रायपुर, दो अप्रैल (भाषा) छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह नक्सलियों के साथ बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार है।
शर्मा का बयान ऐसे समय में आया है जब कथित तौर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने कुछ शर्तों के साथ ‘युद्ध विराम’ की घोषणा करने की इच्छा जताई है।
माओवादियों की शर्तों में नक्सल विरोधी अभियान और सुरक्षाबलों के नए शिविर स्थापित करने से रोकना शामिल है।
बुधवार को सोशल मीडिया पर प्रसारित माओवादियों द्वारा जारी एक कथित बयान में माओवादियों ने केंद्र और राज्य सरकारों से शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने को कहा है।
माओवादियों की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय द्वारा 28 मार्च, 2025 को जारी किया गया यह कथित बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की छत्तीसगढ़ की निर्धारित यात्रा से दो दिन पहले सामने आया है।
माओवादियों के कथित बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए गृह विभाग भी संभालने वाले शर्मा0 ने कहा, ”सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह नक्सलियों के साथ बिना शर्त शांति वार्ता के लिए तैयार है तथा राज्य सरकार ने एक आकर्षक आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति पेश की है।”
उपमुख्यमंत्री ने कहा, ”उन्होंने (नक्सलियों ने) पहले भी इस बारे में (शांति वार्ता) कहा था, लेकिन कई नियम और शर्तें रखी थीं। माओवादियों ने ऐसी शर्तें रखी थीं कि सुरक्षाबलों को छह महीने तक शिविरों में रहना चाहिए और सुरक्षाबलों के नए शिविर नहीं बनाए जाने चाहिए। ऐसी सभी मांगों का कोई मतलब नहीं है और उन पर विचार नहीं किया जा सकता। अब उन्होंने अपने पत्र (बयान) में कहा है कि वे युद्ध विराम की घोषणा करेंगे। युद्ध विराम का कोई मुद्दा नहीं है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि ऐसी शब्दावली के साथ बातचीत कैसे होगी।”
उन्होंने कहा, ”मैं पहले भी कह चुका हूं और फिर कह रहा हूं कि राज्य और केंद्र सरकार एक भी गोली नहीं चलाना चाहतीं और पुनर्वास नीति इसी उद्देश्य से लाई गई है। बहुत से लोगों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्हें नीति का लाभ दिया जा रहा है। हम चाहते हैं कि नक्सली हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हों और खुशहाल जीवन जिएं।’
शर्मा ने कहा, ”हम चाहते हैं कि यह समस्या खत्म हो और बस्तर क्षेत्र के हर गांव में विकास हो।”
उन्होंने कहा, ”वे कहते हैं कि यदि सरकार सुरक्षाबलों के शिविरों का विस्तार नहीं करती तो वे युद्ध विराम की घोषणा कर देंगे। क्या युद्ध की स्थिति है? अगर वे वास्तव में बिना किसी शर्त के शांति वार्ता चाहते हैं तो सरकार सौ बार तैयार है। अगर आप (नक्सली) शांति वार्ता चाहते हैं तो आपको एक व्यक्ति या समिति भेजनी चाहिए।”
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार शांति वार्ता के लिए समिति बनाएगी, शर्मा ने इनकार करते हुए कहा कि सरकार ने पहले भी ऐसी समितियां बनाई हैं, लेकिन अब वह ऐसा नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि यदि नक्सली वास्तव में बातचीत करना चाहते हैं तो उन्हें कोई व्यक्ति या समिति भेजनी चाहिए।
माओवादियों द्वारा मूल रूप से तेलुगु में जारी कथित प्रेस नोट में कहा गया है कि केंद्र सरकार और (नक्सली हिंसा के खतरे का सामना कर रही) राज्य सरकारों ने संयुक्त रूप से क्रांतिकारी आंदोलन के खिलाफ ‘कागर’ अभियान शुरू किया है।
प्रेस नोट में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ में माओवाद विरोधी अभियान तेज कर दिए हैं और पिछले 15 महीनों में 400 से अधिक माओवादी मारे गए हैं।
बयान में यह आरोप भी लगाया गया है कि कई नागरिकों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है।
बयान में कहा गया है, ”हम जनता के हित में शांति वार्ता के लिए हमेशा तैयार हैं। इसलिए इस मौके पर हम केंद्र और राज्य सरकार के सामने शांति वार्ता के लिए सकारात्मक माहौल बनाने का प्रस्ताव रख रहे हैं। इसके लिए हमारा प्रस्ताव है कि केंद्र और राज्य सरकारें छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र (गढ़चिरौली), ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में कागर के नाम पर की जा रही हत्याओं, नरसंहार को रोकें और सशस्त्र बलों के नए शिविरों की स्थापना को रोकें। यदि केंद्र और राज्य सरकारें इन प्रस्तावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देती हैं, तो हम तुरंत युद्धविराम की घोषणा कर देंगे।”
माओवादियों ने बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, पत्रकारों, छात्रों, आदिवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं से भी अपील की है कि वे सरकार पर शांति वार्ता शुरू करने के लिए दबाव डालें और वार्ता के लिए देशव्यापी अभियान चलाएं।
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