scorecardresearch
Friday, 26 April, 2024
होमदेशनशीले पदार्थों के लिए धन मुहैया कराने का आरोप रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक के मामले में लागू नहीं होता: अदालत

नशीले पदार्थों के लिए धन मुहैया कराने का आरोप रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक के मामले में लागू नहीं होता: अदालत

विशेष एनडीपीएस अदालत के न्यायाधीश जी बी गुराव ने शौविक की जमानत मंजूर करते हुए कहा था कि एनडीपीएस कानून की धारा 27-ए के आरोप शौविक के मामले में लागू नहीं होते.

Text Size:

मुंबई (महाराष्ट्र): मुंबई में एनडीपीएस की एक विशेष अदालत ने अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक चक्रवर्ती की जमानत मंजूर करते हुए कहा कि नशीले पदार्थों के लिए अवैध रूप से धन मुहैया कराने का आरोप इस मामले में लागू नहीं होता है.

यह आदेश दो दिसंबर को पारित किया गया था और मंगलवार को इसकी प्रति उपलब्ध कराई गई.

शौविक को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मादक पदार्थ मामले में गिरफ्तार किया गया था. स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने शौविक को धारा 27-ए समेत स्वापक औषधि और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) के कड़े प्रावधानों के तहत इस साल सितंबर में गिरफ्तार किया था.

विशेष एनडीपीएस अदालत के न्यायाधीश जी बी गुराव ने शौविक की जमानत मंजूर करते हुए कहा था कि एनडीपीएस कानून की धारा 27-ए के आरोप शौविक के मामले में लागू नहीं होते.

एनडीपीएस कानून की धारा 27-ए नशीले पदाथों की तस्करी के लिए वित्तीय मदद देने और अपराधियों को पनाह देने से जुड़ी है और इसके तहत 10 से 20 साल के कड़े कारावास की सजा का प्रावधान है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

न्यायाधीश ने कहा कि एनडीपीएस कानून की धारा 37 के तहत उस आरोपी की जमानत पर रिहाई के लिए कड़े प्रावधान बनाए गए हैं, जिसके खिलाफ धारा 19 या धारा 24 या धारा 27-ए के तहत मामला दर्ज किया गया हो.

अदालत ने कहा, ‘इसके अलावा, अदालत को यह भी देखना होगा कि यह मानने के लिए पर्याप्त आधार हैं कि आरोपी दोषी नहीं है. जैसा पहले कहा गया है कि याचिकाकर्ता (शौविक) के मामले में धारा 27 के घटक मौजूद नहीं हैं.’

इससे पहले शौविक की जमानत याचिका दो बार खारिज की जा चुकी है.

बाद में, शौविक ने अपनी जमानत याचिका में उच्चतम न्यायालय के एक हालिया फैसले का जिक्र किया, जिसमें शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि एनसीबी अधिकारियों के समक्ष दिए गए इकबालिया बयान पर साक्ष्य के तौर पर विचार नहीं किया जा सकता.

एनडीपीएस की विशेष अदालत ने कहा कि न्यायालय का आदेश शौविक के मामले पर लागू होता है.

न्यायाधीश ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय के आदेश और तथ्यों एवं परिस्थितियों के अनुसार, मुझे लगता है कि हालात में बदलाव हुआ है.’


यह भी पढ़ें: मोदी सरकार और किसान नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता रद्द


 

share & View comments