रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नहीं चाहते कि उनका राज्य मध्य क्षेत्रीय परिषद में रहे, क्योंकि इसमें उत्तराखंड भी शामिल है जिससे उनके राज्य की न ही कोई भौगोलिक परिस्थितियां मेल खाती हैं और न ही उनसे कोई सामाजिक जुड़ाव है. बघेल ने परिषद के अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से उनके राज्य को परिषद से अलग करने की मांग की है.
बघेल ने अपनी यह मांग हाल ही में छत्तीसगढ़ में सम्पन्न हुए मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में परिषद के अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने पुरजोर ढंग से रखा. बघेल का कहना है की उत्तराखंड के साथ परिषद में बने रहने के कारण उनके राज्य के ऐसे कई मुद्दे है जिन्हें बैठक में चर्चा में नही लाया जा सका विशेषकर नक्सलवाद का मुद्दा.
हालांकि शाह ने बघेल की बातों का कोई जवाब नहीं दिया लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री मानते हैं कि गृहमंत्री ने इसका संज्ञान ले लिया है और केंद्र सरकार के अंदर चर्चा का विषय जरूर बनेगा.
दिप्रिंट के विशेषतौर पर पूछे गए सवाल के जवाब में बघेल ने कहा, ‘केंद्रीय मंत्री ने मेरी मांग पर कोई जवाब तो नहीं दिया लेकिन मुझे भरोसा है की यह चर्चा का विषय जरूर बनेगा.’
गौरतलब है कि बघेल द्वारा परिषद के अंदर यह मुद्दा ऐसे वक्त पर उठाया गया जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बैठक से एक दिन पहले रायपुर पहुंचकर वक्तव्य दिया था कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर सार्वजनिक मत हास्यपद और औचित्यहीन है.
बघेल द्वारा पूर्व में सीएए के विरोध में दिया गया बयान कि नागरिकता संशोधन कानून से संबंधित फार्म की औपचारिकता पूरी नही करेंगे और उसके खिलाफ सविनय अविज्ञा आंदोलन करेंगे पर रायपुर एयरपोर्ट में रावत ने कहा था की केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए कानून के बाद उनके इस विरोध का कोई महत्व नही है.
बघेल का विरोध परिषद में शामिल सिर्फ उत्तराखंड राज्य को लेकर था जबकि दो अन्य राज्य उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के संबंध में उन्होंने कुछ नही कहा. इन राज्यों में भी नक्सलवाद की कोई बड़ी समस्या नही है. बघेल कहते हैं, ‘मध्य क्षेत्रीय परिषद में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ शामिल हैं. परिषद का जब गठन हुआ था तब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ही थे. यह दोनों राज्य काफी बड़े थे और पड़ोसी थे लेकिन कालांतर में छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का गठन हुआ. हमने कहा की उत्तराखंड के साथ हमारी भौगोलिक स्थिति या सामाजिक स्थिति ऐसी नही है की दोनों राज्यों के बीच समस्याओं में समानता हो.’
बघेल ने आगे कहा, ‘छत्तीसगढ़ राज्य सात राज्यों से घिरा है जिसमें, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और झारखंड हैं. इन राज्यों के साथ रखे जाने का मैंने प्रस्ताव रखा है ताकि नक्सली समस्या के बारे में चर्चा हो सके.
‘अब उत्तराखंड के साथ नक्सली समस्या पर क्या बात होगी. वहां पर तो ऐसी कोई संबंध है नही. इसलिये मैंने कहा है की उत्तराखंड को यहीं रखा जाय और हमको उन राज्यों के साथ कर दिया जाय.’
क्या है मध्य क्षेत्रीय परिषद
क्षेत्रीय परिषदों का गठन देश के सभी राज्यों को उनके भौगोलिक और सामाजिक समानता के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट में निहित प्रावधानों के अनुसार किया गया था. वर्तमान में सभी राज्यों को 6 परिषदों में बांटा गया है. ये परिषदें हैं उत्तर क्षेत्रीय, दक्षिण क्षेत्रीय, पूर्व क्षेत्रीय, पश्चिम क्षेत्रीय, मध्य क्षेत्रीय और उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय परिषद.
मध्यक्षेत्रीय परिषद के सदस्य राज्य छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड हैं. इनका गठन सदस्य राज्यों के आपसी तालमेल और उनके आर्थिक एवं सामाजिक विकास की गतिविधियों पर चर्चा और समस्याओं का केंद्र से मिलकर निराकरण करना है. इन परिषदों का अध्यक्ष केंद्र सरकार का गृहमंत्री होता है.
27 कांग्रेस नेताओं के हत्या की एनआईए जांच रिपोर्ट से असंतुष्ट
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का कहना है की 2013 में नक्सलियों द्वारा झीरम घाटी हमले में मारे गए 27 कांग्रेसी नेताओं के जांच रिपोर्ट की केस डायरी और राज्य को फिर से जांच का अधिकार मांगा लेकिन अमित शाह की तरफ से कोई जवाब नही आया.
इस संबंध में बघेल कहते हैं, ‘मैंने इस बात का उल्लेख किया है की हमने तीन बार इस जांच को वापस लेने के लिए केंद्र को चिट्ठी लिखी है. हमारे अधिकारियों ने भी इस संबंध में एनआईए के अधिकारियों के साथ बैठक की है लेकिन इसके बावजूद भी एजेंसी की रिपोर्ट में कुछ नही है.’
बघेल ने आगे बताया, ‘मैंने उन्हें कहा की हमने ही आपको जांच के लिए यह केस दिया था और अब हमे वापस कर दीजिए लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नही आया.’
मुख्यमंत्री के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री का रूख उनकी मांग पर संतोषजनक नही था. बघेल का कहना है कि मृतक कांग्रेस नेताओंं के परिवार यानी ‘पीड़ित पक्ष’ और कांग्रेस पार्टी एनआईए की जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नही हैं.