नई दिल्लीः बच्चों को होने वाले कोविड-19 संक्रमण को लेकर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा कि हमारा फोकस बना हुआ है. उन्होंने कहा कि बच्चों में होने वाला कोविड आमतौर पर एसिम्पटोमैटिक है.
पॉल ने यह भी कहा, ‘बच्चों में कोविड का बहुत ज्यादा प्रभाव देखने को नहीं मिला है.’
वीके पॉल ने यह भी कहा, ‘बच्चों के वैक्सीन को लेकर ट्रायल चल रहा है. उनमें बहुत गंभीर कोविड नहीं होता है और अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती है.’
‘हालांकि, अगर वायरस अपना व्यवहार बदलता है तो बच्चों में कोविड का खतरा बढ़ सकता है. डेटा के मुताबिक अस्पतालों में काफी संख्या में बच्चों को भर्ती किया जा रहा है. हम लोग अपनी तैयारी में लगे हैं.’
अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान पॉल ने बताया, ‘बच्चों में कोविड 19 दो तरीके से पाया जाता है- पहले तरीके में उनमें निमोनिया टाइप के लक्षण दिखते हैं, दूसरा कोविड से रिकवर करने वाले बच्चों में मल्टी-इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम दिखते हैं.’
दो डोज लगेगी वैक्सीन
आगे वीके पॉल ने ये भी साफ किया कि भारत में कोविडशील्ड और कोवैक्सीन की दो डोज़ दी जाएगी. उन्होंने कहा कि कुछ खबरें ऐसी चल रही हैं जिसमें कहा जा रहा है अब कोविशील्ड की सिर्फ एक ही डोज़ लगेगी. लेकिन ऐसा नहीं है कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों की दो-दो डोज़ ही लगेगी.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह अभी शोध का विषय है कि एक डोज़ एक वैक्सीन का और एक डोज़ दूसरी वैक्सीन का दिया जाना चाहिए.
पॉल ने कहा, ‘अलग-अलग वैक्सीन दिए जाने से कई बार बॉडी में नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं और कई बार वायरस से लड़ने की क्षमता ज्यादा बेहतर हो जाती है. लेकिन अभी यह शोध का विषय है.’
आईसीएमआर के बलराम भार्गव ने कहा कि वैक्सीन की कोई कमी नहीं है. जुलाई या अगस्त के मध्य तक हमारे पास एक करोड़ लोगों को वैक्सीन देने भर की डोज़ उपलब्ध होगी.