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Monday, 8 September, 2025
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छत्तीसगढ़ एनएचएम हड़ताल: सरकार ने 25 को बर्खास्त किया तो 14 हजार संविदा कर्मियों ने इस्तीफा दिया

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रायपुर, पांच सितंबर (भाषा) छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) कर्मचारियों की हड़ताल का नेतृत्व कर रहे 25 कर्मियों की राज्य सरकार द्वारा बर्खास्तगी के बाद 14 हजार से अधिक संविदा अधिकारियों और कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। उनके एक प्रतिनिधि ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

एनएचएम कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर 18 अगस्त से आंदोलन कर रहे हैं, जिनमें सेवाओं को नियमित करना और काम करने की स्थिति में सुधार करना शामिल है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि उनकी लंबे समय से लंबित मांगों पर ध्यान देने के बजाय सरकार ने दंडात्मक उपाय लागू करने का विकल्प चुना है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का उद्देश्य सभी को समान, किफायती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत डॉक्टरों और नर्सों सहित विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्यकर्मी कार्यरत हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि हड़ताल के कारण राज्य में कई स्थानों पर टीकाकरण, नवजात शिशु देखभाल, फिजियोथेरेपी, गैर-संचारी रोगों की जांच, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना, टीबी दवा वितरण सहित कई स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति की कार्यकारिणी समिति ने 13 अगस्त को अपनी बैठक में एनएचएम कर्मचारियों द्वारा उठाई गई 10 में से चार मांगों को स्वीकार कर लिया।

उन्होंने बताया कि तीन और मांगों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है, जबकि सेवाओं के नियमितीकरण सहित शेष तीन मांगों पर सरकार के उच्चतम स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि बार-बार नोटिस देने के बावजूद, जब प्रदर्शनकारी कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं लौटे, तो उनमें से 25 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

सेवा समाप्ति आदेश तीन सितंबर को जारी किया गया, जिसके अनुसार, नोटिस की अवहेलना करना और विरोध जारी रखना ‘‘छत्तीसगढ़ नागरिक सेवा आचरण नियम, 1965 के अनुसार कदाचार’’ और ‘मानव संसाधन नीति-2018 के खंड 34.3’ का उल्लंघन है।

इसमें कहा गया है, ‘आपको प्राकृतिक न्याय के तहत काम पर लौटने का अवसर दिया गया था, जिसका पालन नहीं किया गया। इसलिए, आपकी संविदा नियुक्ति तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाती है।’

बर्खास्त किए गए लोगों में छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉक्टर अमित कुमार मिरी, महासचिव कौशलेश तिवारी और प्रांतीय संरक्षक हेमंत कुमार सिन्हा शामिल हैं।

सिन्हा ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘प्रशासन की यह दमनकारी कार्रवाई (कार्यमुक्ति आदेश) पूरी तरह से अनुचित और संवाद में बाधा है। इस कदम से नाराज होकर, राज्य भर के 14,678 एनएचएम अधिकारियों और कर्मचारियों ने अब तक अपने इस्तीफे दे दिए हैं।’

उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने कहा, ‘करीब 16 हजार संविदा एनएचएम कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं और शेष भी जल्द ही अपने इस्तीफे दे देंगे। हम आगे की रणनीति बताने के लिए शनिवार को रायपुर में एक प्रेस वार्ता आयोजित करेंगे।’

डॉक्टर मिरी ने कहा कि एनएचएम कर्मचारी अपनी 10 सूत्री मांगों को लेकर 18 अगस्त से संवैधानिक अधिकारों के दायरे में आंदोलन कर रहे हैं। कर्मचारियों की मांगों में नियमितीकरण, लोक स्वास्थ्य संवर्ग का गठन, ‘ग्रेड पे’ और अनुकंपा नियुक्ति शामिल हैं।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘160 बार ज्ञापन देने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने के बाद यह आंदोलन मजबूरी बन गया है। विरोध प्रदर्शन के दौरान व्हाट्सएप पर चेतावनी पत्र और बर्खास्तगी के आदेश तेजी से भेजे जा रहे हैं। अगर हमारी मांगें हल करने में भी यही तेजी दिखाई जाती तो यह स्थिति पैदा ही नहीं होती।’

उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रशासन नहीं चाहता कि सरकार कर्मचारियों के साथ बातचीत करे या कोई समाधान निकले।

राज्य में एनएचएम निदेशक डॉक्टर प्रियंका शुक्ला ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि 13 अगस्त की कार्यकारिणी समिति की बैठक में कई मांगों पर पहले ही विचार किया जा चुका है।

शुक्ला ने कहा, ”गोपनीय रिपोर्ट (सीआर) मूल्यांकन में पारदर्शिता और आपात स्थिति या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के मामलों में 30 दिनों का सवेतन अवकाश संबंधी दो मांगें पूरी कर दी गई हैं। दो और मांगें, 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि और न्यूनतम 10 लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा, भी स्वीकार कर ली गई हैं और कार्यान्वयन की प्रक्रिया में हैं।”

शुक्ला ने बताया कि ‘ग्रेड-पे’, अनुकंपा नियुक्ति और स्थानांतरण नीति से संबंधित मांगों की जांच के लिए एनएचएम के संयुक्त निदेशक की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित की गई है। उन्होंने बताया कि यह समिति अन्य विभागों में संविदा कर्मचारियों पर लागू मानव संसाधन नीतियों की समीक्षा करेगी और अगली कार्यकारिणी समिति की बैठक में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी।

अधिकारी ने कहा, ”शेष तीन मांगें – नियमितीकरण, एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संवर्ग का गठन और नियमित पदों पर भर्ती में आरक्षण – सरकार के उच्चतम स्तर पर उठाई जाएंगी।”

उन्होंने आगे कहा कि कई मांगों पर विचार किए जाने के बावजूद, एनएचएम कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल जारी रखी है।

भाषा

सुमित अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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