रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार के अधिकारियों का दावा है कि सरकार की ग्रामीणों से गोबर खरीदकर वर्मीकम्पोस्ट बनाने वाली ‘गोधन न्याय योजना’ शुरू करने जा रही है. अगर यह योजना सफल रही तो यह लगभग 2300 करोड़ से भी अधिक का रेवेन्यू मॉडल बन सकती है.
सरकार के आला अफसरों, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके मंत्रियों की मानें तो 20 जुलाई को शुरु हुई इस योजना के तहत सरकार आने वाले दिनों में प्रदेश के सभी 11, 700 ग्राम पंचायतों में गौठनों (मवेशियों का संरक्षित बाड़ा) का निर्माण कराएगी. सभी गौठनों में काम चालू होने के बाद सरकार करीब 1730 करोड़ रुपये का गोबर सालाना खरीदेगी और इस गोबर से निर्मित करीब 2300 करोड़ रुपए से भी अधिक का वर्मीकम्पोस्ट बनाकर प्रदेश के किसानों, राज्य के वन, कृषि और बागवानी विभागों के साथ ग्राहकों को भी बेचेगी.
इसके साथ ही करीब 5 लाख सीमांत और भूमिहीन किसानों विशेषकर चरवाहों को न्यूनतम 6000 प्रति माह की आमदनी हो सकती है.
अधिकारियों की मानें तो कुल मिलाकर इन गौठनों को बघेल सरकार करीब 4000 हजार करोड़ रुपये के गोबर खरीदी बिज़नेस मॉडल के रूप में विकसित करने का इरादा रखती है.
करीब 570 करोड़ रुपए का यह लाभ गौठनों के रख रखाव और विकास के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा. इन गौठनों को आगे चलकर एक ग्रामोद्योग केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा जहां गोबर खरीदी के अलावा स्वय़ं सेवक सहायता समूहों की मदद से दूसरे उत्पादों का भी निर्माण किया जाएगा जिससे इन केंद्रों को सफल बिज़नेस मॉडल के रूप में स्थापित किया जा सके.
‘सबका विकास’
प्रदेश के पंचायत और ग्रमीण विकास मंत्री टी एस सिंह देव ने दिप्रिंट को बताया, ‘सरकार की यह योजना गावों में चहुमुखी विकास की अवधारणा के साथ गोबर आधारित ऐसे ग्रामीण उद्योग के केंद्र स्थापित करना है जो आगे चलकर स्व पोषित बिज़नेस मॉडल बन सकें.’
‘इस योजना के तहत कुल पांच एकड़ जमीन हर ग्राम पंचायत में आरक्षित की गयी है. तीन एकड़ जमीन गौठनों के लिए और बाकी दो एकड़ गोबर आधारित ग्रामोद्योग केन्द्र स्थापित करने के लिए हैं. हालांकि शुरुआती दौर में इसका दायरा गौठनों में वेर्मिकम्पोस्ट बनाकर इसे बेचने तक ही है.’
ग्रामीण विकास मंत्री कहतें हैं,’ इस योजना से भूमिहीन किसान विशेषकर चरवाहे जो 100-150 गाय- भैंस मवेशियों को चराते हैं करीब एक क्विंटल प्रति व्यक्ति गोबर रोजाना गौठनों को बेच सकते हैं. इससे उन्हें 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 6000 रुपये महीने की आमदनी भी होगी. गोधन योजना ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक शसक्त मॉडल साबित होगी, हालांकि इन गौठनों को अपने पैरों पर खड़ा करण भी एक बड़ी चुनौती है.’
यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ की नई पुनर्वास योजना, पुलिस दंतेवाड़ा में 1600 में से 500 नक्सलियों का कराएगी सरेंडर
कैसे होगा ये रेवेन्यू मॉडल
सरकार का यह बिज़नेस मॉडल मुख्यतः प्रदेश में 1.2 करोड़ गाय और भैंस पशुधन पर निर्भर रहेगा. सरकार का मानना है कि इन जानवरों से करीब 6 करोड़ किलोग्राम गोबर उत्पादित होगा. इसमें से 25-30 प्रतिशत गोबर किसान अपने इस्तेमाल के लिए रख लेते हैं और इतनी ही मात्रा में गोबर वेर्मिकम्पोस्ट बनाने लायक न होने की वजह से बेकार हो जाएगा. इस तरह कुल उत्पादन का 40 प्रतिशत गोबर यानि करीब 2.4 करोड़ किलो गौठनों के द्वारा खरीदा जाएगा जिसकी 2 रुपए प्रति किलो की दर से कुल कीमत 4.8 करोड़ रुपये रोज़ाना और 1728 करोड़ रुपए सालाना होगी.
भूपेश बघेल सरकार के प्लानिंग सलाहकार प्रदीप शर्मा जिनका इस योजन के क्रियान्वयन में बड़ा रोल है कहतें हैं, ‘यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए एक दूर दृष्टि वाली परियोजना है जो आनेवाले दिनों में 4000 हजार करोड़ से भी ज्यादा का बिज़नेस मॉडल बन सकती है. ‘
‘शुरुआती दौर में गौठनों को गोबर खरीदी और वर्मिकम्पोस्ट निर्माण के लिए सरकार की मदद चाहिए लेकिन एक बार स्थापित होने के बाद ये केंद्र स्वपोषित हो जाएंगे. यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए नजीर बन सकता है. आने वाले दिनों में गौठनों का निर्माण प्रत्येक गांव में होगा.’
बता दें की सरकार गोड़धन योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार सभी पंचायतों में गौठान बनाने का नीर ये लिया है. सरकार का वर्तमान लक्ष्य 5300 गौठान बनाने का है जिनमें करीब 2785 का निर्माण हो चुका है और आने वाले महीनों में बांकियों की शुरुआत हो जाएगी.
इमेज बिल्डिंग कर रही है सरकार: विपक्ष
मुख्य विपक्षी दल भाजपा का कहना है कि सरकार की गौठान योजना एक फ्लॉप शो साबित होगी.
विधानसभा में नेता धरमलाल कौशिक कहतें है,’यह प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या जैसी बात है. सरकार के अनुसार इस योजना के तहत आवारा पशुओं को गौठनों तक पहुंचाकर उनकी सुरक्षा के साथ मवेशियों की वजह से सड़क पर होनेवाले हादसों को रोकना भी था, लेकिन ऐसा कुछ होता दिख नही रहा है. सड़कों में आवारा पशु खुले आम घूम रहे हैं. पिछले डेढ़ साल में बघेल सरकार एक भी जन योजना लागू नही कर पाई है. सिर्फ बातें ही हैं. यह एक पब्लिसिटी स्टंट है.