नई दिल्ली: रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के पैंगोंग सूत्रों का कहना है कि पैंगोंग झील के फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की तरफ 8 किलोमीटर का इलाक़ा है. चीन के जम जाने का सबब भारत की सड़क निर्माण गतिविधियों को रोकने के लिए उसे धौंस में लेने की तरकीब है.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि फिंगर 2 से फिंगर 4 तक सड़क निर्माण की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है, लेकिन हाल ही में भारत ने इसके लिए ताज़ा प्रयास किए थे.
एक सूत्र ने बताया, ‘फिंगर 3 से फिंगर 4 तक जाने के लिए भारतीयों को एक संकरे रास्ते पर पैदल चलना पड़ता है. भारत की ओर से फिंगर 4 तक ठीक से रास्ता बनाने की कोशिश हो रही थी, जिस पर चीन एतराज़ कर रहा था.’
पैंगोंग झील फिंगर्स पर सैन्य नज़रिए
चीनियों ने अपनी सिरीजप चौकी से- जो फिंगर 8 से आगे है और जिसे उसने 1962 के युद्ध में क़ब्ज़ाया था- फिंगर 5 तक मोटर योग्य रास्ता बना लिया था, जब 1999 में वहां भारतीय सैनिकों की मौजूदगी कम हो गई थी. क्योंकि उन्हें कारगिल युद्ध के लिए भेज दिया गया था, जिसमें जलवायु के अभ्यस्त सैनिकों की ज़रूरत थी.
सूत्रों ने बताया कि चीनी रास्ते को बाद में फिंगर 4 तक बढ़ा लिया गया. इससे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) सिर्फ इसी प्वॉइंट तक गश्त कर सकती थी. हालांकि चीन फिंगर 2 तक के इलाक़े पर अपना दावा करता है.
इसलिए इसकी बजाय, फिंगर 4 से आगे अपना दावा जताने के लिए चीनी सैनिक कश्तियां इस्तेमाल करने लगे. ठीक वैसे ही जैसे भारत इलाक़े पर अपना क़ब्ज़ा जताने के लिए फिंगर 8 तक करता था.
चीनियों के फिंगर 4 पर बैठने की रणनीतिक अहमियत के बारे में पूछे जाने पर एक सूत्र ने कहा कि भारत का आंकलन ये है कि ‘चीनी क़दम सामरिक है और ज़मीन पर क़ब्ज़ा है. चीनियों के फिंगर 4 पर जमने का कोई रणनीतिक महत्व नहीं है. ये सिर्फ धौंसियाने की कोशिश है.’
सूत्रों का कहना था कि चीन एलएसी पर यथा स्थिति को बदलने की कोशिश कर रहा है.
सूत्र ने कहा, ‘अभी तक की प्रथा के हिसाब से चीनी फिंगर 4 तक गश्त लगाते थे और भारत फिंगर 8 तक. लेकिन पिछले कुछ सालों में चीनियों ने भारतीयों को फिंगर 5 के पास बीच में ही रोकना शुरू कर दिया था. वो अपनी सिरीजप चौकी से भारतीयों की हरकत देख लेते थे और नीचे आकर उन्हें रोक देते थे.’
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय सैनिकों ने भी फिंगर 4 से आगे चीनियों की गश्त का विरोध करना शुरू कर दिया था.
दिप्रिंट ने पहले ख़बर दी थी कि सर्दियां शुरू होने से कुछ पहले ही, फिंगर 8 तक पहुंचने के लिए भारतीय सैनिकों ने एक वैकल्पिक रास्ता चुना था, जिसने चीनियों को चौंका दिय़ा था.
हाल ही में बिना किसी तारीख़ की एक वीडियो सामने आई थी. जिसमें भारतीयों को चीन के गश्ती दल को रोकते हुए दिखाया गया था. सूत्रों ने, जो पैंगोंग क्षेत्र में सेवाएं दे चुके हैं कहा कि भौगोलिक स्थिति और चीनी वाहनों की मौजूदगी से पता लता है, कि वो जगह फिंगर 4 और फिंगर 5 के बीच में है.
सूत्रों ने ये भी कहा कि हाल के कुछ समय से पैंगोंग एरिया में, दोनों पक्षों के बीच नियमित रूप से शारीरिक झड़पें होने लगीं थीं.
बताया जाता है कि एक झड़प मई के शुरू में भी हुई थी, जब भारतीयों ने चीनियों को गश्त से रोका था. सूत्रों का कहना है कि वो झड़प शायद 5 मई की झड़प से पहले हुई थी, जिसमें चीनियों के साथ साथ अच्छे ख़ासे भारतीय सैनिक भी घायल हुए थे.
उस झड़प के बाद चीनी भारी संख्या में आकर फिंगर 4 तक के इलाक़े में जम गए हैं. 5 मई की झड़प के बाद से चीनियों ने अपने सैनिकों और उपकरणों का ठिकाना बनाने के लिए फिंगर 4 और 5 के बीच कई ढांचे खड़े कर लिए हैं.
पैंगोंग में स्थिति लगातार एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, क्योंकि चीनियों ने यहां तनाव कम करने या अलग होने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
एक सूत्र ने कहा, ‘चीन की दलील ये है कि उन्होंने ये सड़क 1999 में बनाई थी और ये उनका एरिया है. ये स्थानीय स्तर पर तय नियमों के खिलाफ है, जहां एलएसी फिंगर 8 पर है.’
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