रायपुर: कोरोना संकट के इस घड़ी में लॉकडाउन के दौरान सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से छत्तीसगढ़ पुलिस ने शुक्रवार को 5 ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जो माओवादियों को रसद की बड़ी सामग्री चोरी छुपे पहुंचाया करते थे. पुलिस अधिकारियों के अनुसार इन व्यक्तियों को कई दिनों से लगातार राडार पर रखा गया था. आज गिरफ्तार किये गए पांच आरोपियों से पहले पुलिस इनके दो अन्य साथियों को जेल भेज चुकी है.
हाल में दिप्रिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि देशव्यापी लॉकडाउन के इस दौर में माओवादियों को खाद्य सामग्री की पूर्ति तो हो रही है लेकिन ड्रेस, रेशम और रसद के अन्य सामानों की भारी कमी हो रही है क्योंकि उनको खरीददारी करने का कोई रास्ता नही मिल पा रहा है. एक ओर स्थानीय बाजार लॉकडाउन की वजह से एक माह से भी ज्यादा दिनों से बंद पड़े हैं वही दूसरी ओर नक्सली बड़ी खरीददारी के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अपने संपर्क सूत्रों से कोई मदद नही पा रहे हैं.
गिरफ्तार किये गए व्यक्ति मध्य प्रदेश औऱ उत्तर प्रदेश के हैं. इनके पास से एक डस्टर, एक हुंडई कार और 10 मोबाईल फोन भी बरामद किये गए हैं. पुलिस के अनुसार ये आरोपी पिछले दो सालों से नक्सलियों को रसद की सामग्री पहुंचा रहे थे. दिप्रिंट से बात करते हुए कांकेर एसपी एमआर अहीरे ने बताया, ‘इन आरोपियों की गिरफ्तारी उनके दो राजनांदगांव निवासी स्थानीय साथी तापस पालित और दयाशंकर मिश्रा के द्वारा पूछताछ में दी गयी जानकारी के बाद हो पायी है.’
अहिरे ने बताया कि तापस पालित को कांकेर के सिकसोड़ थाना पुलिस द्वारा 24 मार्च को उस वक्त गिरफ्तार किया था जब वह अपने वाहन में नक्सलियों को देने के लिए कपड़े, जूते, और अन्य समान ले जा रहा था.
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अहिरे के अनुसार, ’24 मार्च को हमने पालित को 45 जोड़ी कोस्टर कंपनी के जूतों, 50 जोड़ी काले प्लास्टिक के जूतों, 75 मीटर काले, हरे रंग की रेमंड कंपनी के कपड़ों, 2 आई कॉम कंपनी का वाकी-टाकी सेट, 50 मीटर टेप, 200 मीटर इलेक्ट्रीक वायर सहित भारी मात्रा में और भी सामग्री के साथ गिरफ्तार किया था. इंट्रोगेशन में आरोपी ने अपना जुर्म स्वीकार कर पूर्व में और सामग्री तथा नगद रूपये भी नक्सलियों तक पहचाने की बात कबूली थी.’
अहिरे ने आगे बताया की मिश्रा को पालित के गिरफ्तारी के बाद उसके गृह जिला राजनांदगांव से गिरफ्तार किया गया था और उसने भी इन आरोपियों के नक्सलियों से संबंध की जानकारी दी थी. दयाशंकर मिश्रा अभी जेल में है.
अहिरे द्वारा साझा की गयी जानकारी के अनुसार मिश्रा और पालित की गिरफ्तारी के बाद प्रकरण की जांच के लिए एक एसआईटी बनाई गई. इसके बाद कांकेर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कीर्तन राठौर के नेतृत्व में एसआईटी एवं कांकेर पुलिस टीम संयुक्त आपरेशन में इन आरोपियों को 24 अप्रैल की सुबह गिरफ्तार किया गया.
कैसे बने नक्सलियों के सप्लायर
कांकेर एसपी ने कहा कि जांच में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. एसआईटी ने पाया की राज्य सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्र अंतागढ़, आमाबेड़ा, सिकसोड़, कोयलीबेड़ा में पीएमजीएसवाय के सड़क निर्माण का कार्य लैंडमार्क इंजीनियर कंपनी बिलासपुर के निशांत जैन एवं लैंडमार्क रायल इंजीनियर कंपनी राजनांदगांव के वरूण जैन के नाम अवार्ड किया गया था.
एस पी कांकेर का कहना है कि ‘इन दोनों फर्मों ने अपना काम रुद्रांश अर्थ मूवर्स के पार्टनर और गिरफ्तार आरोपी अजय जैन एवं कोमल वर्मा को अधिकार पत्र द्वारा करने लिए आगे सबलेट कर दिया था.
यहीं से अन्दरूनी क्षेत्रों में काम करने के दौरान अजय और कोमल नक्सलियों के संपर्क में आए और उनके लिए सप्लाई का एक सशक्त माध्यम बन गए. पालित मुख्य रूप से अजय के लिए ही काम करता था.
पुलिस के अनुसार आरोपियों द्वारा नक्सलियों को लगातार वर्दी, कपड़े, जूते, मेनपेक सेट, रूपये एवं अन्य सामग्री सप्लाई की जा रही थी.
अहिरे के अनुसार पुलिस को अभी आरोपियों के लैंडमार्क कम्पनी बिलासपुर और लैंडमार्क रॉयल कम्पनी राजनांदगांव के मालिकों से सीधे संबंधों की जानकारी नही मिली है लेकिन इस दिशा में जांच जारी है.