नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) सामान्य बच्चों की तुलना में विकलांग बच्चों एवं किशोरों में उच्च माध्यमिक विद्यालय की पढाई बीच में ही छूट जाने की 27 फीसद अधिक संभावना रहती है। पीएमएनसीएच ने संयुक्त राष्ट्र आंकड़ा जारी कर यह जानकारी दी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पार्टनरशिप फोर मैटरनल, न्यूबोर्न एंड चाइल्ड हेल्थ ( पीएमएनसीएच) के अनुसार दुनिया में 24 करोड़ विकलांग बच्चे एवं किशोर हैं।
पीएमएनसीएच के बयान के अनुसार 41 फीसद विकलांग बच्चों में भेदभाव का अनुभव करने की संभावना अधिक होती है जबकि 51 फीसद में सामान्य बच्चों/किशोरों की तुलना में अप्रसन्नता महूसस करने की अधिक संभावना होती है।
पीएमएनसीएच ने कहा कि विकलांग बच्चों एवं किशोरों के सबसे अधिक हाशिये पर रहने एवं भेदभाव का शिकार होने के बावजूद सामान्य स्वास्थ्य एजेंडे में उनकी प्राथमिकता बहुत कम होती है।
बयान में कहा गया है, ‘‘ सामान्य बच्चों/ किशोरों की तुलना में 17 साल तक के विकलांग बच्चों/किशोरों में उच्च माध्यमिक विद्यालय में बीच में पढाई छूट जाने की 21 फीसद अधिक संभावना रहती है, 41 फीसद विकलांग बच्चों में भेदभाव का अनुभव करने की संभावना अधिक होती है जबकि 51 फीसद में सामान्य बच्चों/किशोरों की तुलना में अप्रसन्नता महूसस करने की अधिक संभावना होती है।’’
पीएमएनसीएच के कार्यकारी निदेशक हेल्गा फोगस्टाड ने कहा कि व्यवस्थागत बाधाएं एवं विकलांग महिलाओं एवं लड़कियों की स्थिति पर आंकड़ा संग्रहण की प्राथमिकता में विफलता से समाज के अंदर उनकी ‘अदृश्यता’ बढ़ गयी है।
भाषा
राजकुमार उमा
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