(तस्वीरों के साथ)
चंडीगढ़, चार दिसंबर (भाषा) अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के बाहर शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल को गोली मारने की असफल कोशिश करने वाले पूर्व आतंकवादी नारायण सिंह चौरा के खिलाफ पहले से ही कई मामले दर्ज हैं और 2004 में चंडीगढ़ की बुड़ैल जेल से कैदियों के फरार होने में उसकी भूमिका थी।
पंजाब में शिअद सरकार द्वारा 2007 से 2017 तक की गई ‘‘गलतियों’’ के लिए स्वर्ण मंदिर में ‘सेवादार’ के रूप में बादल की सजा का यह दूसरा दिन था, जिसे ‘कवर’ करने पहुंचे मीडियाकर्मियों के कैमरे में इस दुस्साहिक हमले का पूरा दृश्य ‘रिकॉर्ड’ हो गया। यह हमला सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुआ।
पुलिस ने बताया कि चौरा से पूछताछ के बाद हमले के पीछे का मकसद पता चलेगा। पुलिस ने बताया कि जांच जारी है और सभी कोण से जांच की जा रही है।
अमृतसर के पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा कि चौरा एक पूर्व आतंकवादी है और उसका आपराधिक इतिहास रहा है।
विशेष पुलिस महानिदेशक अर्पित शुक्ला ने बताया कि चौरा के खिलाफ 21 मामले दर्ज हैं। उन्होंने बताया कि चौरा (68) की 2004 में बुड़ैल जेल से कैदियों के फरार होने में भी भूमिका थी। उन्होंने बताया कि चौरा ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकवादियों जगतार सिंह हवारा, परमजीत सिंह भियोरा, जतर सिंह तारा और देवी सिंह को जेल से भागने में मदद की थी।
पुलिस ने बताया कि चौरा को उसके खिलाफ दर्ज कई मामलों में जमानत मिल चुकी है। पुलिस ने बताया कि वह गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम सहित कई अन्य मामलों का सामना कर रहा है।
चौरा गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक के चोरा बाजवा गांव का मूल निवासी है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक चौरा पहले पाकिस्तान गया था और आतंकवाद के शुरुआती दौर में हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी में कथित रूप से संलिप्त था।
इस बीच, चौरा की पत्नी ने संवाददाताओं को बताया कि चौरा ने उनसे कहा था कि वह स्वर्ण मंदिर जा रहा है। चौरा की पत्नी ने बताया कि चौरा गुरदासपुर, अमृतसर, लुधियाना और चंडीगढ़ की जेलों में कैद रहा है। चौरा की पत्नी ने एक सवाल पर कहा कि उसने (चौरा) जो कुछ भी किया है, वह गलत है।
भाषा धीरज अमित
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