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Monday, 4 November, 2024
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चंद्रयान-2 चंद्रमा की कक्षा में पंहुचा, सिवन बोले- रुक गई थी 30 मिनट तक सांसें

चंद्रयान-2 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित प्रक्षेपण केंद्र से 22 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था.

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नई दिल्ली: चंद्रयान-2 मंगलवार सुबह चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया और इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नाम एक और बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई है. चंद्रयान-2 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित प्रक्षेपण केंद्र से 22 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था.

मंगलवार की सुबह भारतीय अंतरिक्ष मिशन के लिए खास दिन है. भारतीय अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान 2 ने पृथ्वी की सतह से निकलकर चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया है. इस मिशन के तहत चंद्रयान 2 को चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतारना है.

क्या कहा इसरो प्रमुख के सिवन ने

भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 के चांद की कक्षा में प्रवेश करने के अंतिम 30 मिनट बहुत मुश्किल भरे थे. यह कहना है भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन के. सिवन का. इस महत्वपूर्ण चरण के तुरंत बाद सिवन ने मीडिया से बातचीत में बताया, ‘अभियान के अंतिम 30 मिनट बहुत मुश्किल भरे थे. घड़ी की सुई के आगे बढ़ने के साथ-साथ तनाव और चिंता बढ़ती गई. चंद्रयान-2 के चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करते ही अपार खुशी और राहत मिली.’

उन्होंने कहा, ‘हम एक बार फिर चांद पर जा रहे हैं.’

भारत का पहला चांद का मिशन चंद्रयान-1 साल 2008 में सम्पन्न किया गया था. इस मौके पर इसरो केंद्र पर लगभग 200 वैज्ञानिक तथा अन्य कर्मी इकट्ठे थे. यान के चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करने के बाद अधिकारियों ने उल्लेखनीय उपलब्धि पर एक-दूसरे को बधाइयां दीं. इसरो के एक अधिकारी के अनुसार, चंद्रयान-2 की 24 घंटे निगरानी की जा रही है.

सिवन ने कहा कि भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान पर भी काम चल रहा है. इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन करने का काम जारी है.

चांद की कक्षा में पहुंचने की सफलता के बाद इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी कि, ‘चंद्रयान 2 अगले महीने 7 सितंबर को चांद के दक्षिण ध्रुव पर लैंड करेगा.’ 7 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाले लैंडर का नाम विक्रम है जिसे महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. गौरतलब यह है कि 2019 विक्रम साराभाई की जन्मशताब्दी है. ऐसा करते ही भारत चांद की सतह पर लैंड करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

इसरो प्रमुख के सिवन ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘सात सितंबर को एक बजकर 55 मिनट पर लैंडर चांद पर लैंड करेगा और अगली बड़ी घटना 2 सितंबर को होगी जब लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा. 3 सितंबर को हम लगभग 3 सेकंड के लिए एक छोटा प्रयोग करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लैंडर का सिस्टम सामान्य रूप से चल रहा है.

 

इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अपने यानों को चांद पर भेज चुके हैं. लेकिन, यहां यह जानना जरूरी है कि कई वर्ष पहले चांद की सतह पर पहुंच चुके ये देश भी अबतक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपना यान नहीं उतार पाए हैं. चंद्रयान-2 को जीएसएलवी एमके-3 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसका वजन करीब 6000 क्विंटल है. पूरी तरह से लोडेड यह रॉकेट पांच बोइंग जंबो जेट के बराबर है. यह अंतरिक्ष में काफी वजन ले जाने में सक्षम है.

चंद्रयान-2 पृथ्वी से चंद्रमा की ओर श्रीहरिकोटा से 22 जुलाई की रात को रवाना हुआ था. इस स्पेसक्राफ्ट का वजन 3.8 टन है. छह पहिए वाले रोबोट वाहन है जो संस्कृत में अनुवाद करता है इसमें 3 मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान). प्रज्ञान छह पहिएवाला रोबोट वाहन है. यह सौर ऊर्जा से कार्य करता है और केवल लैंडर विक्रम के साथ संवाद कर सकता है. वहीं दूसरी तरफ लैंडर को चंद्र सतह पर एक सॉफ्ट लैंडिंग निष्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

आपको बता दें कि महज 10 साल में दूसरी बार चांद पर इसरो ने अपना यान उतारा है. चंद्रयान-1 को 2009 में भेजा गया था. हालांकि, उसमें रोवर शामिल नहीं था. चंद्रयान-1 में केवल एक ऑर्बिटर और इंपैक्टर था जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा था. इसको चांद की सतह से 100 किमी दूर कक्षा में स्थापित किया गया था.

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