नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 2000 रुपये के नोट वापस लेने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फैसले पर शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार अपने ही फैसले को सात साल बाद बदल रही है यह ‘‘थूक कर चाटने’’ जैसा है.
बघेल ने शनिवार को कर्नाटक की नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से लौटने के बाद रायपुर के स्वामी विवेकानंद विमानतल पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘अब 2000 रुपए के नोट बंद कर दिए हैं. इसमें गिनाएं क्या कारण है? आरबीआई से हम पूछना चाहते हैं, बंद क्यों किए हैं? वैसे तो आप ने 2019 से छापना बंद कर दिया लेकिन आज 2023 है अब अचानक इसको बंद कर दिया. इसका कारण क्या है? मतलब यह है कि आप (केंद्र सरकार) अपने ही फैसले को सात साल बाद बदल रहे हैं 2016 में इसे लागू किया अब 2023 से बंद कर दिया, मतलब यह ‘‘थूक कर चाटने’’ जैसा है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया को आरबीआई के गवर्नर से पूछना चाहिए कि क्यों बंद किए. शासकीय धन का ऐसे ही दुरुपयोग करेंगे. एक लेख के मुताबिक नोट छापने में 16-17 सौ करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं. देश के आयकर दाताओं के पैसे खर्च हो रहे हैं. आप जब चाहे तब खत्म कर देंगे और जब चाहे तब चालू कर देंगे. अब कौन से नोट चालू करेंगे या भी बता दें.’’
बघेल ने सवाल किया, ‘‘क्या देश कैशलेस ट्रांजेक्शन की तरफ जा रहा है’’ उन्होंने आशंका जताई कि कहीं देश को क्रिप्टो करेंसी की ओर तो धकेला नहीं जा रहा है.
बता दें कि आरबीआई ने शुक्रवार को घोषणा की कि 2,000 रुपये के नोट को सितंबर, 2023 के बाद चलन से बाहर कर दिया जाएगा. इस मूल्य के नोट को बैंकों में 23 मई से जाकर बदला जा सकता है.
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि अभी चलन में मौजूद 2,000 रुपये के नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे.
आरबीआई ने बैंकों को 30 सितंबर तक ये नोट जमा करने एवं बदलने की सुविधा देने को कहा है. बैंकों में 23 मई से 2,000 रुपये के नोट बदले जा सकेंगे. हालांकि, एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये मूल्य के नोट ही बदले जाएंगे.
इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों से 2,000 रुपये का नोट देना तत्काल प्रभाव से बंद करने को कहा है. आरबीआई ने नवंबर 2016 में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट चलन से हटाने के बाद 2,000 रुपये के नोट जारी किए थे.
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