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Monday, 23 December, 2024
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दलबदल कानून में बदलाव और वैकल्पिक सरकार से तय हो सकती है ‘एक देश एक चुनाव’ की राह: चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा

चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने दिप्रिंट को बताया कि वन नेशन वन पोल ‘कल्पनीय विचार’ है लेकिन इस पर राजनीतिक सहमति सबसे अहम है क्योंकि इसके लिए संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी.

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नई दिल्ली: चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा का कहना है कि ‘वन नेशन, वन पोल’ का विचार व्यवहारिक तौर पर कल्पनीय है और इसके कई फायदे भी हैं लेकिन संसदीय चुनावों के साथ तालमेल बैठाने के लिए राज्य विधानसभाओं को समय पूर्व भंग होने से बचाने के लिए जरूरी तंत्र तैयार करने पर काम करना जरूरी होगा.

चंद्रा ने दिप्रिंट को दिए साक्षात्कार में कहा कि वन नेशन वन पोल की अवधारणा लागू करने के लिए संविधान संशोधनों की जरूरत पड़ेगी जिससे पिछली सरकार के बहुमत खोने की स्थिति में एक वैकल्पिक सरकार के गठन की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके.

इसके अलावा, विधानसभाओं को समय पूर्व भंग होने से रोकने और चुनाव का निर्धारित चक्र बाधित न होने देने के लिए दलबदल-निरोधक कानून में भी बदलाव करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘यह सुनिश्चित करने का एक तरीका तय करना होगा कि यदि कोई सरकार बहुमत खो देती है, तो दूसरी सरकार नियुक्त की जा सकती है… एक समय पर ही चुनाव हों इसके लिए दलबदल विरोधी कानून को भी ‘वन नेशन वन पोल’ के अनुरूप ढालना पड़ सकता है.’

‘वन नेशन वन पोल’ एक साथ चुनाव कराने की ऐसी अवधारणा है जिसमें एक नागरिक सभी तीन स्तरों लोकसभा, राज्य विधानसभा और नगर निकायों या पंचायतों के लिए एक ही दिन में अपना वोट डाले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले जून में एक बार फिर इस विचार की वकालत की थी.

मोदी और उनकी भाजपा ने जहां एक साथ चुनाव कराने का आधार मजबूत करते हुए तर्क दिया है कि यह देश में निर्बाध विकास सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य है वहीं विपक्ष ने गंभीर चिंता जताते हुए इसे भारत के समृद्ध संघीय ढांचे के लिए खतरा बताया है.

देशभर में एक समान मतदाता सूची के लिए राज्यों में पंचायतों और नगरपालिकाओं के चुनाव से संबंधित अनुच्छेद 243के और अनुच्छेद 243जेडए में संशोधन करना होगा क्योंकि ये राज्य चुनाव आयोगों को इन चुनावों की निगरानी और निर्देशन का अधिकार देते हैं, साथ ही मतदाता सूची तैयार करने पर भी राज्य आयोगों का ही नियंत्रण होता है.

संविधान के अनुच्छेद 324 (1) के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार भारतीय निर्वाचन आयोग के पास निहित है.


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वन नेशन वन पोल- एक ‘कल्पनीय विचार’

एक साथ चुनावों की व्यवहार्यता और आवश्यकता को विस्तार से बताते हुए चंद्रा ने कहा, ‘यह निश्चित तौर पर एक कल्पनीय विचार है जिस पर अमल हो सकता है’.

उन्होंने कहा, ‘अगर राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय चुनाव एक साथ होते हैं तो सभी चुनाव कर्मचारियों को पांच साल में एक बार ही तैनात करना पड़ेगा, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को भी पांच साल में एक बार तैनात किया जाएगा, सरकारी खर्च में काफी कमी आएगी, आदर्श चुनाव आचार संहिता पांच साल में एक बार लागू की जाएगी और इससे योजनाओं पर अमल में भी बार-बार बाधा नहीं आएगी.’

हालांकि, चंद्रा ने कहा कि इसके लिए राजनीतिक सहमति सबसे जरूरी है क्योंकि इसके लिए संवैधानिक संशोधनों की आवश्यकता होगी.

सरकार की तरफ से पिछले महीने लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची पर जोर देने के बाबत पूछे जाने पर चंद्रा ने कहा, ‘इससे एक साथ चुनाव कराने में सुविधा होगी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘एक ही मतदाता सूची दोहरी मेहनत भी बचाएगी क्योंकि केंद्रीय निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग दोनों की तरफ से ही मतदाता सूची का प्रबंधन किया जाता है….यदि एक ही मतदाता सूची हो तो बेहतर इंटीग्रेशन हो सकता है.’

चंद्रा ने कहा कि एक समान मतदाता सूची के लिए भी राजनीतिक सहमति की आवश्यकता होगी क्योंकि इसके लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता पड़ेगी.


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बिहार चुनाव पर क्या बोले

आगामी बिहार चुनाव के बारे में बात करते हुए चंद्रा ने कहा कि आयोग उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च सीमा बढ़ाने पर ‘काफी गंभीरता से विचार’ कर रहा है.

मौजूदा समय में प्रत्येक उम्मीदवार की खर्च सीमा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में क्रमश: 28 लाख रुपये और 70 लाख रुपये है.

भाजपा सहित कुछ राजनीतिक दलों ने आयोग से चुनाव खर्च सीमा बढ़ाने पर विचार करने को कहा है क्योंकि कोविड के कारण प्रचार के दौरान प्रति उम्मीदवार व्यय बढ़ जाएगा.

यह पूछे जाने पर कि कोविड के मद्देनज़र आयोग एक अच्छा वोटर टर्नआउट कैसे सुनिश्चित करेगा, चंद्रा ने कहा, ‘हम चुनाव को सुरक्षित बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं… लोग अब बाज़ार आदि तो जा ही रहे हैं. अब मतदान केंद्रों पर सामाजिक दूरी और अन्य सावधानियों के मानक बेहद कड़ाई से लागू किए जाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘लोगों को बूथों पर आने से डरना नहीं चाहिए.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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