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Friday, 22 November, 2024
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छत्तीसगढ़ : नक्सली हमले में लापता 17 जवानों के शव बरामद, डीआरजी नक्सलियों के निशाने पर

नक्सलियों द्वारा शानिवर को सुरक्षबलों के खिलाफ हमला मुख्यतः डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड (डीआरजी) के जवानों को टारगेट में लेकर किया गया था.

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रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने शानिवर रात को नक्सली हमले के बाद लापता 17 सुरक्षबलों को शहीद घोषित कर बताया की मारे गए एसटीएफ और डीआरजी जवानों के शव भी बरामद कर लिए गए हैं. मारे गए जवानों के नामों की सूची जारी करते हुए राज्य पुलिस, सरकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं दावा किया कि नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में माओवादियों को भी काफी नुकसान हुआ है.

बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी और सुकमा के पुलिस अधीक्षक सलभ सिन्हा ने इस बात की पुष्टि कि सुबह लापता जवानों खोज करने गए सुरक्षा बलों ने 17 जवानों के शवों को बरामद कर लिया है और उन्हें जंगल से बाहर लाया जा रहा था.

नक्सलियों द्वारा सुरक्षबलों से लूटे गए हथियार में 12 एके 47 राइफल ,दो यूजीबीएल एक इन्सास राइफ़ल और एक एलएमजी राइफल शामिल थी.

दिप्रिंट से बात करते हुए सिन्हा ने बताया कि पुलिस को करीब 350 नक्सलियों के एलमागुड़ा और निपमा गांव के जंगलों में जमावड़े की सूचना मिली थी. सिन्हा ने बताया कि नक्सली गतिविधियों की सूचना के बाद डीआरजी, एसटीएफ और सीआपीएफ के कोबरा बटालियन के करीब 450 जवानों के एक संयुक्त दल को चिंतागुफा, बुरकापाल और तिमेलवाड़ा से रवाना किया गया था.’

सिन्हा के अनुसार ‘सुरक्षाबालों का संयुक्त दल के निपमा के जंगल में दाखिल होते ही पहले से ही घात लगाए नक्सलियों ने उन पर हमला कर दिया. मुठभेड़ करीब ढाई घंटे चली, जिसमे एसटीएफ और डीआरजी के 17 जवान शहीद हो गए. मृत जवानों का शव बरामद कर लिया गया है.’

ज्ञात हो की शानिवर देर रात जारी एक सरकारी विज्ञप्ति में मुठभेड़ के बाद 13 जवानों को लापता बताया गया था. लेकिन रविवार को यह संख्या 17 हो गयी. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस घटना के बाद 17 जवान लापता हो गए थे. बाद में सुरक्षा बलों ने लापता जवानों की खोज में खोजी अभियान चलाया था. आज लापता जवानों के शव बरामद कर लिये गये.

मुठभेड़ में 14 घायल जवानों को रायपुर के शानिवर रात रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इनमें से दो की हालत गंभीर बानी गई है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, मुठभेड़ के बाद से 16 हथियार भी गायब है, जिसमें एके 47 और अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर जैसे हथियार शामिल हैं.

मुख्य टारगेट डीआरजी

नक्सलियों द्वारा शानिवर को सुरक्षबलों के खिलाफ हमला मुख्यतः डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड (डीआरजी) के जवानों को टारगेट में लेकर किया गया था.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार नक्सली नेता हिडमा ने यह कदम डीआरजी कमांडर और जवानों को हानि पहुंचाने के लिए इसलिए किया क्योंकि यह फ़ोर्स मुख्यतः पूर्व स्थानीय नक्सलियों को भर्ती कर गठित की गयी. स्थानीय होने के नाते डीआरजी जवान एक ओर बस्तर के जंगलों की भौगोलिक परिस्थितियों से पूर्णतः परिचित हैं. वहीं दूसरी ओर ये नक्सलियों द्वारा अपनाए जाने वाले तकनीकी को भी समझने में दक्ष हैं. डीआरजी जवानों की यही दक्षता है जिसके कारण सुरक्षबलों ने विगत कुछ सालों में माओवादियों की गतिविधियों को लगातार कमजोर कर पाने में कामयाबी मिली है.

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