नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर मामले में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की रिहाई के अनुरोध संबंधी याचिका खारिज कर दी है।
मिशेल ने दलील दी थी कि जिन कथित अपराधों के लिए वह जेल बंद हैं, उनके लिए अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है और यह अवधि वह पहले ही जेल में काट चुका है।
विशेष न्यायाधीश संजय जिंदल ने सात अगस्त को दिए आदेश में कहा, ‘‘भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 467 (मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत आदि की जालसाजी) के तहत आरोपों पर विचार करते हुए, जिसमें आजीवन कारावास का प्रावधान है, यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी कथित अपराधों के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की अवधि पहले ही काट चुका है।’’
अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 467 (जालसाजी) के तहत मामला क्रिश्चियन मिशेल पर बनता है या नहीं, यह फैसला आरोप तय करने के चरण में किया जाएगा। अभी यह नहीं कहा जा सकता कि यह मामला उन पर नहीं बनता।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मिशेल द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर पहले ही उच्चतम न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय और यह अदालत विचार कर चुकी है। इनमें मिशेल की रिहाई का अनुरोध भी शामिल है।
अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 436 ए के तहत रिहाई की याचिका खारिज की जाती है।’’
पूर्ववर्ती दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 ए उस अधिकतम अवधि से संबंधित है, जिसके लिए किसी विचाराधीन कैदी को हिरासत में रखा जा सकता है।
जेम्स को दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित कराया गया था, जिसके बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उसे गिरफ्तार किया था।
उच्चतम न्यायालय ने इस वर्ष 18 फरवरी को सीबीआई मामले में उसे जमानत दी थी।
दो सप्ताह बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने ईडी मामले में भी उसे जमानत दे दी थी।
हालांकि, मिशेल ने अब तक जमानत बॉण्ड जमा नहीं किए हैं और पासपोर्ट के नवीनीकरण की प्रतीक्षा में तिहाड़ जेल में है।
भाषा गोला सुभाष
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