नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है, कि भारत ने ईस्टर्न और सेंट्रल थिएटर्स में अपने रक्षा मैट्रिक्स का फिर से आंकलन किया है, ताकि लद्दाख़ में डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया के चलते, चीनी सेना अचानक कुछ चौंकाने वाली हरकत कर दे.
डिसएंगेजमेंट की ये प्रक्रिया जो मई में, चीन के अतिक्रमण की घटनाओं के बाद, पिछले महीने शुरू हुई थी, बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही है.
पूर्वी और मध्य क्षेत्रों का जायज़ा लेने की भारत की कोशिश, सुरक्षा हल्क़ों के उस आंकलन के बीच हो रही है, कि चीन डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया का फायदा उठाकर, जिसके सर्दियों तक चलने की संभावना है, भारत के साथ लगी सीमा के कुछ दूसरे हिस्सों में, कोई चौंकाने वाली हरकत कर सकता है.
पूर्वी और मध्य कमांड सरहद के जिन हिस्सों की निगरानी करती हैं, उनमें भारत-चीन सीमा के हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड (वास्तविक नियंत्रण रेखा का मध्य का हिस्सा), और उत्तरपूर्व (पूर्वी) में, दो और हिस्से आते हैं.
सूत्रों ने बताया कि भारत का फोकस अभी तक पूर्वी लद्दाख़ पर रहा है, जहां मई के बाद से 30,000 से अधिक सैनिक और भारी संख्या में उपकरण तैनात किए गए हैं. इसके साथ ही पूर्वी और मध्य सेक्टर्स में भी तैनातियां की गईं हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि शक्तिशाली कमिटी चाइना स्टडी ग्रुप ने, दोनों सेक्टर्स में सुरक्षा बलों की तैयारियों का एक ताज़ा जायज़ा लिया है.
उनके अनुसार, पूर्व में सैनिक बल पहले से ही उसपर हैं, जिसे ‘बढ़ा हुआ बॉर्डर मैनेजमेंट पॉस्चर (बीएमपी) कहा जाता है’, जो सेना द्वारा फैक्टर किए हुए एस्केलेशन मैट्रिक्स का हिस्सा है.
रक्षा और सुरक्षा अनुष्ठान के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘बीएमपी का लेवल हर कोर और सेक्टर के हिसाब से अलग अलग होता है. ये सब ख़तरे के पैमाने पर निर्भर करता है.’
इन दोनों सेक्टर्स के बलों को पहले ही ऑपरेशनल अलर्ट पर रख दिया गया था. सूत्रों का कहना था, कि चीनियों का मुक़ाबला करने के लिए, जब सेना लद्दाख़ में दर्पण तैनाती कर रही थी, उसी समय मई के अंत और जून के शुरू में, पूर्वी और मध्य सेक्टर्स में भी यही कार्रवाई की जा रही थी.
बृहस्पतिवार और शुक्रवार को सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाणे ने, उत्तरी कमांड के अलावा, पूर्वी और मध्य कमांड का भी दौरा किया.
उनका दौरा तब हुआ, जब सिक्किम की सीमा पर चीन की आक्रामक गतिविधियां बढ़ रही हैं. 9 मई को सिक्किम में एलएसी पर हुए टकराव के बाद से, दोनों ही पक्ष वहां अपने सैनिकों की संख्या को बढ़ाए हुए हैं.
चीन एलएसी को कुछ मीटर आगे बढ़ाना चाह रहा है, और उसने चरवाहों की पारंपरिक दीवार पर भी एतराज़ किया है- जिसे इस्तेमाल करते हुए चरवाहे अपने जानवरों को, भारत की ओर बहुत दूर नहीं जाने देते थे. लेकिन भारत अपनी जगह पर डटा हुआ है.
सूत्रों ने कहा कि सेना प्रमुख के दौरे का मक़सद, रक्षा मैट्रिक्स की समीक्षा करना, और सशक्त समिति के नए निर्देशों या विचारों को पहुंचाना था.
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भारत का पश्चिमी सेक्टर भी अलर्ट पर
सूत्रों ने कहा कि भारत का पश्चिमी सेक्टर भी, जो पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा की निगरानी करता है, ऑपरेशनल अलर्ट पर रख दिया गया है, क्योंकि चीन के साथ सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है.
एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘ये सिर्फ उत्तरी, मध्य और पूर्वी सेक्टर्स ही नहीं हैं, जिन्हें सक्रिय किया गया है. पश्चिमी मोर्चे को भी ऑपरेशनल अलर्ट पर रख दिया गया है.’
ये क़दम चीन और पाकिस्तान दोनों की ओर से, साझा ख़तरे की संभावना को देखते हुए उठाया गया है.
सूत्र ने कहा कि सर्दियों में लद्दाख की अपेक्षा, पूर्व में स्थिति कहीं कम चुनौती भरी है.
सूत्र ने कहा, ‘सर्दियों के दौरान लद्दाख़ में ज़मीनी रास्ते बंद हो जाते हैं, जो साज़ो-सामान जमा करने और मूवमेंट के लिए, एक बड़ी बाधा बन जाते हैं. पूर्व में ऐसा नहीं है, जहां ज़मीनी रास्ते हमेशा खुले रहते हैं’.
ये पूछे जाने पर कि क्या यहां भी लद्दाख़ की तरह, पूर्वी कमांड के बाहर के सैनिक लाए गए हैं, सूत्रों ने कहा कि तैनाती का ये सब काम ‘थिएटर के अंदर ही’ किया गया है.
बृहस्पतिवार को पूर्वी कमांड के अपने दौरे में, जनरल नरवाणे ने सभी कोर कमांडरों से मुलाक़ात की, जिनमें पानागढ़ स्थित माउंटेन स्ट्राइक कोर भी शामिल थी.
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