्टान पर बने तीन फुट के चैपल के बगल में है. ईसाई धर्मस्थल एक हिंदू मंदिर के पास स्थित है.
चिक्कबल्लापुर के पुलिस अधीक्षक जी.के. मिथुन कुमार ने गुरुवार को दिप्रिंट को बताया, ‘हमने दोनों समुदाय के लोगों से बात की है. किसी भी तरह का सांप्रदायिक तनाव या गुस्सा नहीं है क्योंकि दोनों समुदाय इस बात से सहमत हैं कि यह कुछ अराजक तत्वों की करतूत थी. प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और जांच की जा रही है. अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.’
स्थानीय पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (वैमनस्य फैलाना), 295 (धर्मस्थल को अपवित्र करना), 427 (नुकसान पहुंचाना) सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.
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कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन
कर्नाटक में यह घटना ऐसे समय में हुई है जब पिछले कुछ समय से ईसाई समुदाय आरोप लगा रहा है कि जबसे सरकार ने धर्मांतरण विरोधी विधेयक का प्रस्ताव रखा है तबसे इस समुदाय के सदस्यों और धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ गए हैं.
कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने मंगलवार को राज्य में धर्मांतरण रोकने और ऐसा कराने वालों को दंडित करने के लिए कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक, 2021 पेश किया था.
राज्य में इस विधेयक को अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने वाला एक कदम मानकर इसका विरोध किया जा रहा है.
यदि विधानसभा धर्मांतरण विरोधी इस विधेयक को मौजूदा स्वरूप में पारित कर देती है तो राज्य में अंतर-धार्मिक विवाहों को ‘अमान्य’ करार दिया जा सकेगा क्योंकि शादी के वादे को मुफ्त शिक्षा और नौकरियों की तरह ‘लुभाने’ की कोशिश की श्रेणी में रखा गया है.
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