नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद के बीच सामने आया है कि चीनी भारत के ऊर्जा सेक्टर को अपना निशाना बना चुके हैं, जिसका मकदस जरूरी जानकारी जुटाना था. ऐसे खतरों के बारे में रिपोर्ट देने वाली अमेरिकी फर्म रिकॉर्डेड फ्यूचर ने इसका दावा किया है.
रिकॉर्डेड फ्यूचर ने यह जानाकी पहले भारत सरकार को दी है इसी के बाद अपनी रिपोर्ट पब्लिश की है. इस जानकारी पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री आर.के सिंह ने गुरुवार को कहा कि लद्दाख के पास मौजू इलेक्ट्रिसी डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर को निशाना बनाने वाले चीनी हैकर्स को ब्लॉक किया जा चुका है.
चीनी हैकर्स द्वारा दो बार हमले की कोशिशें की जा चुकी हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह के साइबर अटैक के खिलाफ डिफेंस सिस्टम को मजबूत किया जा चुका है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि लद्दाख के पास मौजूद पावर ग्रिड को चीन के कुछ हैकर्स ने निशाना बनाया था. ये लोड डिस्पैच सेंटर्स ही ग्रिड को कंट्रोल करते हैं और इससे जुड़े इलाकों को बिजली भी पहुंचाते हैं.
रिकॉर्डेड फ्यूचर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि पिछले 18 महीनों में स्टेट और रीजनल डिस्पैच सेंटर्स को लगातार निशाना बनाया गया. इसमें कहा गया है कि पहले रेडएको नाम के समूह ने हैक करने की कोशिश की फिर इसके बाद टैग-38 नाम का ग्रुप भी देखा गया. इससे पता चलता है कि भारत में चीन से पैदा होने वाले खतरे लंबे समय से मौजूद है. ये वे समूह हैं जो खुफिया जानकारी हासिल करने की खोज में रहते हैं.
चीन से जुड़े इन हैकिंग ग्रुपों द्वारा भारतीय पावर ग्रिड संपत्तियों को लंबे समय तक टारगेट करने से सीमित आर्थिक जासूसी या फिर पारंपरिक खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के अवसर मिलते हैं.
इस बीच, भारतीय सेना और वायु सेना के शीर्ष अधिकारी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैयारियों और बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं का आकलन कर रहे हैं क्योंकि भारत और चीन दोनों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में गतिरोध की स्थिति में बनी हुई हैं.
भारत ने अप्रैल-मई 2020 में चीनी सैनिकों द्वारा दिखाई गई आक्रामकता के बाद अपनी तैनाती में कई बदलाव किए हैं.
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