रायपुर: साल की शुरुआत में मलेरिया मुक्त बस्तर कार्यक्रम 2020 की सफलता को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने अभियान को राज्यव्यापी बनाने का निर्णय लिया है. इस दिशा में सरकार राज्य के दूसरे अत्यधिक प्रभावित क्षेत्र सरगुजा संभाग के 300 गांवों को मलेरिया फ्री अभियान में शामिल करेगी.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि बस्तर के लिए तीसरे चरण के साथ मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान का पहला चरण नवंबर के अंत में या दिसंबर की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा. सरकार ने कार्यक्रम को राज्यव्यपी स्वरूप देने के लिए इसका टाइटल भी मलेरिया मुक्त बस्तर से बदलकर मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ करने का निर्णय लिया है.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने दिप्रिंट को बताया कि मलेरिया मुक्त बस्तर कार्यक्रम राज्य सरकार द्वारा माओवाद प्रभावित क्षेत्र में एनुअल पैरासाइट इंसिडेंस (एपीआई) की पूरी तरह से रोकथाम के लिए चलाया गया एक गहन कार्यक्रम था. इसके उत्साहजनक परिणाम आए हैं क्योंकि 2019 और 2020 के बीच मलेरिया के मामलों में 65.5 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है.
देव कहते हैं, ‘मलेरिया मुक्त बस्तर राज्य की जनता और सरकार के लिए बहुत अच्छा अनुभव रहा है. इस अभियान को अब हमने ‘मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़’ के रूप में आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है जिसे दिसंबर में लॉन्च किया जाएगा. शुरुआत में इसे बस्तर में चल रहे अभियान के साथ-साथ सरगुजा के कुछ हिस्सों में लागू किया जाएगा जहां मलेरिया का फैलाव बहुत अधिक है. पहले चरण में सरगुजा के चिन्हित गांवों को ही इसमें शामिल किया जाएगा. बाद में इसे राज्य के अन्य हिस्सों में भी लागू किया जाएगा.’
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गौरतलब है कि बस्तर डिवीज़न के सभी सातों जिलों में इसी वर्ष जनवरी-फरवरी और जून-जुलाई में राज्य सरकार द्वारा मलेरिया मुक्त कार्यक्रम चलाया गया. फलस्वरूप क्षेत्र में मलेरिया के मामलों की संख्या में 65.5 प्रतिशत की कमी आई. छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी 2019 और 2020 के सितंबर महीनों के आंकड़े देखें तो साफ जाहिर है कि इस अवधि में बस्तर में मलेरिया मरीजों की संख्या 4230 से घटकर 1454 रह गई है. विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का ही परिणाम है.
बस्तर डिवीज़न के मध्य क्षेत्र नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बस्तर जिलों में मलेरिया के मामलों में 55 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई जबकि कांकेर, कोंडागांव, बीजापुर और सुकमा में सितंबर 2019 के मुकाबले सितंबर 2020 में मलेरिया के मामलों में लगभग 73 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है.
राज्य के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रमुख प्रबंध निदेशक और डॉक्टर प्रियंका शुक्ला से संपर्क करने पर उन्होंने कहा, ‘सरगुजा संभाग में फील्ड स्टाफ और सर्वेक्षण रिपोर्टों के आधार पर मलेरिया मामलों के उच्च दर वाले 300 गांवों की पहचान की गई है. हालांकि प्रोग्राम की जानकारी ज्यादा डिटेल में शेयर नहीं की जा सकती है लेकिन बस्तर में ड्राइव के तीसरे चरण के साथ मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ का पहला चरण नवंबर अंत या दिसंबर के शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा.’
राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, बस्तर संभाग में लगभग 37.8 लाख की आबादी के साथ करीब 6000 गांवों में मलेरिया परीक्षण और उपचार अभियान दो चरणों में चलाया गया. देव के अनुसार, ‘बस्तर में मलेरिया के 94,722 पॉजिटिव मामले पाए गए हैं. इनमें से 54,844 केस लक्षणहीन थे जबकि 39,878 मामलों में मलेरिया के लक्षण मिले हैं. कार्क्रम के तहत जांच के सभी मरीजों को करीब 4300 डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा दवाइयों की पहली डोज़ दी जाती थी और बांकी की खुराक के लिए मितानिन (महिला स्वास्थ्य स्वयंसेवक) को निर्देशित किया जाता था.’
देव ने कहा कि ‘मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़’ कार्यक्रम मलेरिया मुक्त बस्तर के तर्ज़ पर ही चलाया जाएगा. सरगुजा में भी स्वास्थ्यकर्मी टारगेटेड क्षेत्रों या गांवों में प्रत्येक व्यक्ति की स्क्रीनिंग करने के लिए पहुंचेंगे और मलेरिया पॉजिटिव पाए जाने वालों को सबसे पहले दवाई देंगे. उसके बाद मरीज़ स्वास्थ्य विभाग के साथ काम करने वाली महिला स्वास्थ्य स्वयंसेवक ‘मितानिन’ के निगरानी में रहेंगे.’