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Saturday, 11 May, 2024
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प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल बोले, कोविड-19 से प्रभावित इकोनॉमी में मांग को बढ़ावा देने का समय

अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है और इसलिए कुछ मांग बनाने की जरूरत है. कुछ मांग प्राकृतिक तरीके से वापस आएगी, लेकिन ऐसा सभी क्षेत्रों में नहीं होगा.

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नई दिल्ली: प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने कहा है कि कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था में मांग को प्रोत्साहन देने पर ध्यान देने का समय आ गया है.

सान्याल ने बृहस्पतिवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित ‘ऑनलाइन’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यटन, हॉस्पिटैलिटी जैसे कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जिन्हें ‘विशेष ध्यान’ देने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है और हमें कुछ मांग बनाने की जरूरत है. कुछ मांग प्राकृतिक तरीके से वापस आएगी, लेकिन ऐसा सभी क्षेत्रों में नहीं होगा.

सान्याल ने कहा कि कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो अब भी पिछड़ रहे हैं. इनमें हॉस्पिटैलिटी या होटल क्षेत्र एक है.

उन्होंने कहा कि आतिथ्य क्षेत्र के साथ कई विशेष प्रकार के मुद्दे हैं. उनपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. ये मुद्दे काफी पेचीदा और फैले हुए हैं. सान्याल ने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन के दौरान मांग को प्रोत्साहन देने वाला बड़ा कदम इसलिए नहीं उठाया, क्योंकि इनसे वांछित नतीजे नहीं मिलते.

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इससे एक दिन पहले आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज ने कहा था कि सरकार अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए और प्रोत्साहन उपायों पर विचार कर सकती है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इससे पहले इसी महीने मांग को बढ़ाने और पूंजीगत खर्च में वृद्धि के लिए कई उपायों की घोषणा की है. कोविड-19 महामारी के बाद यह सरकार की ओर से तीसरा प्रोत्साहन पैकेज है. सरकार ने कोविड-19 संकट के बीच समाज के गरीब और कमजोर तबके के संरक्षण के लिए मार्च में 1.70 लाख करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेपी) की घोषणा की थी.

इसके बाद सरकार ने मई में 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज की घोषणा की थी. यह पैकेज मुख्य रूप से आपूर्ति पक्ष के उपायों पर केंद्रित था.

सान्याल ने कहा कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां हमें रणनीतिक समर्थन देने की जरूरत है. मसलन रक्षा जैसे क्षेत्र को रणनीतिक वजहों से समर्थन देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमें कुछ महत्वपूर्ण उत्पादों के घरेलू उत्पादन को कुछ हद तक संरक्षण देना होगा, विशेषरूप से जबकि वह एकल स्रोत से प्राप्त हो रहा है.


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