मुंबई, 28 अगस्त (भाषा) विशेषज्ञों का कहना है कि बदलती जीवनशैली, तनाव का बढ़ता स्तर, अनिद्रा, पौष्टिक भोजन न करना और व्यायाम की कमी कम उम्र के लोगों में दिल का दौरा पड़ने के मामलों में वृद्धि के प्राथमिक कारण हैं।
हाल में, हास्य-कलाकार राजू श्रीवास्तव (58) को दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था और इसके बाद यह मुद्दा फिर से सुर्खियों में है।
इस साल मई में, प्रसिद्ध गायक केके (53) का कोलकाता में एक संगीत कार्यक्रम के बाद हृदय गति रुकने से निधन हो गया था। वहीं, पिछले साल, अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला (40), पुनीत राजकुमार (46), अमित मिस्त्री (47) का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।
नवी मुंबई में अपोलो अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ निखिल परचुरे ने “पीटीआई-भाषा” को बताया कि पिछले 20 साल में भारत में दिल का दौरा पड़ने के मामलों की दर दोगुनी हो गई है और अधिकतर युवा अब इसका शिकार हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दिल का दौरा पड़ने के 25 फीसदी मामले 40 साल से कम उम्र के लोगों में देखे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल जैसे अन्य जोखिम वाले कारकों में धूम्रपान सबसे महत्वपूर्ण है। इसके अलावा बदलती जीवनशैली, ठीक से नींद न लेना, पौष्टिक भोजन न करना और व्यायाम में कमी, तनाव का बढ़ना आदि युवा लोगों में दिल का दौरे पड़ने के कारणों में शामिल हैं।”
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कोविड-19 भी भारत में युवा लोगों में दिल के दौरे के मामलों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।
मुंबई में सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में हृदय विज्ञान विभाग में सलाहकार डॉ. अजीत मेनन ने दावा किया कि भारत दुनिया की “मधुमेह राजधानी” बन रहा है और इसलिए यहां ज्यादातर युवाओं में दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ रहे हैं।
मेनन ने भारतीयों के शरीर क्रिया विज्ञान को भी इसका एक अन्य कारक बताया है। उन्होंने कहा, “एक औसत भारतीय के पास, यूरोप के किसी व्यक्ति की तुलना में समान ‘बॉडी मास इंडेक्स’ (बीएमआई) है, लेकिन भारतीयों के शरीर में वसा सामग्री अधिक है और यह अंतर काफी चौंका देने वाला है।”
बीएमआई यह बताता है कि आपके शरीर का वजन आपकी लंबाई के अनुसार ठीक है या नहीं।
उन्होंने कहा कि एक औसत यूरोपीय के शरीर में वसा की मात्रा सात से आठ प्रतिशत है, जबकि एक औसत भारतीय के शरीर में वसा की मात्रा लगभग 12 से 23 प्रतिशत है।
प्रमुख कार्डियक सर्जन और मुंबई के ‘एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट’ के प्रमुख डॉ. रमाकांत पांडा ने भी आनुवंशिक प्रवृत्तियों को एक महत्वपूर्ण कारक बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘युवाओं में दिल की समस्याओं के अन्य सामान्य कारणों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मौजूदा चिकित्सा स्थितियां, धूम्रपान, मोटापा, तनाव, व्यायाम की कमी और पर्यावरण प्रदूषण जैसी जीवन शैली की समस्याएं शामिल हैं।’’
भाषा फाल्गुनी देवेंद्र
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