नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) अपने निर्देशों का पालन नहीं किये जाने को सख्ती से लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को 18 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर यह स्पष्टीकरण देने को कहा कि उन्होंने न्यायिक अधिकारियों के पेंशन बकाये और सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान पर द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों को लागू क्यों नहीं किया।
एक पीठ की अगुवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘मैं देख सकता हूं कि कोई ठोस अनुपालन नहीं हुआ है। उन्हें व्यक्तिगत रूप से हमारे सामने पेश होना होगा अन्यथा हम उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करेंगे।’’
इस पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं।
तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, असम, नगालैंड, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, झारखंड, केरल, बिहार, गोवा, हरियाणा और ओडिशा के मुख्य सचिवों को सुनवाई की अगली तारीख 27 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा।
शीर्ष अदालत का यह निर्देश तब आया जब न्याय मित्र के रूप में वरिष्ठ वकील के परमेश्वर ने पीठ से कहा कि कई आदेशों और समय बढ़ाये जाने के बावजूद, 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने आज तक एसएनजेपीसी की सिफारिशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है।
पीठ अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पूर्व न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के लिए कल्याण और अन्य उपायों को लागू करने की मांग की गई थी।
भाषा राजकुमार वैभव
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