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Saturday, 16 November, 2024
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चीन के एस-400 तैनात, भारत ने भी बदले परिदृश्य में कई बार हवाई अभियानों का युद्धाभ्यास किया

भारत ने 20 मई के बाद से लद्दाख में एयर डिफेंस और रडार सिस्टम और बढ़ाएं हैं जिससे एलएसी पर तैनाती और अन्य गतिविधियों को लेकर भारत की पूरी नजर है.

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नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने यह ध्यान में रखकर युद्धाभ्यास किया है कि यदि चीन अपने एस-300 और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को तैनात कर दे तो वह हवाई अभियान सफलतापूर्वक कैसे शुरू कर सकती है, क्योंकि लद्दाख से सटे तिब्बत क्षेत्र में मौजूदा गतिरोध के बीच कथित तौर पर ऐसा किया गया है.

भारत ने 20 मई से लद्दाख में एयर डिफेंस और रडार सिस्टम और बढ़ाए हैं, जिससे उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनाती और गतिविधियों की पूरी जानकारी मिल रही है.

एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, भारतीय वायुसेना ने चीनी एयर डिफेंस सिस्टम, जिसमें एस-400, एस-300, एलवाई-80 आदि शामिल हैं, के बीच अभियानों के परिदृश्य में युद्धाभ्यास किया है. मैं केवल इतना कह सकता हूं कि ऊंचाई वाले क्षेत्र और पहाड़ हमारे लिए मददगार साबित होते हैं.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि विशुद्ध रूप से हवाई क्षेत्र में मुकाबले की दृष्टि से काफी ऊंचाई वाले लद्दाख में चीन की तुलना में भारत मजबूत स्थिति में है. हालांकि, जहां चीन भारत पर भारी पड़ता है वह है उसका एयर डिफेंस सिस्टम.

सूत्रों ने स्पष्ट किया कि वायु शक्ति मोर्चा तभी संभालती है जब युद्ध की स्थिति आ जाए और चीन की तरफ से किसी भी विमान के भारतीय क्षेत्र में उड़ान भरने को एक युद्धक कार्रवाई माना जाएगा.

रणनीतिक तौर पर भारत की मजबूती

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (पीएलएएएफ) के लिए सबसे बड़ी बाधा यह है कि लद्दाख में उसके सभी ठिकाने एलएसी से दूर और काफी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित हैं.

एक अन्य सूत्र ने इसे और स्पष्ट करते हुए बताया, एक तो बेहद ऊंचाई पर होने के कारण वह जरूरत से ज्यादा ईंधन और अधिक हथियारों को नहीं ले जा सकते. वहीं दुर्गम इलाकों पर होने के कारण लड़ाकों की ऊर्जा क्षमता भी काफी प्रभावित होती है.

दूसरी ओर भारत में कई ठिकाने लद्दाख के करीब स्थित हैं और इसने पंजाब, हरियाणा, कश्मीर, लेह और अन्य हिस्सों में स्थित अपने सभी ठिकानों को भी सक्रिय कर दिया है.

इसके अलावा जो बातें भारत की मजबूती बढ़ाती हैं. उनमें ज्यादा सटीकता के साथ लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार शामिल हैं, जैसे कि भारत-रूस द्वारा साझा तौर पर तैयार ब्रह्मोस मिसाइल, यूरोपीय निर्माता एमबीडीए का स्कैल्प और इजरायली स्पाइस 2000 आदि.

स्कैल्प भारतीय बेड़े का नवीनतम संकलन है और राफेल लड़ाकू विमान से पहले ही आ चुका है.

दिप्रिंट ने जैसा कि रविवार को बताया था कि ये मिसाइलें मूल रूप से फ्रांसीसी वायु सेना के लिए तैयार की गई थीं, लेकिन भारत की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए इन्हें यहां भेज दिया गया है.

एक अन्य सूत्र ने कहा, स्पाइस को छोड़कर इन सभी की मारक क्षमता 300 किलोमीटर से ज्यादा है और कुछ तो बहुत ही सटीक निशाने में सक्षम हैं.

सूत्रों ने कहा कि भारत के पास दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के साथ-साथ उनकी किसी भी तरह की रक्षात्मक या आक्रामक प्रणाली से निपटने के लिए अन्य मिसाइलें और संसाधन भी मौजूद हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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