नई दिल्ली: बौद्ध धर्म को हटाने के चीन के कदम पर निशाना साधते हुए तिब्बत के धर्म गुरू दलाई लामा ने बिहार के बोध गया में कहा कि चीन बौद्ध धर्म को निशाना बनाकर उसे खत्म करने की कोशिश कर रही है लेकिन वे सफल नहीं होंगे.
शनिवार को बोध गया में कालचक्र मैदान में टीचिंग प्रोग्राम के तीसरे दिन दलाई लामा ने कहा कि चीन बौद्ध धर्म को जहरीला मानती है और व्यवस्थित ढंग से इसे खत्म करने का कैंपेन चला रहा है लेकिन वे इसमें पूरी तरह से विफल होंगे.
बोध गया में चल रहे कार्यक्रम में दलाई लामा ने कहा, ‘बौद्ध धर्म में हमारा गहरा विश्वास है. जब मैंने ट्रांस-हिमालियन क्षेत्रों का दौरा किया तो पाया कि लोग इस धर्म के प्रति काफी श्रद्धावान हैं. वहीं मंगोलिया और चीन में भी ऐसा ही है लेकिन चीन सरकार धर्म को जहर मानती है और उसे खत्म करने की कोशिश कर रही है लेकिन वे सफल नहीं हो रहे. चीन सरकार ने बौद्ध धर्म को नुकसान पहुंचाया है लेकिन चीन इसे खत्म नहीं कर सकता. यहां तक कि आज के समय में चीन में काफी लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं.’
दलाई लामा ने कहा कि चीन सरकार ने कई बौद्ध विहारों को नुकसान पहुंचाया लेकिन चीन में बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या में कमी नहीं आई है.
उन्होंने कहा कि चीन में कई बौद्ध मोनेस्टरी हैं और वहां लोगों की काफी गहरी आस्था है.
उन्होंने कहा, ‘जो लोग मुझमें और बौद्ध धर्म में विश्वास करते हैं, तो उन्हें मेरे द्वारा बौधिचित्त को मानना चाहिए. चीन में काफी बौद्ध मोनेस्टरी है. वहां कई बौद्ध विहार अभी भी हैं. लोगों के मन में बौद्ध धर्म और बुद्ध दोनों ही हैं. चीन का पुरातन समय में बौद्ध धर्म के प्रति रिश्ता है.’
उन्होंने खुद और दूसरों के लिए बोधिचित्त का पालन करने के लिए कहा.
दलाई लामा ने कहा, ‘अगर हम तिब्बत की परंपरा को भी देखें तो निगम में शाक्य बोधिचित्त का पालन करते थे. यह मन और शरीर दोनों को लंबी उम्र देता है. इससे नींद भी अच्छी आती है. लोगों की भलाई के लिए इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता. बोधिचित्त से बुराई और दुख दोनों ही खत्म हो जाते हैं.’
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी दलाई लामा के टीचिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया, जो कि बिहार के बोध गया में चल रहा था.
इस कार्यक्रम में लामा को सुनने के लिए 80 हजार से ज्यादा बौद्ध अनुयायी आए हुए थे.
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