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Sunday, 22 December, 2024
होमदेश'स्माइल प्लीज', प्रज्ञान ने चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की फोटो खींची, ISRO ने तस्वीरें शेयर कीं

‘स्माइल प्लीज’, प्रज्ञान ने चांद की सतह पर लैंडर विक्रम की फोटो खींची, ISRO ने तस्वीरें शेयर कीं

इसरो ने एक्स पर दो तस्वीरों को कैप्शन देते हुए पोस्ट किया, 'स्माइल प्लीज' जिसमें लैंडर को उसके दो पेलोड ChaSTE और ILSA के साथ काम करते हुए दिखाया गया है.

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नई दिल्ली: चंद्रयान-3 रोवर प्रज्ञान ने बुधवार को अपने नेविगेशन कैमरे से विक्रम लैंडर की एक तस्वीर ली, जिसे भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ने एक्स पर “मिशन की तस्वीर” के रूप में साझा किया.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स पर दो तस्वीरों को कैप्शन देते हुए पोस्ट किया, “स्माइल प्लीज” जिसमें लैंडर को उसके दो पेलोड ChaSTE और ILSA के साथ काम करते हुए दिखाया गया है.

इसरो ने यह भी बताया कि मिशन के लिए नेविगेशन कैमरा इसकी इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला (एलईओएस) द्वारा डिजाइन किया गया था – एक महत्वपूर्ण इकाई जो अन्य चीजों के अलावा इंटरप्लेनेटरी मिशनों के लिए एटीट्यूड सेंसर डिजाइन, विकसित और उत्पादन करती है.

विक्रम ने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी – जो अपने साथ प्रज्ञान लेकर गया था जिसे चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने और विशेष रूप से पानी की उपस्थिति की जांच करने का काम सौंपा गया है.

इस मिशन ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया जब प्रज्ञान ने पहली बार इन-सीटू माप के माध्यम से दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह पर सल्फर की उपस्थिति की स्पष्ट रूप से पुष्टि की.

जैसा कि अपेक्षित था, इसमें एल्यूमीनियम, कैल्शियम, लोहा, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैंगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन का भी पता चला हैं.

इसरो ने एक बयान में कहा, “चंद्रयान-3 रोवर पर लगे लेजर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एलआईबीएस) उपकरण ने दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्र सतह की मौलिक संरचना पर पहली बार इन-सीटू माप किया है. ये इन-सीटू माप स्पष्ट रूप से क्षेत्र में सल्फर (एस) की उपस्थिति की पुष्टि करते हैं, कुछ ऐसा जो ऑर्बिटर पर लगे उपकरणों द्वारा संभव नहीं था.

रविवार को, अपने रास्ते में एक बड़े गड्ढे का पता लगाने के बाद रोवर ने सफलतापूर्वक अपना रास्ता बदल लिया था.

चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी थी, और पिछले सप्ताह चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए पृथ्वी और चंद्रमा की कक्षाओं का चक्कर लगाया – जिससे भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया, और दक्षिणी ध्रुव को छूने वाला पहला देश बन गया.


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