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बुधवार, 23 अप्रैल, 2025
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चीता ‘प्रभाष’ और ‘पावक’ को मप्र के गांधी सागर अभयारण्य में मिला नया घर

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भोपाल, 20 अप्रैल (भाषा) कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दो साल पहले स्थानांतरित किए गए दक्षिण अफ्रीका के दो चीतों ‘प्रभाष’ और ‘पावक’ को रविवार को तब नया ठिकाना मिला, जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ दिया।

मूल रूप से फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका के वाटरबर्ग बायोस्फीयर रिजर्व से कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए ये छह वर्षीय नर चीते सड़क मार्ग के जरिए गांधी सागर अभयारण्य लाए गए। यह अभयारण्य नीमच और मंदसौर जिलों में फैला हुआ है।

मुख्यमंत्री यादव ने रविवार शाम को बसीगांव खेमला स्थित अभयारण्य में उन्हें छोड़ा।

इससे पहले, यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सितंबर 2022 में एशिया में चीतों को फिर से लाने के सफल प्रयास का नेतृत्व किया था।

उन्होंने कहा, ‘यह हमारा सौभाग्य है कि पूरे एशिया में चीतों को बसाने के लिए सबसे अनुकूल परिस्थितियां हमारे देश में, विशेष रूप से मध्यप्रदेश में मौजूद हैं।”

इससे पहले दिन में, दोनों चीतों को गांधी सागर अभयारण्य में लाया गया, जो कुनो से 250 किलोमीटर दूर है। कुनो में करीब तीन साल पहले इन चीतों के महत्वाकांक्षी अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण की शुरुआत की गई थी।

सत्रह सितंबर, 2022 को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ नामीबियाई चीते छोड़े गए थे, जिनमें पांच मादा और तीन नर शामिल थे।

फरवरी 2023 में, बारह और चीतों को दक्षिण अफ्रीका से कुनो में स्थानांतरित किया गया। कुनो में अब 26 चीते हैं, जिनमें भारत में जन्मे 14 शावक शामिल हैं।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अधिकारियों ने शुक्रवार को भोपाल में जानकारी दी थी कि आठ चीतों को दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना से दो चरणों में भारत लाया जाएगा। उन्होंने बताया था कि मई में ही चार चीतों को लाया जाएगा।

भाषा ब्रजेन्द्र नोमान

नोमान

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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