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Friday, 22 November, 2024
होमदेश‘विवादित क्षेत्र में बैठक का विरोध’— श्रीनगर में जी-20 टूरिज्म मीट में शामिल होने से चीन का इनकार

‘विवादित क्षेत्र में बैठक का विरोध’— श्रीनगर में जी-20 टूरिज्म मीट में शामिल होने से चीन का इनकार

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की टिप्पणी को बीजिंग के पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंधों के संकेत के रूप में देखा जा रहा है. भारत की अध्यक्षता में 22-24 मई के बीच जी-20 की टूरिज्म बैठक होनी है.

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नई दिल्ली: चीन श्रीनगर में तीसरी जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक में शामिल नहीं होगा, यह कहते हुए कि वो “विवादित क्षेत्र” में जी-20 बैठक आयोजित करने का “विरोध” करता है.

नई दिल्ली में होने वाले लीडर्स समिट से चार महीने जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की तीसरी बैठक 22 मई से 24 मई तक श्रीनगर में भारत की अध्यक्षता में आयोजित की जाएगी.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “चीन विवादित क्षेत्र में किसी भी तरह की जी-20 बैठक आयोजित करने का दृढ़ता से विरोध करता है, और ऐसी बैठकों में शामिल नहीं होगा.”

वांग की टिप्पणी को पाकिस्तान के साथ चीन के घनिष्ठ संबंधों के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, जो अक्सर संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न मंचों पर कश्मीर के मुद्दे को उठाता है.

लद्दाख में भारतीय सेना और चीनी पीएलए के बीच झड़प के बाद 2020 से भारत चीन के साथ इन संबंध साझा करता है. दिसंबर 2022 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच फिर झड़प हुई. सरकारी सूत्रों के अनुसार, आमने-सामने की लड़ाई में “दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें” आईं और दोनों पक्षों को “तुरंत क्षेत्र से हटा दिया गया”.

भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक जी-20 की अध्यक्षता करने वाला है. भारत की अध्यक्षता में जी-20 पर्यटन कार्य समूह की पिछली दो बैठकें अप्रैल में सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग में और फरवरी में गुजरात में कच्छ के रण में हुई थीं.

प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने पर्यटन कार्य समूह की बैठक के उद्देश्य के बारे में कहा, “भारत के जी20 टूरिज्म ट्रैक के तहत, टूरिज्म वर्किंग ग्रुप पांच इंटर-कनेक्टेड प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर काम कर रहा है. ये क्षेत्र हैं ग्रीन टूरिज्म, डिजिटलाइजेशन, कौशल, एमएसएमई. ये प्राथमिकताएं पर्यटन क्षेत्र के ट्रांजिशन को गति देने और 2030 एसडीजी के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अहम बिल्डिंग ब्लॉक हैं.”

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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